Hiroshima Bombings: 6 अगस्त 1945... इतिहास में दर्ज वो तारीख है, जिस दिन दुनिया ने परमाणु बमों की असली ताकत देखी. जापान के हिरोशिमा शहर पर बम गिराया गया और 1.5 लाख के करीब लोग देखते ही देखते मौत के आगोश में समा गए. कहा जाता है कि परमाणु बमों की ताकत ने ही द्वितीय विश्व युद्ध को रोका और दुनिया में हो रही तबाही एकाएक थम गई. हालांकि, इन बातों को लेकर काफी विवाद भी खड़े हुए हैं. 


अगस्त 1945 तक जापान लगभग युद्ध हार चुका था. लेकिन सवाल ये उठ रहा था कि आखिर जापान कब सरेंडर करेगा. दूसरी ओर अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी ट्रूमन को परमाणु बम तैयारी होने की जानकारी भी मिल चुकी थी. ऐसे में उन्हें अब ये फैसला करना था कि क्या इस बम का इस्तेमाल युद्ध को खत्म करने के लिए करना है? दुनिया जानती है कि ट्रूमन ने क्या चुना और फिर इतिहास किस बात का गवाह रहा है.


दरअसल, आज हिरोशिमा हमले की 78वीं बरसी है. आज वही तारीख है, जब अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम गिराया. हिरोशिमा के मेयर ने दुनिया से गुजारिश की है कि उसे परमाणु बमों को खत्म कर देना चाहिए. हालांकि, हमेशा ये सवाल जरूर उठता है कि आखिर अमेरिका के पास परमाणु बम गिराने के अलावा क्या-क्या ऑप्शन थे. आइए इसका जवाब जानते हैं.


विकल्प 1: जापान के द्वीपों पर बम गिराना


1942 की शुरुआत से ही अमेरिकी जापान पर बम गिरा रहा था. अप्रैल 1944 से लेकर अगस्त 1945 के बीच अमेरिकी बममारी में 3,33,000 लोग मौत की नींद सो गए. मार्च 1945 में टोक्यो पर हमला किया गया, जिसमें 80 हजार लोगों की जान गई. लेकिन जापान ने सरेंडर करने से इनकार कर दिया. तब अमेरिका ने ये मान लिया कि सिर्फ पारंपरिक बमबारी के जरिए जापान घुटने नहीं टेकने वाला है. 


विकल्प 2: जापानी द्वीपों पर जमीनी हमला बोलना


अमेरिका के पास ये भी ऑप्शन था कि वह जापान पर जमीनी हमला बोले. लेकिन जापान ऐसा करने पर और भी ज्यादा आक्रामक हो जाता. जापानी लोग देश को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते थे. 1945 में ही हुए इवो जीमा युद्ध में अमेरिका के 6200 सैनिक और ओकिनावा युद्ध में 13 हजार सैनिकों और नाविकों की मौत हुई थी. इसलिए जमीनी हमला बोलना मुफीद नहीं लग रहा था. 


विकल्प 3: गैर आबादी वाले इलाके पर बम गिरा ताकत दिखाना


अमेरिका के पास ऑप्शन था कि वह परमाणु बमों का शक्ति प्रदर्शन करे, जिससे जापान डर जाए और जल्द से जल्द सरेंडर कर दे. हालांकि, ये माना गया कि जापान सिर्फ एक व्यक्ति या उस कमिटी के फैसले के आधार पर सरेंडर का निर्णय नहीं लेगा, जो उसे आकर ये बताए कि बम खतरनाक है. अमेरिका को ये भी लगता था कि अगर ये नया बम नहीं फटा, तो जापान सरेंडर करने के बजाय युद्ध में आक्रामक हो सकता है.


विकल्प 4: आबादी वाले इलाके पर परमाणु हमला


सभी विकल्पों पर विचार करने के बाद ये सहमति बनी कि जापान के किसी शहर पर बम गिराना ज्यादा सही है. हमले से पहले शहर खाली करने का नोटिस भी नहीं दिया, क्योंकि अमेरिका को डर था कि अगर ऐसा किया गया तो उसके बॉम्बर विमानों को ढेर किया जा सकता है. अमेरिका ने हिरोशिमा को बमबारी के लिए इसलिए चुना था, क्योंकि वह जापान के सांस्कृतिक शहरों में से नहीं था. 


यह भी पढ़ें: 12 साल की वो लड़की जिसने देखी हिरोशिमा पर अमेरिकी परमाणु हमले की तबाही