Who is Hossain Salami: महसा अमीनी की मौत के बाद से ईरान में हिजाब (Hijab) के विरोध में हो रहे प्रदर्शन के बीच ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के हेड हुसैन सलामी (Hossein Salami) ने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी थी. कहीं न कहीं इसे धमकी के रूप में देखा गया. हुसैन सलामी कई बार अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रह चुके हैं. चलिए सबसे पहले आपको बताते हैं कि कौन हैं हुसैन सलामी. 


ईरान में 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद 'इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स' (IRGC) की स्थापना हुई थी. इसके बाद से मेजर जनरल हुसैन सलामी (Hossein Salami) रैंकों के माध्यम से आगे बढ़े हैं. उन्होंने ईरान-इराक युद्ध (Iran-Iraq War) के दौरान भी अहम भूमिका निभाई थी. इसके अलावा, वह वायु सेना की कमान संभाल चुके हैं. इसके बाद उनके और भी प्रमोशन हुए. वह अपने काम के अलावा अपने भाषणों के लिए भी जाने जाते हैं. उनके बयानों को कई बार विवादों की अहम वजह भी बनते हुए देखा गया है. 


हुसैन सलामी का जन्म 1960 में गोलपायगन में हुआ था, जो ईरान के इस्फहान प्रांत में है. उनकी पढ़ाई ईरान यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के साथ-साथ ईरान के सशस्त्र बलों, विशेष रूप से ईरानी आर्मी कमांड और जनरल स्टाफ कॉलेज से हुई. सलामी के परिवार के बारे में बहुत कम जानकारी सार्वजनिक है. उनके एक भाई मुस्तफा ने ईरान के सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ में काम किया है. 


ईरान-इराक युद्ध में बड़ी भूमिका 


1980 में हुसैन सलामी इस्फहान में IRGC के डिवीजन में शामिल हुए. ईरान-इराक युद्ध के दौरान उन्हें बड़े पद हासिल हुए. हालांकि, युद्ध के दौरान उनकी सेवा का कोई व्यापक पब्लिक रिकॉर्ड नहीं है. हालांकि, कई सबूतों से पता चलता है कि सलामी ईरानी कुर्दिस्तान में लड़े थे, जो अलगाववादी गतिविधियों का केंद्र था. सलामी ने 25वें कर्बला और 14वें इमाम हुसैन डिवीजनों की भी कमान संभाली. युद्ध के दौरान ये महत्वपूर्ण विभाजन थे. 


युद्ध के अंत तक हुए कई अनुभव हासिल 


सलामी को युद्ध के दौरान अपनी सैन्य यात्राओं में डाइवर्सिटी लाने का भी मौका मिला. 14वां इमाम हुसैन डिवीजन IRGC के ग्राउंड फोर्स का हिस्सा रहा है. इसके अलावा 25वां कर्बला डिवीजन भी आईआरजीसी की ग्राउंड फोर्स का हिस्सा रहा. सलामी ईरान-इराक युद्ध के दौरान खुफिया जानकारियां जुटाने में भी शामिल रहे हैं. युद्ध के अंत होने तक सलामी के पास कई अनुभव थे. इनमें युद्ध के दौरान ईरानी प्रांतों में सेवा करना, ग्राउंड फोर्स ऑपरेशन में काम करना, खुफिया जानकारी जुटाना और आखिर में नेवल बेस ऑपरेशन की कमान संभालना शामिल है. 


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