Col Waibhav Anil Kale : गाजा के रफाह इलाके में भारतीय सेना के पूर्व कर्नल वैभव अनिल काले इजरायली हवाई हमले में शहीद हो गए. घटना के वक्त वह संयुक्त राष्ट्र का झंडा लेकर एक वाहन से जा रहे थे.भारतीय सेना से रिटायर्ड वैभव अनिल काले को रफाह के यूरोपियन हॉस्पिटल में संयुक्त राष्ट्र ने सुरक्षा कार्यों के लिए तैनात किया था. वह संयुक्त राष्ट्र के ही वाहन में सवार थे, इसी दौरान इजराइली हमले में उनकी मौत हो गई. वैभव अनिल काले की मौत पर संयुक्त राष्ट्र में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई. यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इजराइल के हमले की निंदा करते हुए काले के निधन पर शोक जताया है. 


कौन हैं वैभव अनिल काले, इंदौर से क्या था नाता?
वैभव अनिल काले का इंदौर से नाता रहा है. उन्होंने यहां आईआईएम से पढ़ाई की थी. वह आईआईएम लखनऊ में भी पढ़ें हैं. साथ ही जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से उन्होंने बीए किया था. 46 वर्षीय काले भारतीय सेना में कर्नल के पद पर तैनात थे, उन्होंने 2022 में सेवा से रिटायरमेंट ले लिया था और तीन सप्ताह पहले ही संयुक्त राष्ट्र में सिक्योरिटी कोऑर्डिनेशन ऑफिसर के रूप में कार्य शुरू किया था.


UN से जुड़े थे वैभव अनिल काले
कर्नल वैभव अनिल काले ने भारतीय सेना से 2022 में VRS लिया था. वह तीन सप्ताह पहले ही संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा एवं संरक्षा विभाग से जुड़े थे. LinkedIn पर दी गई जानकारी के मुताबिक, वह अप्रैल 2000 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे. उन्होंने 2009 से 2010 तक संयुक्त राष्ट्र में मुख्य सुरक्षा अधिकारी के तौर पर अपनी सेवाएं दी थीं. वैभव ने दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से बिहेविरल साइंस और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून में ग्रैजुएशन की डिग्री हासिल की थी. उन्होंने लखनऊ और इंदौर के IIM समेत अन्य संस्थानों से भी पढ़ाई की थी.


भारतीय सेना में कब हुए थे शामिल?
भाषा के मुताबिक, उनके रिश्तेदार विंग कमांडर (रिटायर्ड) प्रशांत करडे ने बताया कि अनिल काले भारतीय सेना में 2000 में शामिल हुए थे. उन्होंने 2009 और 2010 के बीच संयुक्त राष्ट्र में आकस्मिक मुख्य सुरक्षा अधिकारी के रूप में भी काम किया था. टीओआई के मुताबिक, वैभव काले 1999 में एनडीए से पासआउट हुए थे. आईएमए से पासआउट होने के बाद उन्हें 2000 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था. वैभव काले के भाई विशाल काले भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन के पद पर तैनात हैं, जबकि उनके चचेरे भाई अमेय काले भी सेना में कर्नल हैं.सोमवार सुबह वह अन्य कर्मचारियों के संग संयुक्त राष्ट्र के वाहन में रफाह के यूरोपियन अस्पताल जा रहे थे, तभी उनके ऊपर हमला हो गया. वह अपने पीछे पत्नी अमृता और 2 बच्चों को छोड़ गए हैं.सेना से रिटायरमेंट लेने के बाद वह अपने परिवार के साथ पुणे में रहने लगे थे. काले का पार्थिव शरीर मिस्त्र के रास्ते भारत लाया जाएगा और पुणे में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.


पठानकोट हमले से था कनेक्शन
टीओआई में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, वैभव काले ने पठानकोट एयरबेस पर 2016 के हुए आतंकवादी हमले को रोकने में भी अहम भूमिका निभाई थी. उनके करीबी दोस्त लेफ्टिनेंट कर्नल हांगे ने बताया कि काले पठानकोट हमले के समय भारतीय सेना की 11 जम्मू-कश्मीर राइफल्स बटालियन की कमान संभाल रहे थे. उन्होंने और उनकी यूनिट ने उस ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई थी. कर्नल हांगे का कहना है कि वैभव काले एक  खुशमिज़ाज़ इंसान थे.