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Balloon War: अमेरिका-चीन हुए आमने-सामने, लेकिन उत्तरी और दक्षिणी कोरिया में पुरानी है ये लड़ाई, गुब्बारे देखते ही आग-बबूला हो जाता है किम जोंग

Balloon News: अमेरिका में चाइनीज बैलून नजर आया तो उसे मार गिराया गया. अब अमेरिका और चीन में तनाव है. मगर बैलून को लेकर देशों की ये तनातनी नई नहीं है. दक्षिण कोरिया-उत्तर कोरिया दशकों से इसके गवाह हैं.

Balloon Propaganda In Korean Peninsula: एक ओर जहां अमेरिका जैसे देशों में चाइनीज जासूसी गुब्‍बारा (Spy Balloon) मिलने पर वैश्विक राजनीति में भूचाल आया हुआ है, वहीं एशिया में उत्‍तर कोरिया (North Korea) और दक्षिण कोरिया (South Korea) के बीच भी बैलून वॉर (Balloon War) चल रहा है. यहां बॉर्डर पर अक्सर विशालकाय गुब्‍बारे नजर आते रहते हैं. इन गुब्‍बारों को देखकर उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन (Kim Jong-un) को गुस्सा आ जाता है. फिर इन दोनों देशों में जोर-आजमाइश होने लगती है.

आपको जानकर हैरानी होगी कि उत्‍तर कोरिया के बीच दक्षिण कोरिया के बीच यह बैलून वॉर दशकों से छिड़ा हुआ है. उत्‍तर कोरियाई सरकार के आरोप हैं कि दक्षिण कोरिया से बैलून्स को गलत इरादे से उत्‍तर कोरिया की ओर उड़ाया जाता है. कभी इनमें पेन-ड्राइव होती है, तो कभी वो चीजें, जो उत्‍तर कोरिया में बैन हैं, जैसे कंडोम, सेनेटरी पैड या सिगरेट्स. साथ ही साथ बैलून पर बड़े-बड़े अक्षरों में उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन को चिढ़ाने वाले संदेश भी लिखे होते हैं.

कभी एक ही थे ये दोनों देश
बता दें कि पहले ये दोनों देश एक ही हुआ करते थे. इनका इतिहास भी भारत-पाकिस्‍तान जैसा है. जैसे भारत पर ब्रिटिश हुकूमत ने राज किया था, कुछ वैसे ही संयुक्त कोरिया पर साल 1910 से लेकर वर्ल्‍ड वॉर-2 तक जापान का कब्जा रहा. वर्ल्‍ड वॉर-2 में जापान की हार के बाद कोरिया उसके कब्‍जे से तो मुक्‍त हो गया, लेकिन तब उसके उत्‍तरी हिस्‍से पर रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) और दक्षिणी हिस्‍से पर अमेरिका ने आकर डेरा जमा लिया. फिर वही हुआ, जैसे भारत-पाकिस्‍तान में युद्ध हुए.

छिड़ गई पूंजीवाद-साम्यवाद की लड़ाई
उत्‍तरी और दक्षिणी कोरिया के लोग एक-दूजे के खून के प्‍यास हो गए. इसी तरह वर्षों तक संघर्ष चलता रहा. उत्तर कोरिया को तानाशाही और दुनिया से कटे संपर्क के लिए जाना जाने लगा. वहीं, दक्षिण कोरिया में लोक‍तांत्रिक सरकारें बनीं. अमेरिका से कंधा मिलाकर दक्षिणी कोरिया विकास-अर्थव्‍यवस्‍था के मामले में काफी आगे निकल गया. यहां तक कि अब उसे दुनिया के सबसे अमीर और स्टेबल देशों में गिना जाता है. उत्‍तरी और दक्षिणी कोरिया में पूंजीवाद बनाम साम्यवाद की लड़ाई रूस-अमेरिका के प्रभाव का ही नतीजा है.

फिर शुरू हुआ साइकोलॉजिकल वॉर 
उत्‍तर कोरिया की अमेरिका से बड़ी दुश्‍मनी है. वहीं, इस देश में हैं अजीबो-गरीब कायदे-कानून हैं. जैसे यहां पर, नीली जींस नहीं पहन सकते. कंडोम नहीं बेच सकते. यहां पर तानाशाह किम जोंग ही सर्वोच्‍च है, इसलिए पढ़े-लिखे लोग भी उसके खिलाफ कुछ कह नहीं पाते. यहां की अलग ही लाइफस्‍टाइल है, जो पश्चिमी देशों के तो बिल्‍कुल ही उलट है. ऐसे में दक्षिण कोरिया, जहां के लोग वेस्‍टर्न कल्‍चर को फॉलो करते हैं...वे अपनी ओर से बड़े-बड़े बैलून उड़ाते हैं और उन पर तरह-तरह के संदेश भरकर उत्तर कोरिया में भेजते रहते हैं. इस तरह बैलून भेजने को एक तरह का साइकोलॉजिकल वॉर भी माना जाता है.

..इसलिए भड़क जाता है किम जोंग 
मीडिया में खबरें आती हैं कि उत्‍तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बॉर्डर पर जो बैलून होते हैं, वे लगभग 12 मीटर लंबे और 4 मीटर चौड़े होते हैं. उनमें कई बैलून पारदर्शी होते हैं तो कई रंगीन. इन बैलून में हीलियम या हाइड्रोजन भरा होता है, जिससे वे काफी देर तक उड़ते रहते हैं. इन बैलून पर लोग कुछ ऐसी चीजें भी भेज देते हैं, जो उत्‍तर कोरिया में बैन होती हैं. ऐसे में ये 'बैलून वॉर' उत्‍तर कोरियाई तानाशाह के लिए परेशानी भरा होता है. इसलिए वह इन्‍हें देखते ही आग-बबूला हो जाता है.
एक बार तो किम जोंग ने  ये तक आरोप लगा डाला कि दक्षिण कोरिया इन बैलून से उनके यहां कोरोना वायरस फैला रहा है. अब आप सोच सकते हैं कि ये 'बैलून वॉर' इन देशों में किस तरह का तनाव पैदा करता होगा.

यह भी पढ़ें: चीन का 'जासूसी गुब्बारा' अमेरिका ने मार गिराया तो अब कोलंबिया के ऊपर भी दिखा एक बैलून, जांच में जुटी सेना

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