India Maldives Relations: मालदीव (Maldives) में हुए हालिया राष्ट्रपति चुनाव में चीन समर्थित उम्मीदवार मोहम्मद मुइज्जू (Dr Mohamed Muizzu) विजेता बनकर उभरे. उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में भारत समर्थित उम्मीदवार इब्राहिम सोलिह को करीब 18 हजार वोटो के लंबे अंतर से हरा दिया. हालांकि, मोहम्मद मुइज्जू की ये जीत कई मायनों में भारत के लिहाज से अच्छी नहीं मानी जा रही है. इसके पीछे कई कारण हैं, लेकिन इसमें सबसे बड़ा कारण है मोहम्मद मुइज्जू का चीन के प्रति लगाव.
आपको बता दें कि मालदीव में किसी भी उम्मीदवार को राष्ट्रपति पद की जीत के लिए 50 फीसदी वोट जरूरी होता है. इस तरह से मोहम्मद मुइज्जू ने इस आंकड़े को पार करते हुए चुनाव में बाजी मार ली. मालदीव में राष्ट्रपति पद का चुनाव जीतने से पहले मोहम्मद मुइज्जू माले में मेयर के पद पर काबिज थे. उन्हें मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन का समर्थन प्राप्त है, जो व्यापक रूप से चीन के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हैं. अभी पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन जेल की सजा काट रहे हैं. इन्होंने भारत विरोधी इंडियन आउट अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
भारत के समर्थन का विरोध
हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के खिलाफ अपनी मंशा साफ तौर पर जाहिर कर दी. उन्होंने एक ताजा बयान में कहा कि उनकी सरकार मालदीव के लोगों के लिए फायदेमंद परियोजनाओं में बाधा नहीं डालेगी.
आपको बता दें कि साल 2018 के दौरान राष्ट्रपति सोलिह के पदभार संभालते ही भारत ने मालदीव में प्रमुख ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना सहित विभिन्न परियोजनाओं के लिए 1.4 बिलियन डॉलर की सहायता देने का वादा किया था. इसके लिए मोहम्मद मुइज्जू ने राष्ट्रपति सोलिह पर हर बड़े फैसले के लिए भारत का समर्थन मांग कर मालदीव की स्वतंत्रता और संप्रभुता से समझौता करने का आरोप लगाया था.
पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन कर चुके है मांग
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने ने अपने कार्यकाल के दौरान मालदीव से भारतीय नौसेना के हेलीकॉप्टरों और कर्मियों को हटाने का अनुरोध किया था. मुइज्जू ने भी इसी तरह का रुख अपनाने की इच्छा का संकेत दिया है. मालदीव में भारत की भागीदारी सैन्य अभ्यास, समुद्री क्षेत्र जागरूकता और हार्डवेयर और बुनियादी ढांचे के विकास के प्रावधान से परे है. इसमें तटीय रडार प्रणाली (CRS) और मालदीव में एक नए रक्षा मंत्रालय मुख्यालय के निर्माण जैसी पहल भी शामिल हैं.
इन घटनाक्रमों के मद्देनजर, मालदीव के राष्ट्रपति पद के अपवाह के नतीजे ने क्षेत्र में एक नई गतिशीलता ला दी है, जिससे भारत के राजनीतिक हितों और मालदीव के साथ उसके संबंधों पर असर पड़ा है. आने वाले महीनों में इस बदलाव के प्रभावों पर निस्संदेह बारीकी से नजर रखी जाएगी.
राष्ट्रपति सोलिह की हार की मुख्य वजह
इब्राहिम सोलिह की राष्ट्रपति चुनाव में हुई हार के पीछे कई कारण है.
- भ्रष्टाचार संबंधी मुद्दों से से निपटने में कथित विफलताएं.
- बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के प्रति सुस्त दृष्टिकोण और पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के साथ मतभेद.
- पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद का अपनी राजनीतिक पार्टी स्थापित करने के लिए सत्तारूढ़ मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) से नाता तोड़ना.
- सोलिह और नशीद के बीच सामंजस्य स्थापित करने के अंतिम पलों के प्रयासों के बावजूद कोई समझौता न हो पाना.