क्यों होती है चीन के BRI की पूरी दुनिया में आलोचना? कैसे भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर है इससे अलग?
इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर के तैयार होने से व्यापार में समय की 40 फीसदी तक बचत होगी और साथ ही भारत की कनेक्टिविटी भी बढ़ेगी.
India Middle East Europe Economic Corridor: पिछले सप्ताह जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान यूरोपीय संघ, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका ने मिलकर एक नए आर्थिक गलियारे 'इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर' (IMEC) की नींव रखी. IMEC एक ट्रांसपोर्ट लिंक परियोजना है. इस परियोजना के तहत व्यापार के लिए रेल मार्गों और बंदरगाहों का एक नेटवर्क तैयार किया जाएगा.
इस नेटवर्क के तहत रेलवे लाइन को संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इज़राइल से गुजारा जाएगा और यूरोप जाकर गलियारा खत्म होगा.
IMEC के तैयार होने से सदस्य देशों के बीच व्यापार में समय की 40 फीसदी तक बचत होगी. इसके अलावा व्यापार के लिहाज से भारत की कनेक्टिविटी दूसरे देशों के साथ पहले से बेहतर होगी क्योंकि भारत चीन के बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव प्रोजक्ट का हिस्सा नहीं है. इस तरह से अन्य लागतों और ईंधन के इस्तेमाल पर खर्च होने वाले पैसों को बचाया जा सकता है. हालांकि, इस प्रोजेक्ट में तुर्किए को शामिल नहीं किया गया है.
लेकिन इसके फायदे क्या होंगे?
भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव(बीआरआई) के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. माना जा रहा है, इससे बीआरआई प्रोजेक्ट पर लगाम लगाया जा सकता है. इससे चीन को बड़ा झटका देने की तैयारी है.
IMEC का लक्ष्य है ?
इस व्यापार गलियारे के तैयार होने से क्लीन एनर्जी, ऊर्जा, व्यापक बिजली मिल सकेगी. इसके अलावा खाद्य सुरक्षा और सप्लाई चेन को दुरुस्त किया जा सकेगा, इससे नौकरी के अवसर भी मिलेंगे.
क्या है चीन का BRI प्रोजेक्ट?
चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट को ऐतिहासिक सिल्क रूट के तर्ज पर तैयार किया गया है. ये प्रोजेक्ट चीन का है. बीआरआई प्रोजेक्ट को साल 2013 में शुरू किया गया था. बीआरआई का रास्ता गोबी रेगिस्तान और पामीर की पहाड़ियों के बीच से होकर गुजरता है.
बीआरआई अब अफ़्रीका, लातिन अमेरिका, ओशियानिया तक फैल चुका है. द वीक मैग्जीन के मुताबिक, इस पूरे प्रोजेक्ट में 7.1 ट्रिलियन डॉलर का निवेश है. इसके अबतक 149 देश साझेदार हैं. जिसमें सबसे ज्यादा अफ्रीका के सब-सहारा क्षेत्र के 44 देश शामिल हैं. अप्रैल 2023 तक जी-20 के 9 देश इसमें शामिल है. हालांकि इटली अब बीआआई प्रोजेक्ट से बाहर निकलने की राहें तलाश रहा है.
जुलाई महीने के अंत में इटली के रक्षा मंत्री गोइदो क्रोसेटो ने इस प्रोजक्ट से बाहर निकलने का इशारा कर दिया था. इतालवी अखबार कोरियरे डेला सेरा को दिए इंटरव्यू में गोइदो क्रोसेटो ने कहा था कि 2019 में बीआरआई प्रोजेक्ट से इटली का जुड़ना जल्दबाजी में लिया गया फैसला था, जो तबाह करने वाला साबित हो सकता है. इसके बाद दिल्ली में जी-20 समिट के दौरान इतालवी प्रधानमंत्री जोर्जिया मेलोनी भी बीआरआई प्रोजेक्ट से बाहर निकलने के संकेत दिए थे.
क्यों होती है बीआरआई प्रोजेक्ट की आलोचना?
द वीक मैग्जीन के मुताबिक बीआरआई प्रोजेक्ट पर आरोप लगते रहे हैं कि इसे मानवीय मूल्यों का ताक पर रख कर तैयार किया गया है. इसके अलावा पर्यावरण के लिहाज से भी कई आरोप लगते रहे हैं. चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट को लेकर ये भी कहा जाता है कि चीन इस प्रोजक्ट का इस्तेमाल गरीब देशों को कर्ज के जाल में फंसाने के लिए करता है.
बीआरआई प्रोजक्ट के क्या लक्ष्य गिनाए गए हैं?
बीआरआई प्रोजेक्ट ने सदस्य देशों को जिस प्राथमिकता का वादा किया है, उनमें अबाधित व्यापार,वित्तीय एकीकरण, नीति समन्वय, बुनियादी ढांचे की कनेक्टिविटी शामिल है.
कौन-कौन से देश शामिल हैं?
बेल्ट एंड रोड इनिसिएटिव में यूरोप और मध्य एशिया के 34 देश शामिल हैं. जबकि पूर्व एशिया और पसेफिक से 25 देश, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका से 17 देश, दक्षिण पूर्व एशिया के 6 देश, लैटिन अमेरिका और कैरिबीयाई क्षेत्र से 18 देश शामिल हैं. सबसे ज्यादा सब-सहारा अफ्रीका देश शामिल हैं, जिनकी संख्या 38 हैं.
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