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एशिया में चौधराहट का सपना देख रहे चीन की हालत पाकिस्तान की तरह पतली क्यों होती जा रही है?

चीन अपने सबसे बड़े रियल एस्टेट डेवलपर एवरग्रांडे के पतन के बाद चल रहे संपत्ति बाजार संकट से भी निपट रहा है. चीन की सरकार यह संदेश देती रही है कि सब कुछ नियंत्रण में है लेकिन हकीकत इससे अलग है.

लगभग तीन हफ्ते पहले चीन के नेता शी जिनपिंग की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी. बैठक में अधिकारियों ने स्वीकार किया कि चीन की अर्थव्यवस्था "नई कठिनाइयों और चुनौतियों" का सामना कर रही है. शिन्हुआ समाचार एजेंसी के मुताबिक अधिकारियों ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का वादा किया था. लेकिन वो फेल हो रहे हैं.

कोविड प्रतिबंधों के हटने के बाद साल की शुरुआत में अर्थव्यवस्था में तेजी भी आई थी लेकिन चीन की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है. आर्थिक दिक्कतें घरेलू मांग में कमी और कई वजहें चीन को 'गंभीर' वैश्विक अर्थव्यवस्था वाला देश बना रहे हैं. 

चीन ने आर्थिक आंकड़ों को लेकर एक रिपोर्ट पेश की है, जो देश के अधिकारियों को परेशान करने लगा है. इस रिपोर्ट के मुताबिक उपभोक्ताओं और व्यापार भुगतान की कीमतें लगातार गिर रही हैं. जुलाई में खुदरा बिक्री और औद्योगिक उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की गई. रियल एस्टेट में निवेश लगातार गिर रहा है. नतीजतन शेयर बाजार में भी गिरावट दर्ज की गई है.

हांगकांग में कारोबार करने वाले चीनी शेयरों का एक सूचकांक इस महीने 9 प्रतिशत से ज्यादा गिर गया है. बड़ी शेयर मार्केट कंपनियां जैसे बेंचमार्क, हैंग सेंग इंडेक्स निचले पायदान पर हैं. इसके सदस्यों में चीन की रियल एस्टेट कंपनी कंट्री गार्डन भी शामिल है, जिसने इस महीने अपनी आधी वैल्यू गंवा दी है. निवेश बैंक नोमुरा के विश्लेषकों ने एक रिपोर्ट में लिखा, "चीनी अर्थव्यवस्था अभी तक आने वाले सबसे खराब दौर का सामना कर सकती है. 

चीन की रियल एस्टेट कंपनी कंट्री गार्डन को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है . कंपनी पर 200 अरब डॉलर का बिल बकाया हो गया है. ये कंट्री गार्डन का संभावित पतन माना जा रहा है.

कंट्री गार्डन पर कैसे आई मुसीबत 
एक साल पहले कंट्री गार्डन रियल एस्टेट कंपनियों की एक मॉडल कंपनी मानी जाती थी. कंपनी ने लापरवाही करना शुरू किया और बिलों का भुगतान बंद कर दिया. 1992 में यांग गुओकियांग ने कंट्री गार्डन की स्थापना की थी. इसे दुनिया का सबसे बड़े रियल एस्टेट बूम माना जाता था. इसकी सफलता ने यांग को अरबपति में बना दिया. कंपनी देश की तरक्की के लिए नजीर बन गई. 

चीनी लोगों के पास पैसा बनाने के लिए विश्वसनीय विकल्प बनें, उन्होंने अचल संपत्ति में अपनी आय और बचत का निवेश किया. कई बड़े निजी डेवलपर्स की तरह कंट्री गार्डन ने उधार लेना जारी रखा और अपने कर्ज का भुगतान करने के लिए खूब उधार लिया. बिल बहुत बड़े होने लगे. अधिकारियों को डर लगने लगा कि कंपनी का कर्ज देश के पूरे वित्तीय प्रणाली को खतरे में डाल देगा.

चीन के शीर्ष नेता शी जिनपिंग ने आदेश दिया कि कंपनी पर अटकलें लग रही है. ये मुसिबत ला सकता है. 2020 में सरकार ने रियल एस्टेट कंपनियों की धन जुटाने की क्षमता को सीमित कर दिया और यहीं से शुरू हुई बर्बादी की कहानी. 

कई अन्य डेवलपर्स ने भी कंट्री गार्डन  को अपने बिलों का भुगतान करना बंद कर दिया. खरीद में भी काफी गिरावट आई. 

कितनी बड़ी है ये परेशानी?
बाजार, निवेशक और घर खरीदारों को सबसे खराब स्थिति का डर सता रहा है. अगस्त की शुरुआत में कंट्री गार्डन ने कर्ज पर दो ब्याज भुगतानों को छोड़ दिया. अगर वह सितंबर की शुरुआत तक भुगतान नहीं करती है या लेनदारों को 30 दिन की छूट अवधि के बाद और समय नहीं देती है, तो यह डिफ़ॉल्ट होगा. हांगकांग में कंपनी के शेयर की कीमत 1 डॉलर से नीचे आ गई है.

कंट्री गार्डन का घाटा बढ़ता जा रहा है. कंपनी ने खुद कहा है कि  यह साल  के पहले छह महीनों में 7.6 बिलियन तक के नुकसान की रिपोर्ट करने की उम्मीद करता है. विशेषज्ञों ने कहा कि भले ही लोग अभी भी कंट्री गार्डन के अपार्टमेंट खरीद रहे हों, लेकिन वे वित्तीय कमी को पूरा करने के लिए काफी नहीं होंगे. इसके अलावा कौन एक ऐसी कंपनी से एक अपार्टमेंट खरीदना चाहता है जो खुद खतरे में है. 

इस सब के बाद ये कहा जाने लगा है कि कंट्री गार्डन चाइना एवरग्रांडे की तरह समाप्त हो जाएगा. जो एक बड़ी रियल एस्टेट कंपनी थी और 2021 में ढह गई और वैश्विक बाजारों में दहशत पैदा कर दी. कंट्री गार्डन भी देश के रियल स्टेट बाजार में दहशत पैदा कर रहा है.

कई चीनी विश्लेषक ये लिख रहे हैं कि कंट्री गार्डन डिफॉल्ट एवरग्रांडे जितना प्रभावशाली हो सकता है क्योंकि यह बहुत बड़ा है. यह और भी बदतर हो सकता है. बड़े डेवलपर्स पहले ही निराश हो चुके हैं.  

झोंगज़ी एंटरप्राइज भी झेल रहा पतन की मार

1995 में एक लकड़ी के बिजनेस के तौर पर झोंगज़ी एंटरप्राइज की शुरुआत हुई. देखते ही देखते ये 1 ट्रिलियन युआन (138 बिलियन) से ज्यादा कमाई करने वाली कंपनी बन गई. लेकिन अब इस फर्म ने चीनी बाजारों में खतरे की घंटी बजा दी है. जिससे सिर्फ कंपनी के निवेशक भयभीत नहीं है. चीनी अधिकारियों को भी डर लगने लगा है. इसलिए अधिकारियों ने किसी भी मुसिबत से बचने के लिए एक रिसर्च टीम बनाई है. जो झोंगझी की बैंकिंग नियामक में पैदा हुए खतरे की जांच कर रहा है.

झोंगझी एंटरप्राइज ग्रुप ने बुधवार को निवेशकों से कहा कि वह नकदी संकट का सामना कर रहा है. इसकी वजह से चीनी संपत्ति प्रबंधक गहराते संपत्ति बाजार में गिरावट से जूझ रहा है.

बता दें कि झोंगझी के अलावा अनबांग इंश्योरेंस ग्रुप और एचएनए समूह सहित कई कपंनियां पतन का सामना कर रही हैं. झोंगझी का रियल एस्टेट में बड़ा निवेश है. अब कंपनियों के फेल होने ने चीन के सामने गहरा संकट खड़ा हो गया है.

जापान की गिरी हुई अर्थव्यवस्था की याद दिला रहा है चीन का हाल

कुल मिलाकर ये कहा जा रहा है कि चीन की आर्थिक व्यवस्था सुस्त हो रही है. इस वजह से एशियाई शेयर गुरुवार को नौ महीने के निचले स्तर पर आ गया. चीन का ब्लू-चिप सीएसआई 300 इंडेक्स 0.45% नीचे आ गया है. हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स 1.7% गिर गया और लगभग नौ महीने के निचले स्तर पर है.चीन की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था की तुलना तीन दशक पहले की जापान से की जा रही है.

चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने एक रिपोर्ट में बताया कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक जुलाई में सालाना 0.3% गिर गया, जिससे अर्थव्यवस्था में गिरावट आई .ये 1990 के दशक की शुरुआत में जापान की अर्थव्यवस्था में आई गिरवाट की याद दिलाता है. 

तीन दशक पहले जापानी अर्थव्यवस्था को कमजोर विकास, संपत्ति की कीमतों में गिरावट और रियल स्टेट की परेशानी का सामना करना पड़ा था, जो चीन के मौजूदा हालात जैसा था. 

क्यों इससे परेशान होने की जरूरत है

चीन दुनिया भर में बेचे जाने वाले सामानों का एक बड़ा हिस्सा पैदा करता है. देश की अर्थव्यवस्था में आई गिरवाट का एक असर यह हो सकता है कि यह ब्रिटेन सहित दुनिया के बाकी हिस्सों में बढ़ती कीमतों पर असर डालेगा.

अगर चीनी सामानों में कटौती होने से वैश्विक बाजारों के निर्माताओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. यह व्यवसायों मे होने वाले निवेश पर भी असर डालेगा.  रोजगार को कम कर सकता है. इससे  बेरोजगारी बढ़ सकती है.

चीन की अर्थव्यवस्था के लिए इसका क्या मतलब है?
चीन की अर्थव्यवस्था पहले से ही दूसरी मुश्किलों का सामना कर रही है. आधिकारिक आंकड़ों से पता चला कि चीन के निर्यात में एक साल पहले की तुलना में जुलाई में 14.5% की गिरावट आई, जबकि आयात में 12.4% की गिरावट आई. गंभीर व्यापार आंकड़े उन चिंताओं को उजागर करते हैं कि देश की आर्थिक वृद्धि इस साल और धीमी हो सकती है.

चीन अपने सबसे बड़े रियल एस्टेट डेवलपर एवरग्रांडे के पतन के बाद चल रहे संपत्ति बाजार संकट से भी निपट रहा है. चीन की सरकार यह संदेश देती रही है कि सब कुछ नियंत्रण में है, लेकिन आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए अब तक कोई भी बड़ा उपाय नहीं किया गया है.

कई रिपोर्ट ये भी बताती हैं कि पाकिस्तान अपने कर्ज के ब्याज का भुगतान नही कर पाने के कारण बदतर अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया. पाकिस्तान 2022 से आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. ऐसा लग रहा है कि देश में आंतरिक आर्थिक मार की वजह से धीरे -धीरे चीन की हालत भी पाकिस्तान की तरह खराब हो सकती है. लेकिन चीन एक बड़ी अर्थव्यवस्था है वो सब कुछ संभाल भी सकता है.

पाकिस्तान पर जारी आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है, 'कोविड-19 लॉकडाउन, बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, रियल स्टेट में उम्मीद से तेज मंदी से आर्थिक गतिविधियों में तेज मंदी आई है. बता दें कि चीन भी कोविड 19 के बाद से आर्थिक मार झेल रहा है.  इसके बाद संपत्ति क्षेत्र में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई. 

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