World Angriest Countries: आज कल दुनिया में कई तरह के संवेदनशील मामले चल रहे हैं. इसके अलावा दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जो गुस्सा करने में सबसे आगे हैं. इस दौरान इन देशों को कई तरह के उतार-चढ़ाव भी देखने को भी मिले. गैलप की तरफ से किए गए एक सर्वेक्षण के दौरान, ये पता चला है कि दुनिया के टॉप तीन ऐसे देश हैं, जहां के लोग बहुत जल्द ही गुस्सा हो जाते हैं. वो देश है लेबनान, इराक और जॉर्डन.


इन देशों में एक चीज बहुत ही कॉमन देखने को मिली. ऐसे देशों में सामाजिक-आर्थिक दबाव और संस्थागत विफलता गुस्से का मुख्य कारण रही थी. ऐसी विफलताओं में कोरोना लॉकडाउन, COVID-19 महामारी में यात्रा प्रतिबंध भी शामिल है. उसी तरह यूक्रेन में युद्ध ने मुद्रास्फीति को बढ़ा दिया, जिससे दुनिया के सबसे गरीब लोगों पर भोजन और ईंधन की कीमतों का भारी दबाव देखने को मिला.


कौन से देश को कितनी फीसदी वोट मिले


पहली बार गैलप ने 2006 में ग्लोबल एंगर पर नज़र रखना शुरू किया, जिसमें 122 देशों से एकत्र किए गए 15 साल और उससे अधिक की वयस्क आबादी के बीच एक सिस्टम तैयार किया गया. इसमें पाया गया कि इनमें नेगेटिव फीलिंग, तनाव, उदासी, क्रोध, चिंता और शारीरिक दर्द शामिल थे जो, पिछले एक साल में रिकॉर्ड हाई लेवल पर पहुंच गया. ग्लोबल लेवल पर किए गए स्टडी पर 41 फीसदी वयस्कों ने कहा कि उन्होंने तनाव का अनुभव किया था. गैलप की रिपोर्ट के अनुसार जॉर्डन को 35 फीसदी वोट मिले, इराक को 46 फीसदी और लेबनान को 49 फीसदी.


जॉर्डन, ईरान और लेबनान में गुस्से की वजह 


पिछले एक दशक में, अरब देशों में दुनिया भर में बड़े पैमाने पर विरोध, शासन के पतन, भ्रष्टाचार, घोटालों, युद्धों और बड़े पैमाने पर पलायन, क्षेत्रीय प्राथमिकताओं और इंटरनल सिस्टम को बाधित कर रही है. लाखों लेबनानी, जिनमें से कई अब भी अगस्त 2020 के बेरूत बंदरगाह विस्फोट से सदमे में हैं. उन्होंने देश छोड़ने का विकल्प चुना है, जिसमें कई युवा और कुशल श्रमिक शामिल हैं, जो खराब परिस्थितियों और अवसरों की कमी से तंग आ चुके हैं. इराक, जिसने अक्टूबर 2021 के संसदीय चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक पक्षाघात का सामना किया.


जॉर्डन ने हाल के सालों में अपने रहने की बढ़ती लागत और बेरोजगारी की उच्च दरों के कारण विरोध देखी है, जो COVID-19 महामारी और मुद्रास्फीति से भी बदतर हो गई हैं. मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में, जहां कीमतों में उतार-चढ़ाव, जलवायु संबंधी झटकों और दीर्घ राजनीतिक संकटों को तीव्रता से महसूस किया गया है, गैलप के मतदान में पाया गया कि जनता का गुस्सा व्यापक और बढ़ रहा है - विकास विशेषज्ञों का कहना है कि क्षेत्रीय सरकारों को गंभीरता से लेना चाहिए.


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