तालिबान के शासन वाले अफगानिस्तान में अब कौन फैला रहा है आतंक?
आईएसआईएस- खुरासान, आईएसआईएस की ही एक शाखा है. जिसे साल 2015 के जनवरी महीने में तालिबान के पाकिस्तानी सहयोगी के असंतुष्ट सदस्यों द्वारा स्थापित किया गया था.
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12 दिसंबर 2022 को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के एक चीनी होटल पर हुए हमले की जिम्मेदारी खुरासान ग्रुप (ISKP) ने ली है. दरअसल बीते 12 दिसंबर को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक जोरदार ब्लास्ट हुआ था. धमाके के बाद हमलावरों ने शहर-ए-नवा इलाके के होटल में घुसकर वहां भी हमला किया. इस होटल को चाइनीज होटल भी कहा जाता है.
हमले में पांच लोगों की मौत हो गई जिसमें दो पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं. इस हमले की चर्चा इसलिए भी ज्यादा हो रही है क्योंकि चाइनीज होटल में वरिष्ठ चीनी अधिकारी अक्सर आते-जाते रहते हैं. यह तालिबान शासित अफगानिस्तान में चीनी हितों पर पहला बड़ा हमला माना जा रहा है.
बीते दिन ही चीनी नागरिकों की सुरक्षा को लेकर काबुल में चीन के राजदूत वांग यू ने अफगानिस्तान (Afghanistan) के उप विदेशमंत्री शेर मोहम्मद स्तानकज़ई से मुलाकात की थी.
पिछले कुछ दिनों में अफगानिस्तान में लगातार कई हमले और बम विस्फोट हुए हैं और दर्जनों लोगों की मौत भी हुई है. ऐसा संदेह जताया जा रहा है कि इन हमलों का तार अफगानिस्तान में तालिबान शासन का विरोध करने वाले खुरासान ग्रुप से जुड़ा हुआ हो सकता है.
क्या है इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत
आईएसआईएस- खुरासान, आईएसआईएस की ही एक शाखा है. जिसे साल 2015 के जनवरी महीने में तालिबान के पाकिस्तानी सहयोगी के असंतुष्ट सदस्यों द्वारा स्थापित किया गया था, इस्लामिक स्टेट-खुरासान को तालिबान और अमेरिका का कट्टर दुश्मन माना जाता है.
खुरासान शब्द का नाम एक प्राचीन इलाके के नाम पर रखा गया है, जिसमें कभी उज़्बेकिस्तान, अफगानिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ईराक का हिस्सा शामिल हुआ करता था. अभी के वक्त में यह इलाका अफगानिस्तान और सीरिया के बीच का हिस्सा है.
खुरासान ग्रुप में अलग विचारधारा रखने वाले आतंकी संगठन अलकायदा से जुड़े लोग शामिल हैं. इस ग्रुप को खासतौर पर सीरिया और खुरासान से चलाया जाता है.
इराक में आईएसआईएस की शुरुआत
ISIS का गठन साल 2005 में अबू मुसल अल-जरकावी ने किया था, जो पहले इराक में अल-कायदा का नेता था. उसने ISIS शुरू करने के लिए अल-कायदा छोड़ दिया.
पत्रकार बेंजामिन हॉल ने अपनी पुस्तक इनसाइड आईएसआईएस: द ब्रूटल राइज़ ऑफ़ ए टेररिस्ट आर्मी में इस संगठन के बारे में बताते हुए लिखा है, 'साल 2005 तक, इराक में अल-कायदा एक शक्तिशाली ताकत था. लेकिन इसे आगे बढ़ाने के लिए मुजाहिदीन शूरा काउंसिल (MSC) के साथ विलय किया गया. जो अन्य जिहादी समूहों का एक नेटवर्क था और नई स्थापित सेना इराक में इस्लामिक स्टेट बन गई.'
इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत साल 2014 में तहरीक-ए-तालिबान (TTP), अलकायदा, और तालिबान लड़ाकों के अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सक्रिय होने के साथ उभरा. हालांकि इनके प्रयासों को औपचारिक जनवरी 2015 में दिया गया था.
इस्लामिक स्टेट आतंकी समूह की खुरासान शाखा बड़े पैमाने पर TTP से अलग हुए सदस्यों से ही बना है. इस समूह ने पाकिस्तान तहरीक-ए-तालिबान के साथ किसी भी संघर्ष से खुद को बचा कर रखा है.
इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत का ठिकाना कहां है?
'आईएसआईएस-के' यानी खुरासान प्रांत का ठिकाना अफगानिस्तान के पूर्वी प्रांत नंगरहार में है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच होने वाले नशीले पदार्थों का कारोबार और मानव तस्करी के रास्ते इसके पास से ही गुजरते हैं.
तालिबान को भी आईएसआईएस से खतरा
- अफगानिस्तान में वर्तमान में तालिबान की सरकार है. लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा खतरा खुरासान ग्रुप से ही लग रहा है.
- अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट का प्रभाव बढ़ने से यहां तालिबान का असर कम होगा.
- आईएसआईएस क्यों कह रहा लगातार हमला
तालिबान को नीचा दिखाना चाहती है आईएसआईएस
- आईएसआईएस अफगानिस्तान में तालिबान को भी नीचा दिखाना चाहता था.
- पिछले साल जब से तालिबन अफगानिस्तान की सत्ता में आई है तब से लगातार आईएसआईएस तालिबान को कमजोर करने की कोशिश में लगा है.
- अफगानिस्तान में हमला कर वह दिखाना चाहता है कि तालिबान यहां सुरक्षा और स्थिरता नहीं ला सकता.
- आईएसआईएस साबित करना चाहता है कि वह धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में भी नाकाम हो रहा है.
तालिबान अफगानिस्तान में आईएसआईएस को रोककर पूरी दुनिया को संदेश देने की कोशिश कर रही है कि वह आतंकी संगठनों को अब पनाह नहीं दे रहा. वहीं दूसरी तरफ आईएसआईएस को अपने अस्तित्व का खतरा महसूस हो रहा है. डर को बेचने वाला यह आतंकी समूह हर हाल में तालिबान को नीचा दिखाने की कोशिश में जुटा है.
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