बेलारूस यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का समर्थन क्यों कर रहा है?
रणनीतिक रूप से बेलारूस रूसी सैन्य प्रयास के लिए महत्वपूर्ण है. यह यूक्रेन के साथ लगभग 700 मील की सीमा साझा करता है और कीव रूस की तुलना में बेलारूस के करीब है.
रूस और यूक्रेन के बीच एक महीने से भी अधिक समय से युद्ध जारी है. अब तक दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष में सुरक्षाबलों समेत कई निर्दोश नागरिकों की जान जा चुकी है. इस युद्ध की वजह से लगभग 40 लाख लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं और देश की एक चौथाई आबादी विस्थापित हो गई है.
जहां एक ओर पूरी दुनिया रूस से युद्ध खत्म करने की गुहार लगा रही है तो वहीं एक देश ऐसा भी है जो यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का समर्थन कर रहा है. इस देश का नाम बेलारूस है. बेलारूस न सिर्फ यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का समर्थन कर रहा है बल्कि रूसी सेना को यूक्रेन के खिलाफ अपनी जमीन का इस्तेमाल भी करने दे रहा है. ऐसे में आपके मन में भी सवाल होगा कि बेलारूस आखिर क्यों रूस के साथ है ? आइए जानते हैं....
रूस के साथ घनिष्ठ आर्थिक और राजनीतिक संबंध
आपको बता दें कि बेलारूस सोवियत संघ का हिस्सा था और सोवियत संघ के पतन के बाद 1991 में एक स्वतंत्र देश बन गया. बेलारूस तब से ही रूस के साथ घनिष्ठ आर्थिक और राजनीतिक संबंध बनाए हुए है.
बेलारूस की सीमा तीन नाटो सदस्य देश की सीमा से लगती है जो कभी साम्यवादी राज्य थे. इन तीन देशों के नाम हैं लातविया, लिथुआनिया और पॉलैंड. ये तीनों देश और अन्य कई देश जो कभी सोवियत संघ का हिस्सा थे, वे अब नाटो और यूरोपीय संघ के पश्चिमी गठबंधनों में शामिल हो गए हैं. इसके ठीक विपरित बेलारूस रूस के साथ बना हुआ है.
रूस के लिए रणनीतिक रूप से बेलारूस है महत्वपूर्ण
रणनीतिक रूप से बेलारूस रूसी सैन्य प्रयास के लिए महत्वपूर्ण है. बेलारूस यूक्रेन के साथ लगभग 700 मील की सीमा साझा करता है और कीव रूस की तुलना में बेलारूस के करीब है. हाल ही में जब संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास की आड़ में 30,000 से अधिक रूसी सैनिक बेलारूस में एकत्र हुए तो रूस ने दावा किया था कि फरवरी के अंत में अभ्यास समाप्त होने के बाद सभी सैनिक स्वदेश लौट आएंगे.
हुआ ठीक इसके उलट जब रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया. बेलारूस से आने वाली रूसी सेना ने नीपर नदी के पश्चिम की ओर राजधानी कीव के उत्तर-पूर्व के एक छोटे शहर चेर्निहाइव पर हमला किया. द वॉल स्ट्रीट जर्नल में दी गई जानकरी के मुताबिक कुछ घायल रूसी सैनिकों की बेलारूस के अस्पतालों में इलाज भी चल रहा है.
हालांकि इस बात को लेकर बहस जारी है कि क्या रूस के आक्रमण में बेलारूस की सेना भी शामिल थी या नहीं.
बेलारूस रूसी आक्रमण का समर्थन क्यों कर रहा है?
बेलारूस द्वारा रूस की मदद करने का एक बड़ा कारण बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको हैं. लुकाशेंको 1994 से ही बेलारूस के राष्ट्रपति हैं. उन्हें यूरोप का आखिरी तानाशाह कहा जाता है. उनपर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के द्वारा कई ऐहसान किए गए हैं और अब इसके बदले पुतिन उनका साथ चाहते हैं.
दरअसल दशकों तक अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने बेलारूस की छवि एक न्यूट्रल देश के तौर पर बना रखी थी, लेकिन साल 2020 में यह पूरी तरह बदल गई. साल 2020 में लुकाशेंको ने 'विवादित' राष्ट्रपति चुनाव में जीत की घोषणा की.
लुकाशेंको ने इस चुनाव में भारी बहुमत से जीत का दावा किया था. इस चुनाव में लुकाशेंको को 80 प्रतिशत वोट तो वहीं उनके लोकप्रिय प्रतिद्वंद्वी, स्वीतलाना त्सिखानौस्काया को 10 प्रतिशत वोट मिला. विपक्ष ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया. अमेरिका के तत्कालीन विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने भी इस चुनाव पर सवाल उठाए. वियतलाना सिखानौस्काया ने दावा किया कि उन्हें 60 से 70% वोट मिले हैं.
चुनाव के बाद बेलारूस में शुरू था हुआ विरोध प्रदर्शन
बेलारूस में, अभूतपूर्व पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. विरोध प्रदर्शन हफ्तों तक चले. सुरक्षा बलों ने हजारों को गिरफ्तार किया लेकिन फिर भी राजधानी मिन्स्क में भारी संख्या में प्रदर्शनकारियों को दबाने में विफल रहे.
अपनी 26 साल की सत्ता में सबसे बड़ी चुनौती का सामना करते हुए अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने मदद के लिए पुतिन की ओर रुख किया और पुतिन ने घोषणा की कि रूसी सेना "यदि आवश्यक हो" हस्तक्षेप करने के लिए तैयार है.
इसके बाद बड़े पैमाने पर उत्साहित लुकाशेंको ने एक शातिर कार्रवाई शुरू की. उनकी सरकार ने राजनीतिक विरोधियों और पत्रकारों को जेल में डाल दिया, मानवाधिकार संगठनों को बंद कर दिया. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, मई 2021 तक 37,000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया था.
इस घटना के बाद अलेक्जेंडर लुकाशेंको के लिए पश्चिमी देशों का दरबाजा बंद हो गया और उनके पास केवल एक ही विकल्प था और वह था रूस.
बेलारूस पर लगे कई प्रतिबंध
यू.एस, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय संघ ने पिछले दिनों बेलारूस के खिलाफ कई प्रतिबंधों की घोषणा की है, जो लगभग रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के समान ही गंभीर हैं. यहां ये ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बेलारूस पहले से ही लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर लुकाशेंको की 2020 की कार्रवाई के बाद कई प्रतिबंधों का सामना कर रहा था.
रूस का साथ देने की वजह से बेलारूस और अमेरिका के बीच राजनयिक संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं. बेलारूसी सरकार ने 2020 में अमेरिकी राजदूत जूली फिशर को वीजा देने से इनकार कर दिया था और 2021 में मिन्स्क में अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों को वापस भजने का आदेश दिया था. बेलारूस में वर्तमान में वाशिंगटन का एक राजदूत भी नहीं है.
हालांकि यूद्ध छिड़ने के बाद अबतक दो बार दोनों युद्धरत राष्ट्रों के बीच बेलारूस में वार्ता हो चुकी है, जिनमें कोई नतीजा नहीं निकला. ऐसे में पूरी दुनिया यही कामना कर रही है कि रूस और यूक्रेण के बीच युद्ध रुके क्योंकि इसका असर दुनयाभर के देशों पर देखने को मिल रहा है.