नोबेल पुरस्कार विजेताओं और नेताओं के एक समूह ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से गुहार लगाई है. उन्होंने मांग की है कि कोविड-19 वैक्सीन बनाने के लिए अमेरिकी बौद्धिक सम्पदा नियम को माफ कर अधिक आसानी उपलब्ध कराई जाए. बुधवार को 100 से ज्यादा नोबेल पुरस्कार विजेता और दुनिया के 75 पूर्व नेताओं ने बाइडेन के नाम एक पत्र लिखा है. उसमें वैक्सीन के पेटेंट को सस्पेंड करने की मांग की गई है. उन्होंने विकासशील देशों के साथ न सिर्फ वैक्सीन साझा करने का मुद्दा उठाया, बल्कि जानकारी भी मुहैया कराने की मांग की. उनका कहना है कि इससे उन्हें वैक्सीन बनाने की इजाजत मिल सकेगी.
अमेरिका से कोविड-19 वैक्सीन पर पेटेंट कानून हटाने की मांग
उन्होंने राष्ट्रपति से महामारी को खत्म करने के लिए जरूरी और महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने का आह्वान किया. उन्होंने आगे बताया, "इससे जिंदगी बचेगी और दुनिया हर्ड इम्यूनिटी की तरफ वापसी करेगी." चिट्ठी में कहा गया कि वर्तमान दर के हिसाब से दुनिया के सबसे गरीब राष्ट्रों को बड़े पैमाने पर सुरक्षित करने के लिए कम से 2024 तक इंतजार करना होगा. चिट्ठी पर ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन, सोवियत संघ के पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव और फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसिस होलान्डे जैसी दुनिया की जानी मानी हस्तियों के हस्ताक्षर हैं. नियमों में ढील देने पर विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों को बौद्धिक सम्पदा का अधिकार सस्पेंड करने की अनुमति मिलेगी जिसका फायदा अभी फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन जैसी कंपनियां उठा रही हैं. इससे विकासशील देशों को वैक्सीन बनाने और इलाज के विरोध का डर खत्म हो सकेगा.
नोबेल विजेताओं और विश्व की जानी मानी हस्तियों ने लिखा खत
साल दक्षिण अफ्रीका और भारत ने विश्व व्यापार संगठन में इस तरह के निलंबन का प्रस्ताव पेश किया था, ये कहते हुए कि दुनिया में बड़े पैमाने पर टीकाकरण का लाभ लोगों को मिले. मगर इस कवायद को तीखा विरोध का सामना करना पड़ा. मार्च में अमेरिका, ब्रिटेन और सभी यूरोपीय संघ के सदस्यों ने नियमों में छूट दिए जाने को रोकने के लिए वोट किया, उनकी दलील थी कि उन्हें नई मेडिकल तकनीक के विकास के लिए आर्थिक प्रोत्साहन को संरक्षित करने की जरूरत है. उनका विरोध निजी सेक्टर की तरफ से भी साझा किया गया.
अमेरिकी व्यापार संघ ने इस तरह के प्रस्ताव को 'गुमराह' और उन प्रयासों से 'ध्यान' भटकानेवाला कहा था जो विकासशील देशों के साथ वैक्सीन साझा करने के लिए किए जा रहे हैं. भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया के नेताओं ने पिछले महीने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ कोविड-19 वैक्सीन बनाने और वितरित करने के लिए काम करने के मंसूबों का एलान किया था, जिससे हिंद प्रशांत क्षेत्र में एक बिलियन लोगों तक वैक्सीन को पहुंचा जा सके. अलग से, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिकी और जापान ने 2022 की शुरुआत में भारत में अमेरिकी वैक्सीन के उत्पादन को तेज करने पर सहमति जताई है.