Rishi Sunak: ब्रिटेन में नए पीएम के चुनाव की प्रक्रिया संपन्न हो गई है. कुछ ही समय में नए प्रधानमंत्री के नाम का ऐलान कर दिया जाएगा. इस चुनाव में टक्कर भारतीय मूल के ऋषि सुनक (Rishi Sunak) और लिज ट्रस (Liz Truss) के बीच है. सोमवार को होने वाला ऐलान तय करेगा कि 10 डाउनिंग स्ट्रीट के प्रधानमंत्री आवास पर पहुंचने वाला नया चेहरा कौन होगा.
बीते डेढ़ महीने से चल रही कवायद में कई दौर की वोटिंग हुई. इसमें सबसे अहम मतदान कंजरवेटिव पार्टी (Conservative Party) के 1.6 लाख से अधिक सदस्यों का था, जिसकी प्रक्रिया शुक्रवार को पूरी हो गई. अब सोमवार को पार्टी एक विजेता का ऐलान करेगी और जीतने वाला न केवल कंजरवेटिव पार्टी का नेता होगा बल्कि ब्रिटेन का नया पीएम भी होगा.
ब्रिटेन के चुनाव में भारत की दिलचस्पी क्यों?
ब्रिटेन के इस चुनाव में भारत (India) की दिलचस्पी का एक बड़ा कारण ऋषि सुनक हैं, जो न केवल भारतीय मूल के हैं बल्कि भारत के दामाद भी हैं. दरअसल, उनकी पत्नी अक्षिता भारतीय आईटी उद्योगपति एन आर नारायणमूर्ति की बेटी हैं. इतना ही नहीं, आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे भारत के लिए यह किसी उपलब्धि से कम नहीं कि 200 साल उस पर राज करने वाले ब्रिटेन में प्रधानमंत्री की कुर्सी के दावेदारों में एक चेहरा भारतीय मूल का भी है.
ब्रेक्सिट चुनावों में भारी जीत दर्ज कर सत्ता में आए बोरिस जॉन्सन की सरकार में 42 वर्षीय ऋषि सुनक वित्त मंत्री रहे. वहीं उनका मुकाबला जिन लिज ट्रस से हैं वो भी बोरिस सरकार में विदेश मंत्री की भूमिका संभालती रही हैं. दोनों ही उम्मीदवार 6 अन्य दावेदारों को पछाड़कर रेस में आगे आए.
बोरिस को क्यों छोड़ना पड़ा पद
ब्रिटेन में चार दशकों के बाद कंजरवेटिव पार्टी के लिए सबसे बड़ी जीत लाने वाले बोरिस जॉन्सन महज ढाई साल में विवादों में उलझकर इस्तीफे को मजबूर हो गए. बढ़ती महंगाई की शिकायत से लेकर उनके करीबी और पार्टी के डिप्टी चीफ व्हिप क्रिस पिंचर के प्राइवेट पार्टी में दो आदमियों को दबोचने के मामले पर उठे विवाद ने बोरिस को कुर्सी छोड़ने पर मजबूर कर दिया. सरकार पर लगते आरोपों और भीतर बढ़ते विवाद के बीच ऋषि ने 5 जुलाई 2022 को अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. साथ ही कुछ दिन बाद प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए दावेदारी की घोषणा कर दी.
कैसे बढ़ी चुनाव की कवायद?
बोरिस जॉन्सन (Boris Johnson) सरकार पर गहराते संकट के साथ ही 2019 के चुनावों में जनता का मत हासिल करने वाली कंजरवेटिव पार्टी ने अपना नया संसदीय नेता चुनने की कवायद शुरू कर दी. इस कड़ी में पार्टी के 357 सांसदों ने विभिन्न उम्मीदवारों को लेकर पांच दौर की वोटिंग की. सांसदों की वोटिंग में ऋषि सुनक 137 वोट के साथ सबसे आगे रहे, जबकि दूसरे स्थान पर रही लिज़ ट्रस को सुनक के मुकाबले 24 वोट कम मिले.
तय प्रक्रिया के मुताबिक सांसदों की वोटिंग के बाद तय हुए दो उम्मीदवारों में से एक के चुनाव के लिए पार्टी सदस्यों से वोटिंग की कवायद शुरू हुई, जो 1 सितंबर 2022 को खत्म हो गई. इस मतदान में 3 जून 2022 से पहले पार्टी के सदस्य बने लोगों को वोट देने का अधिकार दिया गया. यह सीक्रेट वोटिंग प्रत्यक्ष या ऑनलाइन की गई.
नतीजों के बाद क्या होगा?
कंजरवेटिव पार्टी में हुए इस मतदान के बाद लंदन में सोमवार की दोपहर यानी भारत में शाम करीब 5 बजे विजेता का ऐलान किया जाएगा. इस ऐलान के बाद कार्यवाहक प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन अपने पद छोड़ने की औपचारिक घोषणा करेंगे और ब्रिटेन की महारानी से मुलाकात करने के लिए जाएंगे.
बालमोरल कैसल से होगा ऐलान
ब्रिटेन में नए प्रधानमंत्री की तस्वीरें आमतौर पर लंदन के बकिंघम पैलेस से आती हैं जो महारानी का आधिकारिक आवास है, लेकिन अबकी बार यह तस्वीरें स्कॉटलैंड से आएंगी. महारानी एलिजाबेथ इन दिनों स्कॉटलैंड के बालमोरल कैसल में हैं और उनके फिलहाल जल्द लंदन लौटने की संभावना नहीं है. लिहाजा प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन मंगलवार 6 सितंबर को उनसे मिलने और इस्तीफा सौंपने लंदन से स्कॉटलैंड जाएंगे. साथ ही पार्टी के नए चुनाव की भी औपचारिक जानकारी महारानी को दी जाएगी.
ऋषि सुनक और लिज ट्रस में से जीतने वाले उम्मीदवार की भी जॉन्सन के बाद महारानी से मुलाकात होगी. तय प्रक्रिया के मुताबिक महारानी का हाथ चूमने के साथ ही नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति होगी. स्कॉटलैंड से लौटने के बाद नया नेता 10 डाउनिंग स्ट्रीट के आधिकारिक आवास पर पहुंचेगा. मीडिया कैमरों के सामने अपना बयान देगा और साथ ही अपनी नई कैबिनेट के गठन की कवायद भी शुरू करेगा. नए प्रधानमंत्री को बुधवार 7 सितंबर को ब्रिटिश संसद में प्रश्नकाल में जवाब देने के लिए उपस्थित रहना होगा.
ऋषि की दावेदारी कहां मजबूत-कहां कमजोर?
कंजरवेटिव पार्टी में सांसदों के बीच हुई 5 दौर की वोटिंग में ऋषि सुनक हर बार लगातार आगे रहे. साल 2015 में पहली बार ब्रिटिश संसद में पहुंचे ऋषि महज तीन साल के भीतर थेरेसा सरकार में मंत्री बन गए. वहीं 2019 में तीसरी बार चुनाव जीतने पर ऋषि को बोरिस जॉन्सन ने अपनी सरकार में वित्त मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटि से अर्थशास्त्र की पढ़ाई और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए करने वाले सुनक ब्रिटिश खजाने की सेहत सुधारने के लिए लिहाज से एक बेहतर डॉक्टर माने जा रहे हैं. साथ ही ब्रिटेन के अमीर सांसदों में शुमार ऋषि कम उम्र होने के कारण लंबी संभावना वाले नेता भी माने जाते हैं.
ऐसे में इस चुनाव में बाजी हारने पर भी उनके पास अगली बार सीधे आम चुनाव लड़ने का मौका रहेगा. मौजूदा रेस को लेकर ब्रिटेन के चुनावी पंडित मान रहे हैं कि बाजी लिज़ ट्रस के हाथ रह सकती है, क्योंकि ब्रिटिश कंजरवेटिव पार्टी के सदस्यों में ऋषि की बजाय ब्रिटिश मूल की लिज के प्रति झुकाव ज्यादा है.
आसान नहीं होगी नए ब्रिटिश पीएम की डगर
ब्रिटेन में आम चुनावों में दो साल का वक्त बचा है. ऐसे में विवादों के बवंडर के साथ हुए इस मध्यावधि बदलाव के बाद कुर्सी संभालने वाले नए नेता के सामने अपनी नई टीम बनाना भी चुनौती होगा. साथ ही 9 फीसद से अधिक चल रही महंगाई के बीच अर्थव्यवस्था को संभालना भी चुनौती होगा. साथ ही सर्दियों की शुरुआत से पहले अक्टूबर में गैस के दाम तय करना पहली मुश्किल होगी. रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते पूरे यूरोप में गैस के दामों में खास बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में गैस की सर्वाधिक खपत वाली सर्दियों में कीमतों को कम रखना नए ब्रिटिश पीएम की परीक्षा होगी. ऐसे में ब्रिटेन में समय से पहले आम चुनावों की घोषणा हो जाए तो बड़ा आश्चर्य नहीं होगा
ऋषि बनें या लिज, भारत को मिलेगी अहमियत
भारत और ब्रिटेन के रिश्तों का विस्तार यह साफ करता है कि पीएम की कुर्सी पर ऋषि सुनक बैठें या लिज़ ट्रस उसे इन संबंधों को अहमियत देनी होगी. ब्रिटेन में प्रवासी भारतीयों की संख्या करीब 35 लाख है, जो आबादी का 5% फीसद है, लेकिन ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में उनकी हिस्सेदारी 6 प्रतिशत से अधिक है. साथ ही ब्रिटेन में पैदा होने वाली प्रवासी आबादी में भी सबसे बड़ी संख्या भारतीयों की ही है. ब्रिटिश नेशनल हेल्थ सिस्टम में सबसे बड़ी संख्या ब्रिटेन के डॉक्टर्स की है.
ऋषि सुनक के पास जहां उनके भारतीय मूल का होना एक विशेष अहमित रखता है. वहीं लिज़ ट्रस भी भारत और प्रवासी भारतीयों को नज़रअंदाज़ करती नज़र नहीं आना चाहती हैं. अपने इस चुनाव से चार महीने पहले ही लिज़ भारत के दौरे पर आई थीं. इतना ही नहीं ब्रिटेन के पीछे छोड़ दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बने भारत के साथ नया ब्रिटिश नेतृत्व बेहतर आर्थिक तालमेल और साझेदारी की कोशिश करेगा, ताकि 1.30 लाख करोड़ के द्विपक्षीय कारोबार का ग्राफ तेजी से बढ़े और उसका फायदा उठाया जा सके.
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