World Most Precious Medicine: दुनिया में कई तरह की बीमारियां हैं जो लोगों को अपनी चपेट में लेती है. इनमें से कुछ का इलाज है जबकि कुछ लाइलाज हैं. कुछ बीमारियां ऐसी भी हैं जिनका इलाज तो है, लेकिन वह इतना महंगा है कि हर किसी के वश की बात नहीं है.
दरअसल, कुछ बीमारियों के इलाज में यूज होने वाली दवाइयों की कीमत इतनी होती है कि उसका खर्च उठा पाना आम आदमी के लिए संभव नहीं हो पाता. आज हम आपको ऐसी ही एक दवाई के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका खर्च आम आदमी तो दूर, खास आदमी के लिए भी उठाना इतना आसान नहीं है. यह दुनिया की सबसे महंगी दवाई है. इसकी कीमत सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे. चलिए फिर आपको बताते हैं उस दवाई के बारे में.
ये है वह बेशकीमती दवाई
उस दवाई का नाम है हेमजेनिक्स (Hemgenix). इसे हाल ही में अमेरिका के फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने देश में बिक्री की अनुमति दे दी है. यह दवाई एक जीन थेरेपी है जो 'हीमोफ़ीलिया बी' नाम की बीमारी के इलाज़ में दी जाती है. इस दवाई को बनाने वाली कंपनी सीएसएल बेहरिंग ने अमेरिका में इसके एक डोज़ की क़ीमत 35 लाख डॉलर (क़रीब 28.84 करोड़ रुपये) तय की है. यह किसी भी दवाई की सबसे अधिक कीमत है.
ये है इतनी कीमत की वजह
अब आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि आखिर इस दवाई में ऐसा क्या है कि इसकी कीमत इतनी अधिक है. आइए आपको इसकी वजह भी बताते हैं. फ़ोर्ब्स मैग्ज़ीन की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2020 में सीएसएल बेहरिंग ने इस थेरेपी के लाइसेंस और मार्केटिंग के लिए इसके शुरुआती डेवलपर यूनीक्योर को 45 करोड़ डॉलर का भुगतान किया था. कंपनी ने 2026 तक इस दवा की बिक्री से 1.2 अरब डॉलर कमाने का लक्ष्य रखा है.
बायोटेक कंपनी की मानें तो इस दवा की इतनी क़ीमत इसके क्लीनिकल, सोशल, इकॉनमी और इनोवेटिव वैल्यू को देखते हुए रखी गई है. वहीं कंपनी ने इसकी कीमत पर बताया कि यह सिंगल डोज़ थेरेपी है, ऐसे में इसकी क़ीमत 'हीमोफ़ीलिया बी' के इलाज में पहले से यूज होने वाले इंजेक्शन से कम पड़ती है. कंपनी ने बताया कि एक मरीज़ इंजेक्शन के जरिये इस बीमारी के इलाज में करीब दो करोड़ डॉलर का खर्च करता है. ऐसे में यह दवाई इससे कम दाम में उपलब्ध है.
क्या है 'हीमोफ़ीलिया बी'
'हीमोफ़ीलिया बी' बहुत ख़तरनाक बीमारी है. यह खून को जमने से रोकती है. आसान शब्दों में कहें तो यह एक जेनेटिक बीमारी है और इसकी वजह से खून ठीक से नहीं जमता. क़रीब चालीस हज़ार लोगों में एक इंसान को 'हीमोफ़ीलिया बी' बीमारी होती है. इससे बीमार व्यक्ति के शरीर में खून जमने के लिए ज़रूरी प्रोटीन नहीं बन पाता है और इससे जानलेवा रक्तस्राव होता है. जिस प्रोटीन की वजह से ऐसा होता है उसका नाम फ़ैक्टर 9 है, जो ब्लड प्लाज्मा में होता है. इससे पीड़ित मरीज को कई हफ़्ते तक फ़ैक्टर 9 का इंजेक्शन लगवाना पड़ता है.
ये दवाएं भी हैं काफी महंगी
दवाओं और अन्य मेडिकल उत्पादों की क़ीमत का स्वतंत्र रूप में आंकलन करने वाली संस्था इंस्टीट्यूट फ़ॉर क्लीनिकल एंड इकोनॉमिक रिव्यू के मेडिकल डायरेक्टर डेविड रिंड के मुताबिक, बाज़ार में उपलब्ध अन्य सिंगल डोज़ वाली जीन थेरेपी दवाओं, जैसे ज़ाइनटेग्लो (28 लाख डॉलर) और ज़ोल्गेंज्मा (21 लाख डॉलर) के मुकाबले हेमजेनिक्स कहीं ज़्यादा महंगी है. जाइनटेग्लो बीटा थैलेसीमिया के लिए जबकि ज़ोल्गेंज्मा स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफ़ी के इलाज में दी जाती है.
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