पाकिस्तान में महिला-अधिकारों का हनन: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर इस शहर के अंदर रैली की परमिशन नहीं, महिलाओं का विरोध शुरू
Pakistan News: पाकिस्तान में लाहौर की अथॉरिटीज ने महिलाओं को 'विमेंस डे मार्च' निकालने की अनुमति देने से मना कर दिया है. इस फैसले को राइट्स ग्रुप एमनेस्टी इंटरनेशनल ने गलत करार दिया है.
Pakistan Women Rights: आगामी 8 मार्च को दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाएगा. हालांकि, कई देश ऐसे हैं, जहां महिलाओं को पुरुषों जितनी आजादी नहीं है. इन देशों में पाकिस्तान भी एक है, जहां कट्टर इस्लामिक कायदे-कानूनों के कारण महिला-अधिकारों का हनन होता है. खबर है कि अब यहां लाहौर (Lahore) में महिलाओं को 'विमेंस डे मार्च' (Women's Day March) निकालने की परमिशन नहीं दी गई है.
राइट्स ग्रुप एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, पाकिस्तान के पूर्वी शहर लाहौर के अधिकारियों ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिलाओं को रैली की परमिशन देने से इनकार कर दिया है, जो वहां के रूढ़िवादी-पितृसत्तात्मक समुदाय के प्रभाव का नतीजा है. हालांकि, लाहौर शहर के अधिकारियों ने महिलाओं को रैली की परमिशन न देने की वजह "विवादास्पद कार्ड और बैनर" को बताया है, जो आम तौर पर मार्च में भाग लेने वालों की ओर से प्रदर्शित किए जाते हैं. इस तरह के स्टीकर-बैनर शुक्रवार देर रात आयोजकों के मार्च के लिए एकत्रित किए गए थे. जिनके सामने आते ही लाहौर-प्रशासन ने 'वुमंस डे मार्च' की परमिशन रोक दी.
पाकिस्तान में महिलाएं नहीं निकाल सकेंगी मार्च
'विमेंस डे मार्च' को रोके जाने के फैसले को राइट्स ग्रुप एमनेस्टी इंटरनेशनल ने गलत करार दिया और कहा कि लाहौर-प्रशासन का फैसला "असेंबली के अधिकार पर एक गैरकानूनी और अनावश्यक प्रतिबंध है. बताते चलें कि पाकिस्तान में इस्लामिक लॉ, जैसे कि शरिया-कानून के हिमायती बहुत ज्यादा हैं और वे इस्लामिक मूल्यों के संरक्षण की बातें करते रहते हैं. इसलिए, यहां आम तौर पर धार्मिक समूहों के नेता महिला-अधिकारों की बातें करने वालों को खामोश कर देते हैं.
यह हमारे अधिकारों का उल्लंघन है: हिबा अकबर
औरत मार्च लाहौर की आयोजक हिबा अकबर ने कहा, "यह हमारे अधिकारों का उल्लंघन है. इससे महिला और पुरुषों के लिए विधानसभा की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रबंधन करने की व्यवस्था की क्षमता पर सवाल उठता है."
ताज्जुब की बात यह है कि 'औरत मार्च' पर प्रतिबंध के बावजूद लाहौर के अधिकारियों ने इस साल के हया मार्च को आयोजित करने की अनुमति दी है. इसका मतलब यह निकाला जा रहा है कि दुनियाभर में 8 मार्च को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को पाकिस्तान महत्व नहीं दे रहा, बल्कि वह अपने यहां पहले से निकाले जाने वाले 'हया मार्च', जिसमें अधिकतर बुर्के-हिजाब वाली औरतें शामिल होती हैं, उसे अनुमति दे दी है.
इस्लामाबाद में भी औरत मार्च एक पार्क तक सीमित
इसी तरह पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में भी अधिकारियों ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए औरत मार्च को शहर के एक पार्क में स्थानांतरित कर दिया है, जहां फरवरी में एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था.
वैसे महिलाओं के अधिकारों पर ध्यान देने के लिए 2018 से पूरे पाकिस्तान के प्रमुख शहरों में मार्च आयोजित किए गए हैं.
पाकिस्तान में औरत मार्च के आयोजकों को इस पर प्रतिबंध लगाने के प्रयासों का मुकाबला करने के लिए अक्सर कानूनी कार्रवाई का सहारा लेना पड़ा है. औरत मार्च रैलियों में प्रतिभागियों की ओर से लहराए गए बैनर और तख्तियों के कारण विवाद खड़ा हो गया है, जो तलाक, यौन उत्पीड़न और मासिक धर्म जैसे विषयों को उठाते हैं. ऐसे आयोजकों और प्रतिभागियों पर कट्टरपंथियों की ओर से पश्चिमी देशों का कल्चर अपनाने, उदार मूल्यों को बढ़ावा देने और धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं का अनादर करने का आरोप लगाया गया है.
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, चिंतित करने वाली बात यह भी है कि पाकिस्तान में हर साल सैकड़ों महिलाओं को पुरुष अपने "सम्मान" का हवाला देकर मार भी डालते हैं.
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