Nobel Prize 2024 Winners:  साल 2024 के नोबेल पुरस्कारों का ऐलान आज सोमवार (7 अक्टूबर) से शुरू हो गया. अमेरिका ने इस साल विक्टर एंब्रोस और गैरी रुवकुन को फिजियोलॉजी और मेडिसिन के लिए नोबेल पुरस्कार दिया है. दोनों ही साइंटिस्ट को microRNA की रिसर्च करने के लिए यह सम्मान दिया गया. फिजियोलॉजी या चिकित्सा में 1901 के बाद से दिया जाने वाला यह पुरस्कार 115वां नोबेल पुरस्कार है. बीते साल 2023 में कैटलिन कारिको और ड्रू विसमैन को यह पुरस्कार दिया गया था. 


वैज्ञानिकों की भाषा में क्रोमोसोम एक ऐसी चीज है, जिसकी सभी जानकारी हमारी देह की सभी कोशिकाओं के लिए एक कंस्ट्रक्शन मैन्युअल से की जा सकती है. साइंस की भाषा में कहें तो एक कोशिका में एक जैसे क्रोमोसोम होते हैं. हर कोशिका में जीन का सेट एक समान होता है. इसका पता कैसे लगाया जाए और इसमें अंतर कैसे पता किया जाए इसका उत्तर जीन रेगुलेशन से पता किया जाता है. जीन रेगुलेशन यह भी देखता है कि प्रत्येक कोशिका प्रकार में जो जीन होता है वह सही तरीके से एक्टिव हो. 


दुनिया के सामने रखी नई खोज


यह दोनों ही साइंटिस्ट विक्टर एंब्रोज और गैरी रुवुकुन इस एक्टिविटी को जानने के लिए बेताब हो रहे थे कि यह अलग-अलग सेल्स टाइप आखिर बनते कैसे हैं. उस दौरान उन्होंने माइक्रो आरएनए की रिसर्च की, जो कि माइक्रो आरएनए का एक नया लेवल है. दोनों ही वैज्ञानिकों की खोज ने दुनिया के सामने बेहद चौंकाने वाले रिजल्ट रखे. 


नई खोज के लिए निकल पड़े विक्टर एंब्रोस 


विक्टर एंब्रोस की बात करें तो उनका जन्म 1953 में हनोवर, न्यू हैम्पशायर में हुआ था. 1979 से 1985 तक उन्होंने अपने पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अपनी नई स्थापित प्रयोगशाला में लिन - 4 उत्परिवर्ती का विश्लेषण किया. 1992 से 2007 तक वह एक मेडिकल स्कूल में प्रोफेसर भी थे. लिन - 4 उत्परिवर्ती का विश्लेषण करने के बाद उन्हें जीन क्लोनिंग की परमिशन मिली. इसके बाद एक और खोज के लिए वह निकल पड़े. उन्होंने इसका रिजल्ट भी सबके सामने रखा. 


हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में जेनेटिक्स के प्रोफेसर हैं गैरी रुवकून  


वहीं बात करते हैं वैज्ञानिक गैरी रुवकून की तो इनका जन्म 1952 में बर्कले कैलिफोर्निया में हुआ. इन्होंने 1982 में हॉवर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की. इसी दौरान उन्होंने मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में अपनी नई प्रयोगशाला में लिन - 4 जीन विनिमय की जांच की. उस दौरान जिन कैसे काम करता है? यह जानने की बजाय उन्होंने यह बताया कि यह लिन - 4 से mRNA का उत्पादन है ही नहीं. 1985 में वह मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर बने और यहां अब वह जेनेटिक्स के प्रोफेसर है.


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