Iran US Relations: ईरान को परमाणु हथियार की पहुंच से बाहर रखने के लिए US करेगा ‘ताकत’ का इस्तेमाल? जानें बाइडेन का जवाब
Iran US Relations: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल ही में अपनी मिडिल ईस्ट यात्रा शुरू की है. उन्होंने वाशिंगटन छोड़ने से पहले एक इजराइली चैनल को दिए इंटरव्यू में ईरान न्यूक्लियर डील पर बात की.
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Iran US Relations: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने कहा कि वह ईरान (Iran) को परमाणु हथियार (Nuclear Weapon) प्राप्त करने से रोकने के लिए अंतिम उपाय के रूप में ‘ताकत’ का प्रयोग करेंगे. बता दें उन्होंने हाल ही में मध्य पूर्व (Middle East) की यात्रा शुरू की है. बाइडेन ने कहा कि वह ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) को अमेरिकी विदेशी आतंकवादी संगठनों (FTO) की सूची में रखेंगे. चाहे इसकी वजह से 2015 की ईरान न्यूक्लियर डील खत्म ही क्यों न हो जाए.”
अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह बात इज़राइल के एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कही. यह इंटरव्यू मंगलवार को वाशिंगटन छोड़ने से पहले रिकॉर्ड किया गया था, लेकिन बुधवार को प्रसारित हुआ. बाइडेन से पूछा गया कि क्या उनके पिछले बयानों- (जिनमें उन्होंने कहा था कि वह तेहरान को परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकेंगे), का मतलब है कि वह ईरान के खिलाफ ताकत का इस्तेमाल करेंगे. उन्होंने ने जवाब दिया: "अगर यही अंतिम उपाय बचा, तो हां"
क्या था 2015 समझौता?
तेहरान ने 2015 में छह प्रमुख शक्तियों के साथ एक समझौता किया था. समझौते के तहत ईरान को अपना परमाणु संवर्द्धन कार्यक्रम को सीमित करना था इसके बदले में आर्थिक प्रतिबंधों से राहत मिलने का वादा तेहरान से किया गया था. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) 2018 में डील से मुकर गए और ईरान पर कठोर प्रतिबंध लगा दिए, जिससे तेहरान ने लगभग एक साल बाद समझौते की परमाणु सीमाओं का उल्लंघन करना शुरू कर दिया.
समझौते के फिर से लागू होने की संभावन बहुत कम
एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि इस समझौते को फिर सेलागू करने की कोशिशें अब नाकाम रही हैं. उन्होंने कहा कि दो सप्ताह पहले दोहा में संयुक्त राज्य अमेरिका और ईरान के बीच अप्रत्यक्ष वार्ता के बाद इसके दोबारा लागू होने की बहुत कम संभावना बची है.
वार्ताकार मार्च में एक नए सौदे के करीब पहुंचते दिख रहे थे, लेकिन अमेरिका ने तेहरान की इस मांग से इनकार कर दिया कि वाशिंगटन आईआरजीसी को आतंकवाद सूची से हटा दे. अमेरिका ने तर्क दिया कि यह समझौते को पुनर्जीवित करने के दायरे से बाहर का मामला है.
अमेरिकी राष्ट्रपति से यह पूछे जाने पर कि क्या वह आईआरजीसी को एफटीओ (आतंकवाद लिस्ट) सूची में रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, भले ही इससे डील खत्म हो गई हो, बाइडेन ने जवाब दिया: "हां." IRGC, ईरान में एक शक्तिशाली राजनीतिक गुट है जो कि एक व्यापारिक साम्राज्य के साथ-साथ सशस्त्र कुलीन (Elite Armed) और खुफिया बलों को नियंत्रित करता है. इस पर वाशिंगटन (Washington) एक वैश्विक आतंकवादी अभियान चलाने का आरोप लगाता है.
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