(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Afghanistan Situation: अफगानिस्तान में तालिबान के उभार से बांग्लादेश में फिर से सिर उठा सकते हैं चरमपंथी संगठन
Afghanistan Situation: बांग्लादेश में भारत के पूर्व उच्चायुक्त तारिक करीम ने बताया कि अफगानिस्तान के पतन से उपमहाद्वीप पर निश्चित तौर पर प्रभाव पड़ेगा. यह एक समस्याग्रत स्थिति होगी.
Afghanistan Situation: पूर्वी कोलकाता में जुलाई में पुलिस के विशेष कार्यबल ने आतंकवादी संगठन जेएमबी से संबंध होने के शक में जब तीन बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा था, तब दक्षिण एशिया के सुरक्षा समुदाय में खलबली मच गई थी. एक महीने बाद तालिबान ने अफगानिस्तान के हेरात, कंधार और अन्य शहरों पर कब्जा कर लिया है और विशेषज्ञों का मानना है कि ‘जमात ए मुजाहिदीन बांग्लादेश’ (जेएमबी) फिर से सिर उठा सकता है, जिसकी जड़ें पहले हुए एक अफगान युद्ध से जुड़ी हुई हैं.
भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी और सामरिक मामलों के विश्लेषक शांतनु मुखर्जी ने कहा, 'अफगान युद्ध के लड़ाकों द्वारा जेएमबी का निर्माण कैसे किया गया था और कैसे उन्होंने 2000 के दशक में बांग्लादेश में आतंक फैलाया, यह हमने देखा है.' उन्होंने कहा, 'सभी जानते हैं कि वे दक्षिण एशिया में मध्यकाल का शासन लाना चाहते हैं और भारत और बांग्लादेश दोनों को इसकी चिंता करनी चाहिए कि संभावित रूप से तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद की स्थिति से मुकाबला कैसे किया जाएगा.'
बांग्लादेश में भारत के पूर्व उच्चायुक्त तारिक करीम ने बताया, 'अफगानिस्तान के पतन से उपमहाद्वीप पर निश्चित तौर पर प्रभाव पड़ेगा. यह एक समस्याग्रत स्थिति होगी क्योंकि जो समूह सुरक्षा बलों के दबाव के कारण अब तक कुछ नहीं कर पा रहे थे उन्हें फिर से उभरने का मौका मिल जाएगा.' जेएमबी के संस्थापक और अफगान युद्ध में लड़ चुके शेख अब्दुल रहमान को 2007 में बांग्लादेश में मार दिया गया था और उसके बाद नेतृत्व संभालने वाले मौलाना सैदुर रहमान को तीन साल बाद जेल की सजा हुई थी. इसके बाद सलाहुद्दीन अहमद को संगठन का नया प्रमुख बनाया गया था, जिसके भारत-बांग्लादेश सीमा क्षेत्र में छुपे होने की आशंका है.
चरमपंथी विचार का विस्तार
तालिबान ने 1990 के दशक में बांग्लादेश से बड़ी संख्या में लड़ाकों को शामिल किया था, जिन्होंने पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान में चरमपंथी विचार का विस्तार किया. उस समय अफगानिस्तान से लौटने वाले बांग्लादेश की सड़कों पर प्रदर्शन के दौरान नारे लगाते थे- 'आमरा सोबै होबो तालिबान, बांग्ला होबे अफगानिस्तान.' (हम सब तालिबान में शामिल होंगे, बांग्लादेश तालिबान बन जाएगा.)
हालांकि, यह कहना कठिन है कि हाल में बांग्लादेश से कितने लोग तालिबान में शामिल हुए हैं, लेकिन काबुल को घेरने वाली तालिबान की फौज में विदेशी लड़ाकों की उपस्थिति देखी गई है. पूर्व भारतीय राजदूत और लेखक राजीव डोगरा ने कहा, 'हमें पता है कि दुनियाभर से आए विदेशी लड़ाके तालिबान में शामिल हुए हैं और हमें डर है कि वह जब लौटेंगे तो चरमपंथी विचारधारा अपने घर भी लेकर जाएंगे.' अफगान युद्ध समाप्त होने के बाद यह लड़ाके अपने मूल देश लौट कर स्थानीय असंतुष्ट चरमपंथियों की मदद कर सकते हैं.
यह भी पढ़ें:
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन पर तालिबान कमांडर ने किया कब्जे का दावा, अशरफ गनी ने देश छोड़ा, काबुल एयरपोर्ट पर फायरिंग
Afghanistan Situations: तालिबान के कब्जे के बीच काबुल से 129 पैसेंजर्स को लेकर नई दिल्ली पहुंचा एयर इंडिया का विमान