Israel-Hamas war: गाजा में युद्ध के 7 महीने बीत गए हैं, लेकिन अभी तक हमास हारा नहीं है. अब इजरायल पूरी तरह से राफा पर नजर बनाए हुए है. विशेषज्ञों का मानना है कि अब सऊदी अरब भी चाहता है कि हमास की जल्द हार हो जाए, जिसके बाद शांति कायम हो सके. विशेषज्ञों का कहना है कि इजरायल-हमास युद्ध पर सऊदी पिछले 7 महीने से नजर बनाए हुए है, लेकिन अभी तक इजरायल के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की है. सऊदी का मानना है कि ईरान समर्थित आतंकवादी संगठन का गाजा पर प्रभाव है. 


इसी बीच न्यूयॉर्क टाइम्स की के एक कॉलम ने सुझाव दिया है कि इजरायल के पास अब एक ही विकल्प चुनने के लिए है. इजरायल या तो राफा को चुने या रियाद को. इस कॉलम को लिखने वाले थॉमस फ्रीडमैन का तर्क है कि अमेरिकी अधिकारियों ने राफा में इजरायल से सैन्य अभियान नहीं चलाने को कहा है. यदि इजरायल अमेरिका की बात नहीं मानता है तो जो बाइडेन इजरायल को सैन्य हथियार देने पर पाबंदी लगा सकते हैं. 


7 अक्टूबर को यहूदियों का हुआ नरसंहार
इस लेख में यह भी कहा गया है कि सऊदी अरब और अन्य अरब राज्य गाजा में एक अरब शांति सेना के लिए सहमत हो सकते हैं. लेख में निष्कर्ष दिया गया है कि 'इजरायल का दीर्घकालिक हित रियाद में है न कि राफा में है.' वर्तमान में इजराल पिछले सात महीनो से हमास के साथ युद्ध कर रहा है. माना जा रहा है कि द्वितीय युद्ध के बाद 7 अक्टूबर के हमले में सबसे अधिक यहूदियों की हत्याएं हुई हैं. हालांकि, इजरायल ने गाजा और राफा में युद्ध अभियान को काफी धीमी गति से चला रहा है. अब कई देशों को यह समझ नहीं आ रहा कि इजरायल इतनी धीमी प्रतिक्रिया क्यों दे रहा है. 


राफा में अभियान तेज कर रहा इजरायल
लेख के मुताबिक, सऊदी भले ही राफा में इजरायल को नहीं चाहता हो, लेकिन 7 अक्टूबर से इस युद्ध पर करीब से नजर बनाए हुए है. इजरायल इतनी धीमी गति से युद्ध लड़ रहा है कि हमास लड़ाकों को दूसरी जगह जाने का मौका मिल जा रहा है. अब माना जा रहा है कि हमास लड़ाके भारी संख्या में गाजी से राफ में शिफ्ट हो गए हैं. ऐसे में इजरायल अब गाजा को छोड़कर राफी की तरफ ध्यान केंद्रित कर रहा है. सऊदी का मानना है कि इजरायल को राफा में पहुंचने में छह महीने लग गए, अगर पहले ही इजरायल राफ में पहुंच गया होता तो अब तक युद्ध समाप्त हो गया होता.


राफी की सुरंगो पर इजरायल का कब्जा जरूरी
सऊदी का मानना है कि राफा के रास्ते से ही शांति कायम हो सकती है. जबतक इजरायल राफी की सुरंगों पर कब्जा नहीं करेगा, तबतक हमास की ताकत बनी रहेगी. संक्षेप में कहें तो शांति समझौते के लिए रियाद का रास्ता राफ से होकर गुजरता है. ऐसे में इजरायल को राफा में हमास को हराना होगा, जिससे इजरायल और रियाद के बीच मजबूत संबंध स्थापित हो सके.


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