पाकिस्तान की संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना कर रहे प्रधानमंत्री इमरान ख़ान जब नेशनल टेलीविजन पर मुखातिब हुए तो हर उस मुद्दे को छेड़ा जिससे इन्हें सहानभूति मिलने की उम्मीद थी. अपने चालीस मिनट के भाषण में इमरान ने करीब-करीब आधा वक्त मजहबी तकरीर में गुजारा, मुल्क की बदहाली के लिए विपक्ष को कोसा, सांसदों की खरीद फरोख्त के आरोप लगाए, बागियों को गद्दार कहा और किसी भी सूरत में इस्तीफा नहीं देने की बात कही.
पिछले एक हफ्ते से इमरान जिस चिट्ठी को लहराकर सरकार गिराने के पीछे विदेशी साजिश का आरोप लगा रहे थे, भाषण में उसका भी जिक्र किया लेकिन इस बार सीधे अमेरिका का नाम लेकर, कहा रूस और चीन से नजदीकियां अमेरिका को चुभ रही थी. इसके बाद इमरान ने हिंदुस्तान का भी नाम लिया जिसके खिलाफ नफरत की रोटियां सेंककर पाकिस्तान के हुक्मरान और जनरल्स सत्तर साल से अपनी सियासत चमका रहे हैं.
इमरान की चिट्ठी वाली साजिश पर अमेरिका की प्रतिक्रिया भी आ गई है. अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा है कि इमरान खान के आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है. हम पाकिस्तान के मौजूद हालात पर करीबी नजर बनाए हुए हैं। हम पाकिस्तान की संवैधानिक प्रक्रिया और कानून का सम्मान करते हैं.
अमेरिका ने इमरान की चिट्ठी को बताया फरेब
अमेरिका ही नहीं पाकिस्तान के विपक्षी दल भी इमरान की चिट्ठी वाले दांव को फरेब बता रहे है लेकिन चीन को इमरान के कंधे पर बंदूक रखकर अमेरिका पर निशाना साधने का मौका मिल गया है. दो दिन पहले चीन से मदद मांगने बीजिंग पहुचे इमरान के मंत्री से मुलाकात के बाद चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा. अगर पाकिस्तान के सियासी हालात के लिए कोई विदेशी ताकत जिम्मेदार है तो चीन इमरान को समर्थन देने के लिए तैयार है.
वहीं अपने 40 मिनट के भाषण में इमरान ने साफ कर दिया है कि वो संसद में अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेंगे. इमरान ने वोटिंग की तारीख भी बता दी. पाकिस्तान के नेशनल टेलीविजन पर दिया गया ये बयान बताता है कि इमरान खान ने सरकार बचाने के लिए अपनी रणनीति बदल दी है. पहले इमरान ने अपने सांसदों को वोटिंग से दूर रहने की हिदायत दी, सदन से गैरहाजिर रहने का फरमान जारी किया था लेकिन अब इमरान अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए तैयार हैं, तो सवाल ये कि आखिर इमरान में ये कॉन्फिडेंस आया कहा से. जवाब है गुरुवार को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में जुटा विपक्षी खेमा.
विपक्षी सांसदों की संख्या बहुमत के बराबर दिखी
विपक्ष पहले दावा कर रहा था कि PTI दो दर्जन से ज्यादा सांसद टूटकर उसके खेमे में आ गए हैं लेकिन जब संसद में ताकत दिखाने की बारी आई तो विपक्षी सांसदों की संख्या बहुमत के बराबर दिखी, ना एक कम ना एक ज्यादा. पीपीपी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने कहा, 'जब भी हम नेशनल असेंबली पहुंचते हैं, इमरान खान साहब शिकस्त खाते हैं. आज विपक्ष ने 175 सदस्य सदन में खड़े करके साबित कर दिया कि अब इमरान खान के पास भागने के लिए कोई रास्ता नहीं है. हर किसी के पैर पकड़ रहे हैं कि मेरी कुर्सी बचा लीजिए. '
बहुमत के लिए 172 वोट की जरूरत
आपको बता दें कि 342 सदस्यीय पाकिस्तानी संसद के निचले सदन यानी नेशनल असेंबली में बहुमत के लिए 172 वोट की जरूरत है. मुताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान के साथ छोड़ने के बाद सत्तारुढ़ गठबंधन के पास सिर्फ 164 सांसद हैं जबकि विपक्ष 177 सांसदों के समर्थन का दावा कर रहा है लेकिन इसमें से सिर्फ 172 ही संसद पहुंचे है. यानी पाकिस्तान में पिक्चर अभी बाकी है.
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