जब कोरोना का प्रकोप बढ़ा था, तब सारी दुनिया नें इसका प्रभाव झेला था. खासकर गरीब देशों को इसका सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा था. कुछ ऐसे देश भी थे जो हर रूप से मजबूत हो कर भी असहाय दिखे थे. अगर भारत देश की बात की जाये तो कोरोना यहां भी पूरे खतरनाक तरीके से फैला था. लेकिन भारत ने बहुत ही सहजता से इसका सामना किया और सारे लोगों ने एकता का परिचय देते हुए कोरोना में जरूरतमंद लोगों को मदद पहुंचाई. इसी चीज को लेकर विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने भारत की तारीफ की.भारत ने कोविड-19 महामारी संकट के दौरान गरीब देशों की भरपूर मदद पहुंचाई थी.
विश्व बैंक के अध्यक्ष ने क्या कहा?
विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने बुधवार को कोविड-19 महामारी संकट के दौरान भारत ने जिस तरह से गरीब और जरूरतमंद लोगों को सपोर्ट किया ,उसे सुधार करार देते हुए भारत की तारीफ की. मालपास ने ‘Poverty and Mutual Prosperity Report’ जारी करते हुए कहा कि दूसरे देशों को भी व्यापक सब्सिडी के बजाए भारत की तरह दूसरे देशों की मदद करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि महामारी की सबसे बड़ी कीमत गरीब लोगों को चुकानी पड़ी. कोविड-19 महामारी की वजह से गरीब देशों में गरीबी बढ़ गई.
इकोनॉमी कमजोर हो गई
डेविड मालपास ने कहा कि, कोविड-19 महामारी की वजह से ऐसी इकोनॉमी सामने आईं जो अधिक अनौपचारिक हैं, ऐसी सामाजिक सुरक्षा सिस्टम सामने आईं जो कमजोर हैं और ऐसी फाइनेंस सिस्टम जो कम विकसित हैं. इसके बावजूद कई विकासशील इकोनॉमी ने कोविड-19 के दौरान बहुत ही अच्छी सफलता हासिल की. भारत एक ऐसे देश की तरह उभरा जिसने अपने इकोनॉमी को संभाले रखा जो काबिले तारीफ है. विश्व बैंक के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘डिजिटलट ट्रांसफर के जरिए भारत ग्रामीण क्षेत्र के 85 फीसदी परिवारों को और शहरी क्षेत्र के 69 फीसदी परिवारों को अनाज और नकदी सपोर्ट देने में सफल रहा जो बहुत ही अच्छी बात है.
डिजिटल ट्रांसफर है जरूरी
डेविड मालपास ने कहा कि, दक्षिण अफ्रीका ने सामाजिक सुरक्षा दायरे में सबसे बड़ा विस्तार किया और गरीबी राहत पर 6 अरब डॉलर खर्च किए और इसे करीब 2.9 करोड़ लोगों को लाभ मिला.’’ ब्राजील ने भी आर्थिक संकट के बावजूद 2020 में भीषण गरीबी को कम करने में सफलता हासिल की और ऐसा डिजिटल पेमेंट सिस्टम से ही संभव हो पाया. मालपास ने कहा, ‘‘व्यापक सब्सिडी के बजाए डिजिटल पेमेंट सिस्टम को चुनें. जो गरीबों और सेंसिटिव ग्रुप को सर्पोट करने के लिहाज से अधिक प्रभावी है. डिजिटल पेमेंट पर 60 फीसदी से अधिक खर्च निम्न वर्ग के 40 फीसदी लोगों तक पहुंचता है. सब्सिडी के बजाए डिजिटल पेमेंट के होने से इनकम पर अधिक बड़ा प्रभाव है.’’
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