पाकिस्तान में बीते कुछ दिनों से काफी सियासी हलचल देखने को मिल रहा है. एक तरफ जहां अपनी कुर्सी बचाने की कोशिश में इमरान ने अपना पूरा जोड़ लगा दिया है, वहीं उनकी सिफारिश पर कल राष्ट्रपति ने नेशनल असेंबली को भंग कर दिया. असेंबली के भंग होने के साथ ही विपक्ष ने एकजुट होकर सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है.


आम चुनाव के दौरान नया पाकिस्तान बनाने का दावा करने वाले पीएम इमरान खान की ये हालत कैसे हो गई. इसके पीछे कई बड़ी वजह हैं. दरअसल आम चुनाव के दौरान इमरान ने युवाओं को एकजुट किया था और उनसे वादा किया था कि वह एक ऐसा पाकिस्तान बनाएंगे हैं जिसके साथ हर शक्तिशली से कमजोर देश खड़ा हो सकेगा. 


हालांकि अपने वादों की तरह इमरान देश को विकास के रास्ते पर नहीं ले जा सके. इमरान सरकार के रहते देश पर कर्ज का बोझ बढ़ता गया, देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ती गई, महंगाई ने लोगों का बुरा हाल कर दिया. देश में महंगाई इतनी बढ़ गई की लोगों के लिए  बुनियादी जरूरतों की चीजें खरीदना भी मुश्किल हो रहा है. इन सब के अलावा पूरी दुनिया को साथ लेकर चलने का वादा करने के बीच पाकिस्तान दुनियाभर में अलग-थलग पड़ गया. इमरान अपने पूरे कार्यकाल में कश्मीर, कर्ज और चीन के बीच फंसे रहें. 


उनके हाथ से सत्ता जाने की एक वजह ये भी रही कि इमरान अब सेना के चहेते नहीं रहे. बता दें कि पाकिस्तान में किसी भी सरकार को सत्ता चलाने के लिए उन्हें सेना का समर्थन मिलना जरूरी है, जो इमरान खो चुके हैं. दरअसल इमरान अपने करीबी लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद को सेना की कमान सौंपना चाहते थे, लेकिन पाकिस्तान के मौजूदा सैन्य अधिकारी इससे नाराज थे.


विपक्ष को एकजुट होने का मौका दिया


वहीं दूसरी तरफ विपक्ष का इमरान खान के खिलाफ एक जुट होना भी एक बड़ी वजह है. दरअसल इमरान ने विपक्षी पार्टियों को अपने खिलाफ एकजुट होने का मौका दे दिया. पहला तो इमरान ने अपने गठबंधन के साथियों के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर बयानबाजी शुरू कर दी. जिसके बाद बढ़ती महंगाई और घटती अर्थव्यवस्था के कारण  पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) ,पकिस्तान पीपुल्स पार्टी और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम भी अविश्वास प्रस्ताव के लिए एकजुट हो गए. और उनकी पार्टी के दो दर्जन के करीब सदस्य बागी हो गए. 


इकोनॉमी हुई बदहाल


सत्ता इमरान के हाथ से जाने का एक और बड़ा कारण है बदहाल इकोनॉमी. कभी देश पर बढ़ते कर्ज को मुद्दा बनाकर सत्ता में आने वाले इमरान के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान द्वारा लिया गया उधार और देनदारी पहली बार 50 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये के आंकड़े को पार कर गई.


देश पर लगा यह कर्ज सितंबर 2021 में 50.5 लाख करोड़ पाकिस्तान रुपये था. जो कि अभी यानी 2022 में बढ़कर 51 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये के करीब पहुंच गया है. इसमें से इमरान खान सरकार के दौर में करीब 20 लाख करोड़ पाकिस्तान रूपये की बढ़ोतरी हुई है. यही वजह है कि फरवरी महीने में उपभोक्ता महंगाई दर 12.2 फीसदी पर पहुंच गई. वहीं फरवरी 2022 में पाकिस्तान का चालू खाता घाटा 2 अरब डॉलर से ज्यादा रहा. 


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