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वीजा पर ट्रंप की नई पॉलिसी से अमेरिका में रह रहीं 1 लाख से ज्यादा भारतीय महिलाएं मुश्किल में

ट्रंप प्रशासन के इस फैसले के बाद अमेरिका में रह रही करीब एक लाख से ज़्यादा शादी-शुदा भारतीय महिलाओं के प्रभावित होने की आशंका है. ट्रंप प्रशासन के नई नीति के तहत उस पॉलिसी को रद्द किये जाने का प्लान बनाया जा रहा है जिससे भारतीय शादीशुदा महिलाओं को ईएडी (Employment Authorization Document) दिया जाता है.

वॉशिंगटन: पीएम नरेंद्र मोदी के मित्र माने जाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ऐसा फैसला लेने वाले हैं जिससे H-1B वीज़ा के तहत अमेरिका में काम कर रहे परिवारों की कमर टूट जाएगी. दरअसल नए फैसले के बाद अमेरिका में H-1B वीज़ा के तहत काम कर रहे लोगों की पत्नियां अब वहां कोई काम नहीं कर पाएंगी. फिलहाल इस वीज़ा के तहत वहां पहुंचे लोगों की पत्नियां ट्यूशन देने, योग सिखाने और घर में पका खाना डिलीवर करवाने जैसे काम कर लिया करती थीं जिससे उनकी खासी इनकम हो जाया करती थी और परिवार को पैसों की दिक्कत नहीं होती थी.

अगर ट्रंप प्रशासन ये फैसला लेता है तो अमेरिका में रह रही करीब एक लाख से ज़्यादा शादी-शुदा भारतीय महिलाएं इससे प्रभावित होंगी. ट्रंप प्रशासन उस पॉलिसी को रद्द करने का प्लान बना रहा है जिसके तहत भारतीय शादीशुदा महिलाओं को 'ईएडी' (Employment Authorization Document) दिया जाता है. इसी के तहत वो अमेरिका में घर आधारित काम करने का अधिकार पाती हैं.

क्या होता है 'ईएडी' (Employment Authorization Document)

  • H-1B वीज़ा धारकों की पत्नियों को H-4 वीज़ा दिया जाता है.
  • H-4 वीज़ा के तहत इन्हें अमेरिका में रहने का तो अधिकार होता है लेकिन काम करने का अधिकार नहीं होता.
  • इसे लेकर मई 2015 में ओबामा प्रशासन एक नई नीति लेकर आई.
  • इसके तहत ग्रीन कार्ड के लिए अप्लाई कर चुके H-1B वीज़ा धरकों की पत्नियों के लिए एक नया रास्ता खोला गया.
  • ग्रीन कार्ड के लिए अप्लाई कर चुके H-1B वीज़ा धरकों की पत्नियां अब 'ईएडी' हासिल कर सकती हैं.
  • 'ईएडी' उन्हें अमेरिका में काम करने का अधिकार देने वाला दस्तावेज़ है.
  • इसी को लेकर अब ट्रंप प्रशासन नीतिगत बदलाव करने जा रहा है.

क्या है H-1B वीज़ा

  • अमेरिका में एंट्री दिलाने वाला H-1B वीज़ा एक नॉन इमिग्रेंट वीज़ा है.
  • इसे पाने वाले लोग अमेरिकी कंपनियों में अस्थायी तौर पर काम कर सकते हैं.
  • ये अमेरिका के इमिग्रेशन और नॅशनॅलिटी एक्ट से सेक्शन 101 के तहत आता है.
  • इसके तहत अगर कोई व्यक्ति काम छोड़ता है या निकाला जाता है तब उसे नॉन इमिग्रेंट स्टेटस के लिए अप्लाइ करना पड़ता है.
  • दूसरा रास्ता ये होता है कि ऐसी स्थिति में वो अमेरिका छोड़कर चला जाए.
  • इस वीज़ा को पाने वाला अमेरिका में तीन सालों तक रह सकता है.
  • तीन साल तक के इस समय को बढ़ाकर ज़्यादा से ज़्यादा छह सालों तक का किया जा सकता है.
  • जो लोग अमेरिकी डिफेंस से जुड़े क्षेत्रों में काम करते हैं उनके लिए एक अपवाद भी है.
  • उनके काम के पीरियड को 10 सालों तक के लिए और बढ़ाया जा सकता है.
  • H-1B वीज़ा होल्डर यानी जिसने इसे हासिल किया है वो अमेरिका में रहते हुए ग्रीन कार्ड के लिए भी अप्लाई कर सकता है.
  • ग्रीन कार्ड मिलने का बाद इस पाने वाला व्यक्ति अमेरिका में जब तक चाहे रह सकता है और काम कर सकता है.

ट्रंप प्रसाशन अपने चुनावी वादे को पूरा करने के लिए ये कदम उठाने वाली है. उनका चुनावी नारा था 'Buy American, Hire American' यानी 'अमेरिकी चीज़ें खरीदें और अमेरिकी लोगों को नौकरी दें.' वहीं ट्रंप ने जब से व्हाइट हाउस की कमान संभाली है तब से वो लगातार इस कोशिश में लगे हैं कि H-1B वीज़ा के नियमों को और कठोर किया जा सके. आपको बता दें कि इस वीज़ा से सबसे ज़्यादा फायदा आईटी सेक्टर में काम करने वाले भारतीयों को होता आया है.

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