Israel Protest: बेंजामिन नेतन्याहू इजरायल के तीसरी बार प्रधानमंत्री बने हैं. दिसंबर 2022 में इजरायल की सत्ता संभालने वाले दक्षिणपंथी नेतन्याहू का देश में अबतक का सबसे बड़ा विरोध हो रहा है. यहां की जनता सरकार के न्याय व्यवस्था में बदलाव से जुड़े प्रस्तावों के खिलाफ लगभग एक लाख लोगों ने तेल अवीव में सड़कों पर उतर आए.
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को पलटना आसान हो जाएगा
इजरायल की स्थानीय मीडिया के अनुसार न्याय व्यवस्था में प्रस्तावित सुधारों के लागू होने के बाद इसराइल की संसद के लिए देश के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटना आसान हो जाएगा. वहीं, प्रदर्शनकारियों ने पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के प्रस्तावित बदलावों को लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला बताया है. इसके साथ ही यरुशलम और हाइफा जैसे शहरों में भी पीएम नेतन्याहू के घर के बाहर प्रदर्शन हुए हैं.
न्याय व्यवस्था में सुधार का प्रस्ताव पेश
दरअसल, नए साल में जनवरी के पहले हफ्ते में इसराइल के कानून मंत्री यारिव लेविन ने न्याय व्यवस्था में सुधार का प्रस्ताव पेश किया था. इसराइल में अगर एक बार ये प्रस्ताव लागू हो गए तो संसद के पास साधारण बहुमत से मुप्रीम कोर्ट के फैसलों को रद्द करने की पावर होगी. यह फैसला नेतन्याहू सरकार को बिना किसी डर के कानून पारित करने में आसानी होगी.
नेतन्याहू के उपर चल रहे मुकदमों को खत्म करने का प्लान
विपक्ष को इस बात का डर है कि नई सरकार इस कानून का इस्तेमाल प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के उपर चल रहे आपराधिक मुकदमों को खत्म करने के लिए कर सकती है. बता दें कि नेतन्याहू पर रिश्वत लेने, धोखाधड़ी और विश्वासघात के आरोपों के मुकदमें चल रहे हैं. मगर, बेंजामिन नेतन्याहू की अपने उपर लगे सभी आरोपों से इनकार करते रहे हैं.
तेल अवीव में प्रदर्शनकारियों ने हाइवे को जाम कर दिया, इस दौरान उनकी पुलिस के साथ झड़पें हुईं. विपक्ष और आलोचकों का कहना है कि प्रस्तावित सुधार न्याय व्यवस्था की स्वतंत्रता को पंगु बना देंगे और इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा. इसके अलावा ये कानून बन गए तो अल्पसंख्यकों के हक में बाधा डालेंगे और इससे इसराइल की कोर्ट व्यवस्था में भरोसा कमजोर पड़ेगा.