अमेरिका में इंडियंस ग्रीन कार्ड धारकों की चिंता क्यों बढ़ा रही ट्रंप की नई सोशल मीडिया पॉलिसी, जानिए
अमेरिका में ट्रंप प्रशासन की नई सोशल मीडिया पॉलिसी ग्रीन कार्ड आवेदकों के लिए चिंता का कारण बन रही है, खासकर भारतीय नागरिकों के लिए जो राजनीतिक राय रखने के चलते मुश्किलों में फंस सकते हैं.

अमेरिका में ग्रीन कार्ड पाने की प्रक्रिया में ट्रंप प्रशासन ने एक नई नीति प्रस्तावित की है, जो भारतीय नागरिकों के लिए चिंता का कारण बन गई है. इस नए प्रस्ताव के तहत अब वे ग्रीन कार्ड आवेदक जो पहले से अमेरिका में रह रहे हैं, उन्हें भी अपनी सोशल मीडिया जानकारी देने की जरूरत होगी. यह कदम सोशल मीडिया पर एक्टिव राजनीतिक चर्चाओं और राय रखने वाले भारतीय ग्रीन कार्ड धारकों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है.
जहां सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में बता रही है तो वहीं नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मान रहे हैं. ऐसे में इस रिपोर्ट में विस्तार से समझते हैं कि क्या है ट्रंप सरकार की ये नीति और यह भारतीय समुदाय के लिए चिंता का कारण क्यों बन रही है.
क्या है नई पॉलिसी?
अमेरिकी नागरिकता और इमीग्रेशन सर्विस (USCIS) ने 5 मार्च को घोषणा की कि वे ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन करने वालों से उनके सोशल मीडिया हैंडल्स की जानकारी इकट्ठा करेंगे. इसके पीछे सरकार का कहना है कि यह कदम उनकी वेरिफिकेशन, राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए ज़रूरी है. ट्रंप प्रशासन इसे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा के खतरे’ से बचने के लिए एक ज़रूरी कदम मानता है.
भारत के नागरिकों में बढ़ी चिंता
अब इस नीति के लागू होने से सबसे ज्यादा चिंता भारतीय ग्रीन कार्ड धारकों को हो रही है. खासकर उन लोगों को जो राजनीति और वैश्विक मामलों पर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं. भारत में मोदी सरकार, भारत-अमेरिका रिश्ते और अन्य राजनीतिक मुद्दों पर अक्सर चर्चा होती रहती है. ऐसे में सोशल मीडिया पर व्यक्त की गई कोई भी राय अब उन्हें मुश्किल में डाल सकती है.
अगर भारतीय नागरिक अपनी ऑनलाइन गतिविधियों की वजह से किसी विवाद में फंसते हैं, तो इसका सीधा असर उनके ग्रीन कार्ड आवेदन पर पड़ सकता है. ऐसे में कई लोग अब सोशल मीडिया पर अपनी राय रखने से बचने की कोशिश कर सकते हैं, ताकि उनकी बातों का गलत मतलब न निकाला जाए.
स्वतंत्रता और पहले संशोधन का उल्लंघन?
लोगों का कहना है कि यह कदम उनके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (First Amendment) का उल्लंघन कर रहा है. अमेरिका के संविधान में हर नागरिक को अपनी राय रखने का अधिकार दिया गया है, लेकिन इस नए प्रस्ताव के बाद लोग डरने लगे हैं कि कहीं उनका सोशल मीडिया पोस्ट उन्हें ग्रीन कार्ड पाने से रोकने का कारण न बन जाए.
अलग-अलग विचार और असमानता का डर
साथ ही, कुछ लोगों को यह चिंता है कि यह नीति असमान रूप से लागू हो सकती है. उदाहरण के लिए, भारतीय नागरिकों का कहना है कि अगर उनका राजनीतिक विचार या सोशल मीडिया पर साझा की गई राय सरकार को नापसंद आती है, तो उन्हें ग्रीन कार्ड के आवेदन से रिजेक्ट किया जा सकता है. ऐसे में उन्हें डर है कि यह कदम उनके लिए असमान रूप से लागू हो सकता है और यह प्रक्रिया में और जटिलता ला सकता है.
क्या होगा आगे?
यूएससीआईएस ने इस प्रस्ताव पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया आमंत्रित की है और 5 मई तक लोग इस पर अपनी राय दे सकते हैं. हालांकि, अब तक इस प्रस्ताव के खिलाफ अधिकतर प्रतिक्रियाएं नकारात्मक आई हैं, खासकर फ्री स्पीच (स्वतंत्र अभिव्यक्ति) के अधिकार के उल्लंघन को लेकर.
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