नई दिल्ली: डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी के नाम का ऐलान किया है. संस्था ने इस बीमारी का नाम कोविड-19 दिया है. इस नाम का कोरोना वायरस की उत्पत्ति वाले मध्य चीन के शहर वुहान से कोई संबंध नहीं है.


डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने कहा है कि इस वायरस से होने वाली बीमारी को अन्य गलत नाम देने से रोकने के लिए ऐसा किया गया है. भविष्य में कोरोना वायरस से होने वाले प्रकोप की पहचान निश्चित करने के लिए एक मानक प्रारुप दिया गया है.


डब्ल्यूएचओ ने 2015 में में बनाया था मानक


2015 में डब्ल्यूएचओ ने एक मानक निर्धारित किया था. जिसके अनुसार, बीमारी का नाम किसी भौगोलिक स्थान, जानवर, व्यक्ति व समूह के आधार पर नहीं रखा जा सकता है. विशेषज्ञों ने चीन के भौगोलिक स्थान पर नाम न रखने के निर्णय का समर्थन किया है.





एक विश्वविद्यालय से जुड़े स्वास्थ्य विशेषज्ञ प्रोफेसर वेंडी परमेट का कहना है कि अगर कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी के नाम को वुहान से जोड़ा जाता है तो बीमारी के शिकार लोगों में उस स्थान को लेकर एक नकारात्मक विचार आएगा. उन्होंने कहा कि लोगों में बीमारी को लेकर उस स्थान के प्रति एक घृणा का भाव आएगा. जो बीमारी को लेकर अच्छा विचार नहीं होगा. ऐसे में किसी और शहर में बीमारी फैलने की जानकारी देने से लोग बचेंगे.


जानवरों से लोगों में फैलता है कोरोना वायरस


कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद ऐसा देखा जा रहा है कि एशियाई मूल के लोगों के प्रति लोगों में नफरत का विचार फैल रहा है. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि इस बीमारी का लंबा इतिहास है, जो जानवरों से लोगों में फैलता है.


प्राचीन समय में फ्रां में सिफलिस को इटैलियन बीमारी कहा जाता था. वहीं दूसरी तरफ इटली में इसे फ्रेंच बीमारी कहा जाता था. 1918 में अमेरिका में फैले इंफ्लूएंजा महामारी को स्पैनिश फ्लू कहा जाता था. गौरतलब है कि 2009 में डब्ल्यूएचओ ने स्वाइन फ्लू नाम का प्रयोग बंद कर दिया है. ऐसा देखा गया था कि इसके चलते पोर्क मांस बाजार में तेजी से गिरावट हुई थी. इसी प्रकार इबोला का नाम एक नदी के नाम पर रखा गया था. जहां इस महामारी की उत्पत्ति हुई थी.


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