यूरोपीय देशों ने आह्वान किया है कि महामारी की जांच के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के पास ज्यादा शक्ति होनी चाहिए और कोरोना वायरस के समय एजेंसी की कई खामियां उजागर होने के बाद देशों पर और डाटा उपलब्ध कराने का दबाव बनाया जाना चाहिए.
यूरोपीय संघ के मंत्रियों के बीच हुई बैठक
संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी को मजबूत करने के तौर-तरीकों को लेकर यूरोपीय संघ के मंत्रियों के बीच बैठक हुई. इस बैठक के बाद जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री जेन्स स्पान ने शुक्रवार को कहा कि डब्ल्यूएचओ को ज्यादा राजनीतक और वित्तीय समर्थन दिया जाना चाहिए ताकि गंभीर स्वास्थ्य संकट के दौरान उसके अंतरराष्ट्रीय प्रयास और मजबूत हों. उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘डब्ल्यूएचओ अकेले इस महामारी का बोझ नहीं उठा सकता है.’’
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एजेंसी पर लगाए थे आरोप
यूरोपीय संघ की स्वास्थ्य आयुक्त स्टेला कायरीकीड्स ने कहा कि यूरोपीय संघ के संस्थानों ने पिछले वर्ष डब्ल्यूएचओ को दस करोड़ डॉलर मुहैया कराए. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एजेंसी पर महामारी फैलने की शुरुआत में चीन के साथ ‘‘मिलकर’’ इसे छिपाने के लगातार आरोप लगाए. बाद में ट्रम्प ने डब्ल्यूएचओ को पैसा देना बंद कर दिया और फिर अमेरिका संगठन से अलग हो गया. जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री और यूरोपीय आयोग की तरफ से शुक्रवार को मुहैया कराए गए मसौदा दस्तावेज में ईयू के सदस्य देशों ने कहा कि कोविड-19 के दौरान अभूतपूर्व मांग उत्पन्न हुई ‘‘जिसे पूरा करने की क्षमता डब्ल्यूएचओ में नहीं थी और वह अपने सदस्य देशों का समर्थन करने में सक्षम नहीं हुआ.’’
देशों ने एजेंसी में सुधार के लिए कई सुझाव दिए. वर्तमान में डब्ल्यूएचओ के पास स्वतंत्र रूप से महामारी की जांच का अधिकार नहीं हैं और इसे किसी दौरे के लिए इसके प्रस्तावित विशेषज्ञों की सूची को देशों द्वारा मंजूरी देने पर निर्भर रहना पड़ता है और इसका एजेंडा भी देश ही तय करते हैं.
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