पाकिस्तान में पिछले सप्ताह इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने बलूचिस्तान में हजारा समुदाय के 11 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी. इसके बाद से पाकिस्तान में लगातार बवाल मचा हुआ है. मृतक के परिवार वाले धरने पर बैठे हुए हैं और क्वेटा को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाले मेन हाई वे को ब्लॉक दिया है. ऐसे में धर्म के नाम पर दूसरों को उपदेश देने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान खुद अपने देश में इस पूरे मामले को लेकर घिरते हुए नजर आ रहे हैं.
साम्प्रदायिक हिंसा में ही घिरे इमरान खान
उधर, पाकिस्तान के पीएम ने इस घटना में भी भारत का हाथ बताते हुए मनगढ़ंत आरोप लगाया कि पड़ोसी देश साम्प्रदायिक हिंसा भड़का रहा है. इमरान खान ने 11 शवों को दफनाने की अपील करते शुक्रवार को कहा कि वे उन्हें मुलाकात के लिये 'ब्लैकमेल' न करें. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि प्रधानमंत्री खान उनसे मुलाकात करें.
खान ने इस्लामाबाद में विशेष तकनीकी जोन के उद्घाटन के दौरान कहा कि शवों को दफनाए जाने के बाद वह पीड़ित परिवारों से मुलाकात के लिये तैयार हैं. उन्होंने कहा, 'हमने उनकी सभी मांगे मान ली हैं. (लेकिन) उनकी एक मांग है कि प्रधानमंत्री से मिलने के बाद ही वे अंतिम संस्कार करेंगे. मैंने उन्हें संदेश भेजा है कि जब आपकी सारी मांगें मान ली गई हैं तो आप देश के प्रधानमंत्री को इस तरह ब्लैकमेल न करें.'
कौन है हजरा समुदाय?
दरअसल, पाकिस्तान में सुन्नी मुसलमान बहुसंख्यक हैं. ये वहां पर अहमदिया और हजारा जैसे अपने ही धर्म के अल्पसंख्यकों का विरोध करते रहते हैं. हजारा समुदाय पाकिस्तान और अफगानिस्तान में बसने वाली शिया मुस्लिमों की एक कौम है, जो दरी फारसी की हजारगी उपभाषा बोलते हैं. हजारा फारसी, मंगोलियाई और तुर्क वंश का एक अफगान जातीय अल्पसंख्यक समूह है. इन्हें मंगोल शासक चंगेज खान का वंशज भी माना जाता है. पाकिस्तान के साथ ही अफगानिस्तान में भी तालिबान के शासन में हजारा समुदाय के ऊपर काफी अत्याचार किए गए. तालिबान के आतंकी हजारा समुदाय के लोगों को न केवल गोली मार देते हैं, बल्कि इनके समुदाय की महिलाओं के साथ भी बुरा व्यवहार करते रहे हैं.