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सउदी अरब में महिलाएं चला रहीं हाई-स्पीड रेल, बाइक भी दौड़ाती हैं, जानें इन महिलाओं के बारे में

सउदी अरब में महिलाओं को ड्राइविंग में पुरुषों के बराबर अधिकार दिए हैं. अब यहां महिला जब ट्रेन चलाते नजर आती है तो लोग जानकर हैरान होते हैं कि सबसे कट्टर इस्‍लामिक मुल्‍क में भी इतना कुछ बदल गया है.

Saudi Women Train Drivers: जहां पैगंबर मोहम्‍मद के उपदेशों से इस्‍लाम मजहब की शुरूआत हुई, उस सऊदी अरब की पहचान कट्टर इस्लामिक मुल्‍क के तौर पर होती है. सऊदी अरब वो देश है, जहां इस्‍लामिक लॉ (शरिया कानून) लागू होते हैं और महिलाओं को पुरुषों के बराबर का अधिकार नहीं रहते. जहां महिलाओं को पर्दे में ही रहने की बातें कही जाती हैं और रेप का जुर्म साबित करने के लिए 4 गवाह जरूरी माने जाते हैं. हालांकि, इसी मुल्‍क में अब बदलाव की बयार बहने लगी है.

अब सऊदी अरब में महिलाएं (Saudi Women) बेहिचक ड्राइविंग कर सकती हैं. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के शासन में यहां महिलाओं को कई अधिकार दिए गए हैं. जिनमें 2018 में दिया गया ड्राइव करने का अधिकार भी शामिल है. यह अधिकार मिलने के बाद से मुल्‍क में महिलाएं खुद कार, बाइक और हैवी वाहन चलाने के लाइसेंस बनवा रही हैं. वहीं, कुछ महिलाएं ऐसी नौकरियां करने लगी हैं, जहां पुरुषों का बोल-बाला रहता है.


सउदी अरब में महिलाएं चला रहीं हाई-स्पीड रेल, बाइक भी दौड़ाती हैं, जानें इन महिलाओं के बारे में

सऊदी अरब में महिलाएं चला रहीं हाई-स्पीड ट्रेन
अब ट्रेन की ड्राइविंग को ही लीजिए...तो सऊदी अरब आज वो मुस्लिम देश है, जहां महिला 300 किमी की स्पीड से ट्रेन चलाती नजर आ जाएंगी. यहां इस्‍लामिक अनुयायियों के लिए सबसे पवित्र शहर माना जाने वाला मक्‍का भी महिला ड्राइवरों की हामी भर रहा है. थारा अली (Driver Tharaa Ali) नाम की एक महिला ऐसी ही ट्रेन ड्राइवर हैं, जो इस्‍लामिक अनुयायियों को मक्का लेकर जाने वाली हाई स्पीड ट्रेन का संचालन करती हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने पिछले साल हरमैन हाई स्पीड रेलवे में महिला ड्राइवरों के लिए निकाली गई वेकेंसी के लिए अप्‍लाई किया था. उस समय सिर्फ 32 सीटों के लिए 28000 से ज्‍यादा एप्लिकेशन आए.

जाने-माने इस्‍लामिक शहरों में भी महिला ड्राइवर
बहुत-से इस्‍लामिक विद्वान इस बदलाव से खुश नहीं होते, लेकिन महिलाओं की जिद और दुनिया में सउदी सरकार पर उठते सवालों ने ऐसा करने पर हुकूमत को विवश कर दिया. अब जब यहां की ट्रेन ड्राइवर थारा अली 300 किमी की स्पीड से ट्रेन चलाती हैं तो उनकी दुनियाभर में चर्चा होती है. बताया जाता है कि वह हाई स्पीड ट्रेन को मक्का और मदीना जैसे शहरों के बीच 450 किलोमीटर के ट्रैक पर 280-300 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ाती हैं.

पहले इंग्लिश टीचर थीं थारा अली अब ट्रेन चलाती हैं
थारा अली के बारे में खास बात यह है कि वह पहले इंग्लिश की एक टीचर थीं, लेकिन फिर उन्‍होंने सउदी सरकार द्वारा किए गए बदलाव का लाभ लिया और हाई स्पीड रेलवे की ड्राइवर के रूप में ट्रेनिंग पूरी की. वो कहती हैं कि ये काम करना मेरे लिए एक सपने जैसा था. ट्रेन में घुसना, केबिन का दरवाजा खोलना मेरे लिए काफी खास था. अल्‍लाह का शुक्र है, ट्रेनिंग के साथ, मुझे खुद पर भरोसा हो गया है...और यहां आज मैं और मेरी जैसी अन्‍य महिलाएं ड्राइविंग कर रही हैं. 

नौकरियों में महिलाओं की भूमिका बढ़ी
सऊदी अरब में आजकल नौकरियों में महिलाएं खूब भर्ती हो रही हैं. माना जाता है कि यहां नौकरियों में महिलाओं का अनुपात 2016 से दोगुना से भी ज्‍यादा हो गया है. फिलहाल 2016 के 17% के मुकाबले 37% सऊदी महिलाएं नौकरी करती हैं. हालांकि, यहां महिलाओं की बेरोजगारी दर अभी भी काफी ज्‍यादा है. पिछले साल की ही बात करें तो महिलाओं की बेरोजगारी दर 20.5% थी, वहीं सऊदी पुरुषों के लिए यह दर सिर्फ 4.3% ही था.

जो महिला पहले इस पेशे के खिलाफ थी, वो भी ट्रेन चलाने लगीं
चौंकाने वाली बात यह है कि सउदी अरब में एक महिला जो पहले रेलवे में महिलाओं की भर्ती से नाखुश थी, वो इस तरह की नौकरी के खिलाफ थी. बाद में वो भी सऊदी रेलवे में भर्ती हो गई. उसका नाम रानीम अजौज है. उसने बताया कि वह हाल में ही रेलवे में आई है. अब वह कहती है कि यहां महिलाओं ने खुद को साबित किया है. उनमें और पुरुषों में कोई अंतर नहीं है.
कई अन्‍य महिला ड्राइवरों ने कहा कि वे जो चाहती थीं, हुकूमत ने वो हक उन्‍हें दे दिया है. हालांकि, अभी सउदी में कई ऐसे कानून हैं, जिनमें महिलाओं को रियायत मिलना बाकी है. महिलाओं को लगता है कि समय के साथ वो बदलाव भी आएगा. 

यह भी पढ़ें: IMF से मदद न मिली तो कंगाल हो जाएगा पाक! जानिए डिफॉल्ट होने पर और क्या दिक्कतें झेलनी पड़ेंगी

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