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रूस-यूक्रेन युद्ध के 12 महीने: चीन का एक फैसला क्यों पूरी दुनिया के लिए बना बड़ा खतरा? 

24 फरवरी को रूस -यूक्रेन युद्ध के पूरे एक साल कंप्लीट हो जाएंगे. एक साल पूरा होने पर अमेरिका का ये कहना है कि चीन रूस को हथियारों की मदद पहुंचाने वाला है, जिससे यूक्रेन पर हमला और बढ़ सकता है.

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने एक इंटरव्यू में कहा कि चीन रूस को हथियार और गोला-बारूद देने पर विचार कर रहा है. अगर ऐसा होता है तो आगे चल कर यूक्रेन में हालात और बदतर हो जाएंगे. एंटनी ब्लिंकन ने आगे कहा कि चीन रूस की कार्रवाई की ना तो आलोचना करता है ना ही वो रूस पर यूक्रेन के हमले को गलत मानता है. उन्होंने बीजिंग को चेतावनी दी कि चीन की तरफ से कोई भी आपूर्ति "गंभीर समस्या पैदा करेगी."

कुल मिलाकर अमेरिका की टिप्पणी रूस-यूक्रेन जंग में चीन के लिए अभी तक की सबसे साफ चेतावनी के रूप में दिखाई दे रही है. इससे ये भी संकेत मिल रहा है कि यूक्रेन युद्ध के एक साल पूरा होने पर चीन रूस को राजनीतिक या कूटनीतिक समर्थन से आगे बढ़कर यूक्रेन के खिलाफ जारी लड़ाई में मदद करने के लिए तैयार हो सकता है.
 
दूसरी तरफ चीन ने रूस की तरफ से आए किसी भी सैन्य उपकरणों की मांग को सिरे से नकारा है. वहीं चीन ये भी कहा है कि रूस को अमेरिका ने यूक्रेन पर हमला करने के लिए मजबूर किया. रूस ने यूक्रेन पर 24 फरवरी 2022 को हमला किया था. हमले से कुछ हफ्ते पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शीतकालीन ओलंपिक के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी. तब दोनों की मुलाकात पर पश्चिमी देशों ने आपत्ति जताई थी. उस वक्त भी चीन ने पश्चिमी देशों की आलोचनाओं को नजरअंदाज कर दिया था. 

ब्लिंकन ने रविवार को एनबीसी से कहा कि चीन रूस और पश्चिमी देशों को अपने तरीके से लुभाने की कोशिश करता आया है, ये तब भी ठीक था, लेकिन अगर चीन ने रूस को किसी भी तरह की कोई सैन्य मदद पहुंचाई तो ये रूस को जंग के लिए प्रोत्साहित करना माना जाएगा और इसके नतीजे सबसे खतरनाक होंगे. 

ब्लिंकन क्यों कर रहा है दावा?

अब तक रूस के लिए चीन का समर्थन और बयानबाजी अमेरिका को खटकता आया है. ब्लिंकन ने इस का जिक्र म्यूनिख, जर्मनी में एक सुरक्षा सम्मेलन में भी किया था. उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका लंबे समय से इस बात को लेकर चिंतित रहा है कि चीन रूस को हथियार प्रदान करेगा और " घातक मदद यानी गोला -बारूद जैसे हथियारों से मदद पहुंचाना यूक्रेन के खिलाफ चीन का एक बड़ा कदम माना जाएगा.

बता दें कि ब्लिंकन का ये बयान चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सबसे वरिष्ठ विदेश नीति अधिकारी वांग यी से बातचीत करने के बाद आया है. ब्लिंकन ने कहा कि "मैंने वांग यी के साथ यूक्रेन मामले पर साफ बातचीत की और ये कहा कि चीन की तरफ से रूस को कोई भी मदद पहुंचाए जाने पर सिर्फ समस्या ही पैदा होगी. 

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने भी इसे लेकर अपनी चिंता जाहिर की है.  लिंडा ने कहा कि रूस को हथियार देने के चीन के किसी भी प्रयास खतरे के निशान को और गहरा करेगा. जिसका हर्जाना चुकाना पड़ेगा. यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद रूसी और चीनी सेनाओं ने संयुक्त सैन्य अभ्यास भी किया है.

चीन ने इस मामले पर क्या कहा है?

वांग और ब्लिंकन के बीच बैठक के बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया था. बयान में ये कहा गया था कि चीन ने हमेशा यूक्रेन संघर्ष में एक रचनात्मक भूमिका निभाई है. चीन का मकसद सिर्फ शांति को बनाए रखना है और सिद्धांतों का पालन करते हुए वार्ता को आगे बढ़ाना है.

बीजिंग का कहना है कि उसने रूस के साथ एक सामान्य व्यापार संबंध जारी रखा है, जिसमें तेल और गैस की खरीद अहम है. ये ठीक वैसा ही है जैसे भारत दूसरे देशों के साथ चीजों की खरीद-फरोख्त करता है. ये एक बिजनेस से ज्यादा और कुछ नहीं है. दूसरी तरफ चीन की तरफ से रूस को हथियार देने के कोई भी कागजात अबतक सामने नहीं आए हैं.

अगर चीन रूस की मदद करता है तो क्या हो सकता है?

ब्लिंकन ने एनबीसी को बताया, "हमारी जानकारी के अनुसार, चीन ने अभी तक उस रेखा को पार नहीं किया है. ब्लिंकन ने यह भी नहीं बताया कि चीन के जवाब में अमेरिका ने क्या तैयारियां की हैं, लेकिन ये इशारा दिया कि चीन का रूस के लिए सैन्य समर्थन संबंधों को पूरी तरह से बिगाड़ देगा. और इसका परिणाम अब तक सबसे खराब होगा. अमेरिका का कहना है कि ताइवान चीन का सबसे संवेदनशील मुद्दा है. और रूस के समर्थन के बाद हम अपना ताइवान को देने वाला समर्थन और बढा देंगे. 

बता दें कि चीन ताइवान पर अपना हक जताता है वहीं ताइवान वहीं खुद को स्वतंत्र देश समझता है. अमेरिका ताइवान को सपोर्ट करता है, और चीन के लिए अमेरिका को ताइवान का सपोर्ट सरदर्द बना हुआ है. ताइवान अमेरिकी रक्षात्मक हथियारों का बड़ा खरीदार भी है. ये बात भी चीन को परेशान करती है. 

यूक्रेन पर हमले के लिए रूस की मदद को लेकर अमेरिका ने कई चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रोक लगाने और कई चीनी फर्मों  पर रोक लगाने की बात कही है. अमेरिका का कहना है कि ये चीनी फर्म चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से संचालित होती हैं और वो मीडिया से लेकर विपक्षी दलों की आवाज को दबाने का काम करती हैं. 

अमेरीका ने चीन के खिलाफ पहले ही ट्रेड वॉर छेड़ रखा है. अगर चीन रूस को यूक्रेन मामले में मदद पहुंचाता है तो ये ट्रेड वॉर और बढ़ जाएगा.

एशिया प्रशांत क्षेत्र की मुख्य अर्थशास्त्री एलिसिया गार्सिया-हेरेरो ने एक रिपोर्ट में लिखा कि चीन रूस को 90 अरब डॉलर की मदद कर रहा है . इसके बाद पश्चिमी देशों के बैंकों ने रूस के लगभग 315 बिलियन डॉलर फ्रिज कर दिया. ऐसे में चीन की हथियारों की मदद की वजह से रूस पर कई बड़े बैंक नए प्रतिबंध लगाने को मजबूर हो जाएंगे.

भारत पर रूस के लिए चीन की मदद का क्या असर पड़ेगा 

रूस यूं तो भारत का पारंपरिक दोस्त रहा है, लेकिन रूस जिस तरह चीन से करीबी बढ़ा रहा है, उसका असर भारत पर भी पड़ेगा. चीन और भारत के बीच 1962 से सीमा विवाद चला आ रहा है. भारत और अमेरीका में करीबी की वजह से भी रूस और भारत के बीच दूरियां बढ़ी हैं.

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट के मुताबिक 2008-2012 तक भारत के कुल हथियार आयात का 79 फीसदी रूस से होता था जो पिछले पांच सालों में घटकर 62 फीसदी हो गया है. 

यूक्रेन पर रूस के हमले से पहले चीन और रूस ने मिलकर एक बयान दिया था. इस बयान में कहा गया था कि रूस और चीन की दोस्ती की कोई सीमा नहीं है. साफ है कि रूस और चीन के बीच दोस्ती और सहयोग बड़े स्तर पर है. यूक्रेन हमले के बाद  रूस और चीन और करीब आ गए हैं. चीन का सहयोग रूस से और बढ़ा है और ये भारत के लिए बुरी खबर है . 

चीन रूस की मदद करता है तो दो धड़े में बट जाएगी दुनिया

अमेरिका की प्रभुत्वकारी नीतीयों से पहले ही तमाम एशियाई देश नाखुश हैं. रूस यूक्रेन युद्ध के बाद चीन और रूस के बीच ट्रेड बढ़ा है . चीन ने एक तरफ ये भी कहा है कि वो यूक्रेन की प्रभुसत्ता का सम्मान करता है लेकिन वहीं दूसरी तरफ नाटो देशों के रूस की सीमा पर आने से चीन नाखुश है. ऐसे में अगर चीन रूस को हथियार पहुंचाता है तो देश दो धड़े में बंट जाएगा. नाटो और अमेरिका एक तरफ हो जाएंगे और ये लड़ाई नाटो, अमेरिका vs चीन -रूस की हो जाएगी. इसका शिकार दुनिया के सबी देश होंगे. 

अमेरिका और भारत के रिश्ते में उतार-चढाव आते रहते हैं. वहीं रूस और भारत के संबध बहुत पुराने हैं. भारत का 85 प्रतिशत मिलिट्री फोर्स रूस से ही आता है. वहीं चीन और भारत के बीच पुराना सीमा विवाद हैं. ऐसे में चीन और रूस करीब आते हैं तो भारत पर भी इसका कहीं ना कहीं उल्टा असर पड़ेगा. 

चीन रूस की मदद करेगा तो पूरे विश्व में होगा युद्ध

इस सब के बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने भी चीन को चेतावनी दी है. व्लादिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि अगर चीन रूस साथ देता है तो विश्वयुद्ध हो जाएगा.

जेलेंस्की ने एक जर्मन अखबार से बातचीत के दौरान कहा कि, 'हमारे लिए यह जरूरी है कि चीन इस युद्ध में रूस का साथ न दे, हम तो ये चाहते हैं कि चीन हमारे साथ रहे, लेकिन ये मुमकिन नहीं लग रहा है . उन्होंने आगे कहा, 'अभी यह युद्ध सिर्फ दो देशों में हो रहा है लेकिन अगर चीन ने रूस का साथ समर्थन किया विश्व युद्ध होगा. मुझे लगता है चीन भी इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ है. 

रूस और चीन की बढ़ रही है करीबी

पिछले दिनों ये भी खबर आई थी कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मॉस्को में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के विदेश नीति प्रमुख से मुलाकात कर सकते हैं.  मुलाकात की खबर ऐसे समय में आयी जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से पूर्व सूचना दिए बगैर मुलाकात की . मुलाकात के बाद ब्लिंकन ने ट्वीट कर यूक्रेन में रूस को सहायता देने पर चीन को चेतावनी दी. 

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