(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
America Israel Relation : मार्क 80 बम कितना खतरनाक? अमेरिका की उड़ी नींद, क्यों इजराइल को दे रहा धमकी
America Israel Relation : रफाह में इजरायल ने कार्रवाई बंद नहीं की तो अमेरिका इजरायल को हथियारों की सप्लाई बंद कर देगा
America Israel Relation : रफाह में इजरायल के हमले को लेकर अमेरिका लगातार दबाव बना रहा है, लेकिन इजरायल पीछे हटने को तैयार नहीं है. अब अमेरिका ने इजरायल को चेतावनी दी है कि वह हथियारों की सप्लाई बंद कर देगा. वहीं इन सबके बीच सबसे ज्यादा चर्चा 2000 पाउंड मार्क-80 बम की हो रही है, जो अमेरिका के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. इन बमों को सीरीज के तौर पर अमेरिका के पेंटागन में तैयार किया जाता है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मार्क-80 बम की वजह से गाजा में आम लोगों की जान जा रही है, इसलिए अमेरिका ने इजरायल को ऐसे ही 3500 बम की सप्लाई में देरी की है, क्योंकि अमेरिका को डर है कि वह रफाह में मार्क सीरीज के बमों का इस्तेमाल कर सकता है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, गाजा में सबसे ज्यादा जान 2000 पाउंउ मार्क-80 बम की वजह से गई हैं. अमेरिका सेना के मुताबिक, युद्ध के दौरान थल सेना का साथ देने के लिए इन बमों का इस्तेमाल किया जाता है.
क्या है मार्क-80 की खासियत?
दरअसल, मार्क-80 बहुत की खतरनाक बम होता है. ये जहां गिरते हैं, उसका 2 किलोमीटर तक का एरिया तबाह हो जाता है. 500 मीटर तक एरिया में आने वाली चीजें नष्ट हो जाती हैं. इस सीरीज में मार्क-84, मार्क-81, मार्क-82, मार्क-83 बम शामिल हैं. पहले इन्हें केवल अमेरिका ही बनाता था, लेकिन अब कई देश इसे बनाने लगे हैं. ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, फ्रांस, भारत, इटली, पाकिस्तान समेत कई देशों के पास भी इस तरह के खतरनाक बम हैं. इजरायल खुद भी इस तरह के बम बनाता है, लेकिन वह ज्यादातर बम अमेरिका से ही खरीदता है.
इसलिए हो रही सबसे ज्यादा चर्चा
दरअसल, युद्ध के पहले सप्ताह में इजरायल ने जो बम गिराए थे, उनमें से 90 फीसदी 1000 पाउंड और 2000 पाउंड सीरीज के थे. इनके अलावा 250 पाउंड के छोटे बम भी गिराए गए थे. 2000 पाउंड के बम वहां ज्यादा गिराए गए, जहां सुरंग की आशंका थी. ये बम 1950 में वियतनाम युद्ध के दौरान सबसे चर्चा में आए थे. 1964 से 1973 के बीच ज्यादातर बम वियतनाम, कंबोडिया और लाओस में गिराए गए थे. वैसे तो ये बम टारगेट के 400 फीट के अंदर ही गिरता था, लेकिन कई बार ऐसा हुआ कि बम ऐसी जगह गिरा, जिससे अमेरिका के ही सैनिक बड़ी संख्या में मारे गए थे. एक बार पांच जेट्स ने गलती से बम को अमेरिकी एयरबेस पर ही गिरा दिया था. इसके बाद 1960 में टेक्सस इंस्ट्रूमेंट ने टारगेट को सेट करने के लिए इसमें अलग से उपकरण लगा दिया था. उसके बाद यह बम टारगेट के अंदर ही गिरने लगे थे.