नई दिल्ली: दुनिया के कई देशों में लड़कियों का खतना किया जाता है. अब WHO ने एक रिपोर्ट पेश की है जिसके मुताबिक खतना के कारण सेहत पर जो दुष्प्रभाव पड़ते हैं उनके इलाज में हर साल 1.4 अरब डॉलर का खर्चा आता है. एक अनुमान के मुताबिक 20 करोड़ से अधिक महिलाओं को हर साल खतना का सामना करना पड़ता है.
उपलब्ध जानकारी के मुताबिक जन्म से 15 साल के बीच में खतना प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है और इसका सेहत पर गहरा असर पड़ता है. अक्सर इसके कारण संक्रमण, रक्तस्राव या सदमा हो सकता है. खतना के कारण जीवन भर परेशानी उठानी होती है.
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यूएन ने जो आंकडे पेश किए हैं उनके मुताबिक कई देश अपने कुछ स्वास्थय बजट का 10 प्रतिशत खतना के इलाज पर लगाते हैं. वहीं कुछ देशों में ये आंकडा 30 प्रतिशत तक है. WHO के एक अधिकारी ने कहा कि खतना मानवाधिकारों का दुरूपयोग है और इससे लाखों लड़कियों और महिलाओं को शारीरिक और मानसिक कष्ट झेलना पड़ता है. यही नहीं इससे पैसे का भी नुकसान होता है.
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उन्होंने बताया कि इसको रोकने और खत्म करने के लिए काफी कोशिशों की जरूरत है. खतना से पीड़ित करीब एक चौथाई लड़कियों को तो इलाज तक नहीं मिल पाता है. मिस्त्र में एक महिने पहले ही 12 साल की एक लड़की खतना के कारण मर गई. 2008 से मिस्त्र में खतना प्रतिबंधित है लेकिन अभी भी वहां और सूडान में ऐसा किया जाता है.