India Canada Row: हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के आरोपों के बाद भारत कनाडा के बीच उपजे तनाव पर दुनिया भर की नजर है. ऐसे में अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया का रूख भारत के लिए काफा अहम है. तीनों देशों के कई नेताओं और अधिकारियों ने भारत के लिए प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर समर्थन करते दिखते हैं.
अमेरिकी रक्षा विभाग के हेडक्वार्टर पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने कनाडा को करारा जवाब दिया है, उन्होंने कनाडा से पूछा है कि जिसके हाथ खून से सने थे, कनाडा उसका समर्थन क्यों कर रही है. माइकल रुबिन ने कहा कि अगर अमेरिका को कनाडा और भारत के बीच किसी को चुनना पड़े तो निश्चित तौर पर अमेरिका दूसरे (भारत) को चुनेगा.
'ट्रूडो ने की बहुत बड़ी गलती'
कनाडा के राष्ट्रपति जस्टिन ट्रूडो को लेकर पूर्व अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि वे बहुत ज्यादा समय तक पद पर नहीं बने रह सकते हैं, उनके जाने के बाद अमेरिका दोबारा कनाडा के साथ संबंध स्थापित कर लेगा.
माइकल रुबिन ने कहा, 'कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने बहुत बड़ी गलती की है. उन्होंने जो आरोप लगाए हैं उसका वह समर्थन नहीं कर पाए हैं. ऐसे में दो संभावनाएं हैं, एक तो यह कि जस्टिन ट्रूडो बगैर सोचे समझे बोल रहे थे, उनके पास भारत सरकार के खिलाफ लगाए गए आरोपों के समर्थन के लिए सबूत नहीं है या दूसरी संभावना है कि वहां कुछ तो है (आंतकी गतिविधियां), ऐसे में उन्हें यह बताने की जरूरत है कि उनकी सरकार एक ऐसे आतंकवादी को क्यों पनाह दे रही थी, जिसके हाथ खून से सने थे.'
माइकल ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर कहा कि उसकी हत्या को मानवाधिकार से नहीं जोड़ना चाहिए, क्योंकि वो आतंकवादी था और कई हमलों में शामिल था. उनसे पूछा गया कि क्या जस्टिन ट्रूडो ने देश की समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए विदेश नीति को देश के सामने परोस दिया है?
जवाब में माइकल रुबिन कहते हैं, 'हां, मुझे लगता है कि ऐसा ही है. जस्टिन ट्रूडो घरेलू स्तर कनाडा में राजनीति कर रहे हैं, वह दोबारा चुनाव जीतने के संकट से परेशान है, लेकिन मुझे लगता है कि जस्टिन ट्रूडो एक राजनेता के तौर पर काम कर रहे हैं. वह दूरदर्शी नहीं हैं. किसी को भी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र (भारत) के साथ लंबे वक्त के संबंधों एवज में अपनी क्षणिक राजनीतिक महात्वकांक्षा की वजह से सौदा नहीं करना चाहिए.
कनाडा के नेता ने भी ट्रूडो से पूछा सवाल
लिबरल पार्टी (जस्टिन ट्रूडो की पार्टी) के हिंदू सांसद चंद्रा आर्य ने गुरुवार (21 सितंबर) को ट्वीट कर भारत कनाडा तनाव के मुद्दे पर बयान दिया. एक वीडियो ट्वीट में उन्होंने कहा कि कनाडा में एक बड़ा सिख वर्ग खालिस्तान आंदोलन का समर्थन नहीं करता है.
पीएम ट्रूडो और उनकी अपनी पार्टी की सरकार की निंदा करते हुए आर्य ने कहा, "मुझे समझ में नहीं आता कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आतंकवाद के महिमामंडन या एक धार्मिक समूह को लक्षित करने वाले को हेट क्राइम की इजाजत कैसे दी जाती है. कनाडा में गुस्सा फैल जाएगा अगर एक श्वेत वर्चस्ववादी ने नस्लीय कनाडाई लोगों के किसी भी समूह पर हमला किया, लेकिन जाहिर तौर पर कोई भी खालिस्तानी नेता हेट क्राइम से बच जाता है.
आर्य ने कहा कि ज्यादातर कनाडाई सिख कई वजहों से खालिस्तान आंदोलन की सार्वजनिक तौर से आलोचना नहीं कर सकते हैं, लेकिन वे "पारिवारिक संबंधों और साझा सामाजिक और सांस्कृतिक संबंधों के जरिए से" कनाडाई हिंदू समुदाय के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं.
इसके अलावा उन्होंने कनाडाई हिंदुओं को सतर्क रहने और "हिंदूफोबिया की किसी भी घटना की रिपोर्ट स्थानीय कानून-प्रवर्तन एजेंसियों को करने" की सलाह दी.
घर में घिरे ट्रूडो
भारत पर खालिस्तानी आंतकी निज्जर की हत्या के आरोप लगाने के बाद जस्टिन ट्रूडो को कनाडा के नेता ने आड़े हाथों लिया था. नेता ने कहा था कि पीएम को तथ्यों के साथ सामने आना चाहिए था, अगर वे तथ्य नहीं रख पाए तो जगहंसाई का कारण बनेंगे.
पियरे ने कहा, "मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री (ट्रूडो) को सारे तथ्यों के साथ सामने आने की जरूरत है. हमें सभी संभावित सबूतों को जानने की आवश्यकता है ताकि कनाडा के नागरिक इस पर फैसला ले सकें."
वह आगे कहते हैं, "पीएम ट्रूडो ने किसी तरह के कोई तथ्य सामने नहीं रखे हैं, उन्होंने सिर्फ एक बयान दिया है. उन्होंने कनाडा के लोगों को सार्वजनिक रूप से जितना बताया है, उससे ज्यादा उन्होंने मुझे निजी तौर पर नहीं बताया. इसलिए हम और ज्यादा जानकारी जानना चाहते हैं."