पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी छोड़ने वाले कई असंतुष्ट नेताओं ने आपस में हाथ मिला लिया है. चीनी कारोबारी और खान के पुराने दोस्त जहांगीर खान तरीन (जेकेटी) इन सभी असंतुष्ट नेताओं का नेतृत्व कर रहे हैं.
तरीन जल्द ही पीटीआई के 120 से ज्यादा पूर्व नेताओं और सांसदों वाली इस्तेहम-ए-पाकिस्तान पार्टी (आईपीपी) का गठन कर सकते हैं.
'दहेज' में मिली सियासत से अपने सियासी करियर की शुरुआत करने वाले तरीन पाकिस्तान की सियासत में सबसे विवादास्पद राजनीतिक व्यक्तित्व भी हैं. तरीन पर विदेशों में संपत्ति छिपा कर रखने का भी आरोप लग चुका है.
इसके बाद पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने तरीन को अयोग्य घोषित कर दिया था. समय-समय पर तरीन पर जमीन और पद के कब्जे का आरोप भी लगता रहा है.
तहरीक-ए-इंसाफ और इमरान खान से नजदीकी
तरीन ने 2002 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. 2011 तक उन्होंने पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी परवेज इलाही के कृषि और सामाजिक क्षेत्र की पहल पर विशेष सलाहकार के रूप में कार्य किया.
2011 में तरीन पीटीआई में शामिल हो गए और पार्टी के महासचिव बनें. 2017 के बाद वो पार्टी से अलग हो गए.
इमरान की पार्टी के नेता लगा चुके हैं तरीन पर कई आरोप
2015 में पीटीआई में पार्टी चुनाव करवाने वाले पार्टी नेता जस्टिस वजीहुद्दीन अहमद ने तरीन पर आरोप लगाया था. उनका कहना था कि तरीन दौलत के बल पर पार्टी चुनाव में धांधली की कोशिश कर रहे हैं. इसके बाद वजीहुद्दीन अहमद को पार्टी से अलग होना पड़ा.
इमरान का ये दोस्त करेगा इमरान का खात्मा?
खान के पुराने दोस्त और चीनी कारोबारी जहांगीर खान तरीन ने एलान कर दिया है कि उनकी पार्टी इस्तेहकम-ए-पाकिस्तान अक्टूबर में होने वाले आगामी आम चुनावों में लड़ेगी. तरीन की पार्टी में 100 पूर्व पीटीआई नेता/ कार्यकर्ता शामिल हो गए हैं.
तरीन ने कहा 'आज, हम वादा करते हैं कि हम पाकिस्तान को इस मौजूदा दलदल से छुटकारा दिलाने के लिए अपनी भूमिका निभाएंगे. उन्होंने कहा, 'हमारी पार्टी आम आदमी की पार्टी होगी.
हम कायद-ए-आजम (पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना) की शिक्षाओं और अल्लामा इकबाल के सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष करेंगे.
देश को नए नेतृत्व की जरूरत?
उन्होंने कहा कि देश को एक मजबूत राजनीतिक नेतृत्व की जरूरत है जो सामाजिक और आर्थिक सहित सभी मौजूदा मुद्दों को हल कर सके. तरीन ने नौ मई को हुए दंगों की भी निंदा की, और कहा कि दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए अन्यथा भविष्य में राजनीतिक विरोधियों के घरों पर हमला किया जाएगा.
पाकिस्तान की सियासत में क्यों मची भगदड़
पाकिस्तान की सियासत में निरंतर अस्थिरता की स्थिति बनी हुई है. खान की गिरफ्तारी के बाद देश में असाधारण रूप से अशांति है. इमरान खान को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए बाहर किए जाने के बाद 11 अप्रैल को पाकिस्तान में नई सरकार बनी.
सत्ता पाने की दो पार्टियों की चाहत और देश की राजनीति में सेना के दखल ने देश में आर्थिक और राजनीतिक संकट पैदा कर दिया है.
खान की सरकार का पतन
इमरान खान अविश्वास मत के माध्यम से पद गवाने वाले पाकिस्तान के पहले प्रधान मंत्री हैं. पाकिस्तान की प्रमुख विपक्षी पार्टियां खान के सत्ता में आने के बाद से ही उनके इस्तीफे की मांग कर रही थीं . पार्टियां खान को सेना द्वारा 'निर्वाचित' के बजाय 'चयनित' बता रही थीं.
दूसरी तरफ खान भी पाक की आर्मी की हिमायत करते थकते नहीं थे , लेकिन बाद में खान ने अपनी नाकामयाबी का ठिकरा सेना पर फोड़ते रहे.
खान और पाक की सेना के बीच कैसे आया फ्रैकचर
इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद पूरे पाकिस्तान में बवाल मचा हुआ है. खान की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तान के कई शहरों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. खान को पाक की अर्धसैनिक बलों ने भ्रष्टाचार के एक मामले में सुनवाई के दौरान गिरफ्तार किया. ये वही सेना थी जिसकी आंखों का तारा इमरान खान हुआ करते थे.
खान और सेना के बीच पहला और सबसे सबसे बड़ा गतिरोध अक्टूबर 2021 में इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के महानिदेशक के तबादले को लेकर था. खान ने महानिदेशक के तबादले पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया. खान के इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस के साथ संबध बहुत गहरे थे.
वो आईएसआई प्रमुख को सेना प्रमुख भी बनाना चाहते थे. लेकिन वह ऐसा कर नहीं पाए और लेफ्टिनेंट जनरल नदीन अंजुम को यह पद मिला. इमरान की पाक सेना से दुशमनी यहीं से शुरू हुई.
इमरान खान ने जनता से अपने वादे पूरे न करने पर पूरा ठिकरा भी आर्मी के सर पर फोड़ दिया. महंगाई और भ्रष्टाचार की वजह से पाक की जनता में भी इमरान और फौज को लेकर गुस्सा बढ़ने लगा. दूसरी तरफ पाक की सेना भी इमरान को लेकर फिर से सोचने लगी.
इस बीच तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा और लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद के बीच भतभेद पैदा हो गए.
नई सरकार के सामने भी है चुनौतियों का अंबार
पीएमएल-एन के शाहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली नई सरकार को सिर्फ खान से ही नहीं बल्कि कई कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
शाहबाज के भाई और तीन बार पाक के प्रधानमंत्री रह चुके नवाज शरीफ पर पहले ही भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में गिरावट जारी है. शेयर बाजार ने भी मूल्य खो दिया और सरकार कोई भी फैसला नहीं ले पा रही है.
शहबाज और नवाज की टीम के अलग-अलग विचार हैं. और सामने प्रतिद्वंद्वी दलों का एक अस्थिर गठबंधन है, जो अगले चुनाव में एक-दूसरे के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे.