डब्ल्यूएचओ ने दो अलग कंपनियों की कोरोना वैक्सीन के मिश्रण और मैचिंग को बताया 'खतरनाक ट्रेंड'
सौम्या स्वामीनाथन कहा- "यह देशों में एक अराजक स्थिति होगी यदि नागरिक यह तय करना शुरू कर दें कि दूसरी, तीसरी और चौथी खुराक कब और कौन लेगा."
![डब्ल्यूएचओ ने दो अलग कंपनियों की कोरोना वैक्सीन के मिश्रण और मैचिंग को बताया 'खतरनाक ट्रेंड' WHO Warns Against Mixing Matching Covid Vaccines says Dangerous Trend डब्ल्यूएचओ ने दो अलग कंपनियों की कोरोना वैक्सीन के मिश्रण और मैचिंग को बताया 'खतरनाक ट्रेंड'](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/07/12/a769be7b3ebba4fe547e06581067ba4d_original.png?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
कोरोना के खिलाफ जंग अभी जारी है और सबसे बड़ा हथियार इस लड़ाई में वैक्सीन को ही माना जा रहा है. कई देशों में एक बार फिर बढ़ते कोरोना के नए मामलों ने डरा कर रख दिया है. इस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रधान वैज्ञानिक ने दो अलग-अलग उत्पादकों के कोविड-19 के मिश्रण के खिलाफ चेताया और इसे गलत ट्रेंड करार दिया, क्योंकि इसको लेकर अभी तक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले आंकड़ें काफी कम हैं.
रॉयटर्स के मुताबिक, सौम्या स्वामीनाथन ने एक ऑनआलाइन ब्रीफिंग के दौरान कहा- "यह यहां पर एक खतरनाक ट्रेंड है. जहां तक मिक्स एंड मैच की बात है तो इसके लेकर न ही हमारे पास डेटा है और न ही साक्ष्य. " उन्होंने कहा- "यह देशों में एक अराजक स्थिति होगी यदि नागरिक यह तय करना शुरू कर दें कि दूसरी, तीसरी और चौथी खुराक कब और कौन लेगा."
इधर, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मानव ‘जीनोम एडिटिंग’ पर नयी सिफारिशें करते हुए एक वैश्विक रजिस्ट्री के लिए अपील की है, ताकि आनुवंशिकी में किये जाने वाले किसी भी छेड़छाड़ का पता लगाया जा सके. डब्ल्यूएचओ ने अनैतिक एवं असुरक्षित अनुसंधान से जुड़े मुद्दों को सामने लाने के लिए एक तंत्र स्थापित करने का भी प्रस्ताव किया है.
‘जीनोम एडिटिंग’ प्रौद्योगिकियों का एक समूह है, जो वैज्ञानिकों को किसी जीव के डीएनए में बदलाव करने में सहायता करता है. संयुक्त राष्ट्र की संस्था ने चीनी वैज्ञानिक हे जैनकुई के इस नाटकीय ऐलान के बाद 2018 के अंत में एक विशेषज्ञ समूह गठित किया था कि उन्होंने विश्व के पहले ‘जीन एडिटेड’ (आनुवांशिकी में बदलाव) बच्चे को सृजित किया है.
डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ समूह ने सोमवार को अपनी दो रिपोर्ट में कहा कि मानव जीनोम एडिटिंग से जुडे सारे अध्ययनों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए. हालांकि, समूह ने यह भी जिक्र किया कि इससे सिद्धांतों से भटके हुए या नैतिकता का पालन नहीं करने वाले वैज्ञानिकों को नहीं रोका जा सकता. समूह ने कहा कि ‘स्टेम सेल’ अनुसंधान के क्षेत्र में अनैतिक उद्यमियों और क्लीनिकों ने जानबूझ कर क्लीनिकल परीक्षण रजिस्ट्री का दुरूपयोग किया है.
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