क्या स्पैनिश फ्लू की होगी वापसी? कोरोना वायरस के मौसमी प्रकोप को ज्यादा खराब बनाने की आशंका
स्पैनिश फ्लू की महामारी ने पूरी दुनिया में 102 साल पहले दस्तक दी थी और उस वक्त दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी प्रकोप से प्रभावित हुई थी. उसकी उत्पत्ति का स्रोत पक्षियों से माना जाता है.
कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन की खोज और कई बदलावों के बाद वर्तमान वैक्सीन के बेमानी होने की आशंका ने वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है कि कैसे वर्तमान महामारी का कभी खात्मा होगा. कुछ रिसर्च से संकेत मिला है कि नया कोरोना वायरस स्वभाव में मौसमी हो सकता है, और दुनिया के कुछ हिस्सों को एक साल में कम से एक बार प्रकोप का सामना करना पड़ सकता है.
कोरोना वायरस के खतरनाक स्वभाव ने बढ़ाई चिंता वायरस के खतरनाक स्वभाव ने भी वैज्ञानिकों को रोगजनकों की क्षमता तलाश करने का मौका दे दिया है, जो भविष्य की किसी महामारी जैसे स्पैनिश फ्लू का कारण बन सकता है. 1918 में आए स्पैनिश फ्लू के प्रकोप से 50 मिलियन लोगों की जान चली गई थी. वर्ल्डवाइड इन्फ्लुएंजा सेंटर के डायरेक्टर डॉक्टर मैककॉले के मुताबिक, अभी सबसे बड़ी चिंता मौसमी फ्लू है, और उन्होंने अंदाजा लगाया है कि भविष्य की महामारी फ्लू स्ट्रेन की शक्ल में आ सकती है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया है कि जो लोग दोनों वायरस यानी कोरोना वायरस और फ्लू के वायरस से संक्रमित होंगे, उनकी मौत की संख्या सिर्फ कोरोना वायरस से संक्रमित होनेवाले के मुकाबले दोगुनी हो सकती है.
स्पैनिश फ्लू की वापसी का वैज्ञानिक जता रहे अंदेशा 1918 की इन्फ्लुएंजा महामारी को स्पैनिश फ्लू के नाम से भी जाना जाता है. उसने दुनिया की एक तिहाई आबादी को संक्रमित कर दिया था और माना जाता है कि उसकी उत्पत्ति पक्षियों से हुई थी. स्पैनिश फ्लू से मरनेवालों की संख्या का अनुमान 50 मिलियन का लगाया जाता है. माना जाता है कि उससे प्रथम विश्व युद्ध में जान गंवाने लोगों से ज्यादा की मौत हुई थी.
डॉक्टर मैककॉले ने चेताया है कि हमें उसकी वापसी के लिए तैयार रहने की जरूरत है. उनके हवाले से सन में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी, जिसमें बताया गया, "चूंकि हमने स्पैनिश फ्लू को देखा है, हमें उसे एक बार फिर देखना पड़ सकता है. हमें अभी भी इस प्रकार की घटना के लिए तैयार रहने की जरूरत है." उन्होंने आगे कहा, "कोरोना वायरस से पहले, अगला कोरोना वायरस आने और मिलने जा रहा है और ये फ्लू होने जा रहा है." उन्होंने विस्तार से समझाया, "अगला कोरोना वायरस फ्लू या दूसरा कोरोना वायरस होगा.
आप जानते हैं कि फ्लू उसे कर सकता है, और आपको अब मालूम हो गया है कि कोरोना वायरस उसे कर सकता है. चूंकि फ्लू लिस्ट से बाहर नहीं गया है, इसलिए फ्लू दूसरी लिस्ट पर बरकरार है. हम पहली बार पहले सार्स-कोरोना वायरस के साथ भाग्यशाली थे, लेकिन इस बार हम ऐसे भाग्यशाली नहीं रहे हैं, और अन्य बीमारियां हो सकती हैं."
शोधकर्ता सक्रियता से रोगजनकों को देख रहे हैं जो अगली महामारी की वजह बन सकते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, दुनिया में हर पांच साल पर एक महामारी जूनोटिक बीमारियों, वायरस और रूप बदलकर इंसानों को संक्रमित करनेवाले अन्य रोगाणुओं के कारण आ सकती है.
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