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भारत में तो लोकसभा मगर अमेरिका में 'राज्यसभा' के मेंबर बनने के लिए क्यों नेता तड़पते हैं, जानें इसके पीछे की वजह

भारत और अमेरिका भले ही मौजूदा समय में दुनिया के दो सबसे बड़े डेमोक्रेटिक कंट्री है, लेकिन दोनों के चुनावी सिस्टम अलग-अलग है. इसके अलावा सदनों मेंबर की अहमियत भी काफी अलग है.

India-US Election system: भारत और अमेरिका दोनों ही दुनिया बड़े लोकतांत्रिक देश हैं, लेकिन उनकी चुनावी प्रक्रियाओं में काफी अंतर है. दोनों देशों में नागरिकों की भागीदारी अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है, परंतु उनके राजनीतिक और संसदीय ढांचे अलग-अलग हैं. भारत में प्रधानमंत्री बेहद महत्वपूर्ण होता है तो वहीं अमेरिका में राष्ट्रपति हेड ऑफ स्टेट होता है. आज हम आपको बताएंगे की दोनों देश लोकतांत्रिक होकर भी किस तरह से अलग है.
 
भारत में लोकसभा के चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला होता है. यहां लोकसभा (निचला सदन) के चुनावों में उम्मीदवारों का चुनाव सीधे जनता द्वारा किया जाता है. राज्यसभा (उच्च सदन) के सदस्य का चुनाव विधायकों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से होता है. भारतीय संसद का निचला सदन लोकसभा 543 निर्वाचित सदस्यों से मिलकर बना होता है और राज्यसभा में 245 सदस्य होते हैं.

अमेरिका में चुनावी प्रक्रिया
अमेरिका में चुनाव कई चरणों के माध्यम से होता है. यहां चुनावी प्रक्रिया में प्राइमरी और कॉकस जैसी प्रक्रियाएं होती हैं, जो अलग-अलग पार्टियों के उम्मीदवारों का चयन करने के लिए होती हैं. अमेरिकी कांग्रेस में दो सदन होते हैं - हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स (निचला सदन) और सीनेट (उच्च सदन). सीनेट के सदस्य का चुनाव सीधे राज्य के मतदाताओं द्वारा होता है और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के सदस्य भी जनसंख्या के आधार पर सीधे चुने जाते हैं.

सीनेट और लोकसभा का महत्व
भारत में लोकसभा का चुनाव जीतना नेताओं के लिए जमीनी राजनीतिक पकड़ का प्रतीक माना जाता है, जबकि राज्यसभा को अक्सर बैकडोर एंट्री माना जाता है, क्योंकि यहां सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं. इसके उल्टा अमेरिका में नेता सीनेट (उच्च सदन) में जाना ज्यादा पसंद करते हैं क्योंकि यहां अधिक स्थिरता, प्रतिष्ठा और लंबे समय तक राजनीतिक प्रभाव का मौका मिलता है. सीनेटरों का कार्यकाल 6 साल का होता है, जबकि हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के सदस्य का कार्यकाल सिर्फ 2 साल का होता है.

सीनेट अमेरिका का प्रमुख मंच
सीनेट को अमेरिका में राजनीतिक करियर के लिए एक प्रमुख मंच माना जाता है. यहां नेता राष्ट्रीय निर्णयों जैसे कि राष्ट्रपति की नियुक्तियों की पुष्टि, महाभियोग, और विदेशी संधियों की मंजूरी में भाग लेते हैं. कई प्रमुख अमेरिकी नेता, जैसे बराक ओबामा और जो बाइडेन, सीनेट के जरिए राष्ट्रपति बने हैं.

अमेरिका में सीनेटर बनने के फायदे
अमेरिका में सीनेटर बनने के कई फायदे होते हैं, जैसे:

-6 साल का कार्यकाल होने के कारण स्थिरता मिलती है.
-महाभियोग, राष्ट्रपति की नियुक्तियों की पुष्टि, और संधियों को मंजूरी देने में भागीदारी मिलती है.
-सीनेट में सदस्यता नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और प्रभाव का अवसर देती है.

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