हर वायरस विकसित और म्यूटेट होते हैं यानी उनका रूप लगातार बदलते रहता है. ये म्यूटेट होने के बाद ज्यादा संक्रामक और मजबूत हो जाते हैं. कुछ ऐसा ही मामला कोरोना वायरस के साथ भी है. वायरस का नया रूप यानी स्ट्रेन तेजी से बीमारी फैला रहा है.


कोविड-19 स्ट्रेन चिंता के वैरिएन्ट्स-CDC


पिछले कुछ महीनों के दौरान दुनिया में नए स्ट्रेन के मामले उजागर हुए हैं. यूके वैरिएन्ट ज्यादा संक्रामक है और दक्षिण अफ्रीका का वैरिएन्ट ज्यादा घातक. नए वैरिएन्ट्स के मामले ब्राजील और भारत से भी आ रहे हैं. इस बीच, कैलिफोर्निया में पहली बार सामने आए कोरोना वायरस के दो स्ट्रेन को सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन ने अधिकृत रूप से 'चिंता के वैरिएन्ट्स' के तौर पर परिभाषित कर दिया है.


ऐसा करने के पीछे संक्रमण में वृद्धि, अस्पतालों में ज्यादा भर्ती होना, मौत, पूर्व के संक्रमण या टीकाकरण से एंटी बॉडीज के असर में स्पष्ट कमी, इलाज या वैक्सीन का कम प्रभाव या पहचान में विफलता के सबूत को बताया गया है. सीडीसी ने रविवार को खुलासा किया कि परिभाषित वैरिएन्ट्स B.1.427 और B.1.429 करीब 20 फीसद ज्यादा संक्रामक हो सकते हैं.


उसने बताया कि कुछ कोविड-19 के इलाज भी स्ट्रेन के खिलाफ कम असरदार हो सकते हैं. वर्तमान में सीडीसी की तरफ से परिभाषित कोरोना वायरस के पांच स्ट्रेन बतौर 'चिंता के वैरिएन्ट्स' हैं. कैलिफोर्निया में उजागर हुए इन दो के अलावा अन्य B.1.1.7 मूल रूप से ब्रिटेन में पाया गया था, B.1.351 का पता दक्षिण अफ्रीका में चला  और P.1 की पहचान ब्राजील में हुई.


एहतियाती उपाय का अपनाना जरूरी है


सीडीसी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस के वैरिएन्ट्स के कुल 4,855 मामले दर्ज किए गए हैं. इन मामलों की ज्यादातर संख्या 4,686 की वजह B.1.1.7 वैरिएन्ट्स है. इसके अलावा, B.1.351 स्ट्रेन के 142 मामले और P.1 स्ट्रेन के 27 मामलों का पता चला. जन स्वास्थ्य अधिकारियों की सलाह है कि सुरक्षात्मक उपाय जैसे मास्क का इस्तेमाल, शारीरिक दूरी, हाथ की स्वच्छता और टीकाकरण कोविड-19 संक्रमण और उभरते हुए स्ट्रेन को रोकने में मदद कर सकते हैं.


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