न्यूयॉर्क: 11 सितंबर, 2001 को दुनिया ने आतंक और दहशत का सबसे भयावह रूप देखा था. आज ही के दिन 18 साल पहले अमेरिका उस त्रासदी से रूबरू हुआ, जिसकी कल्पना भी उसने कभी नहीं की थी. अमेरिका में सबसे खतरनाक आंतकी हमला आज ही के दिन हुआ था. न्यूयॉर्क की नाक कही जाने वाली इमारत वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पलभर में राख हो गई. अल कायदा के आतंकी हमले में सैकड़ों बेगुनाह अमेरिकी नागरिकों की जान चली गई. आईए जानते हैं कि आखिर उस भयावह घटना वाले दिन हुआ क्या हुआ था.
क्या हुआ था उस दिन
दुनिया भर में सबसे ताकतवर देशों की सूची में सबसे आगे रहने वाले अमेरिका के लिए 11 सितंबर 2001 का दिन दहशत भरा था. एक धमाके ने सबसे ताकतवर देश की रूह कपा दी थी. धमाके से अमेरिका थर्रा उठा था. दरअसल आतंकी संगठन अलकायदा के आतंकियों ने चार यात्री विमान अगुआ कर लिया था. इसके बाद चार में से दो विमान न्यूयॉर्क शहर में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से टकरा गए. तीसरा पेंटागन पर और चौथा विमान जंगल में गिरा दिया गया.
11 सितंबर की सुबह 8:46 बजे, अमेरिकी एयरलाइंस की फ्लाइट 11 वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के नॉर्थ टॉवर और दूसरा विमान 9:03 बजे साउथ टॉवर से टकराया. जब विमान ट्रेड सेंटर से टकराया तो विमान में सवार यात्रियों सहित 2974 लोग मारे गए और करोड़ों डॉलर का नुकसान हुआ. मरने वालों में 343 फायर विभाग और 60 पुलिस अधिकारी भी शामिल थे. वहीं इस वहशीपन को अंजाम देने वाले 19 आतंकियों की भी मौत हुई. मरने वाले लोगों में 70 अलग-अलग देशों के नागरिक थे.
कौन थे आतंकी
इस खौफनाक हमले को अंजाम देने वाले अल कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन के 19 हाइजैकर्स में से 15 सऊदी अरब के थे और बाकी यूएई, इजिप्ट और लेबनान के रहने वाले थे. इन 19 आतंकियों का सरगना मिस्र का मोहम्मद अत्ता था जो एक विमान का चालक भी था. वह बाकी आतंकियों के साथ मारा गया.
कैसे रची गई साजिश
जांच में सामने आया कि 9/11 का मास्टर माइंड खालिद शेख मोहम्मद था. वह ओसामा बिन लादेन का काफी खास साथी था. इस हमले की तैयारी साल 1996 से ही शुरू हो गई थी.
अमेरिका ने किया पलटवार और ओसामा का खात्मा
राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने ठान लिया था कि ओसामा बिन लादेन और उसके आतंकी संगठन अलकायदा को खत्म करना है. बुश ने कहा कि दोषी लोगों को बख्शा नहीं जाएगा और सख्त कार्रवाई की जाएगी. अमेरिका ने जल्द ही अपनी सेनाएं इराक भेज दी. वहां उसका निशाना सद्दाम हुसैन था. इसके साथ ही अफगानिस्तान से तालिबानी शासन हटाने की कवायद भी तेज कर दी गई.
राष्ट्रपति बुश ने अफगानिस्तान में अपनी सेनाएं भेजी थी ताकि ओसामा और उसके साथियों का पता लगाया जा सके, लेकिन इसमें सफलता नहीं मिल सकी है. अरबों डॉलर फूंके जाने के बाद भी बुश खाली हाथ रहे. जहां-तहां हमले किए जा रहे थे, लेकिन केवल निर्दोष नागरिक ही हताहत हो रहे थे. यह भी पता नहीं था कि ओसामा जिंदा है या मारा गया, फिर आखिरकार बुश के बाद अमेरिका के नए राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उसे ढूंढ लिया और पाकिस्तान के एबटाबाद में एक गुप्त कार्रवाई में उसे मार गिराया.
पहले भी हुआ था वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला
इस हमले से पहले भी साल 1993 में आतंकियों ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के अंडरग्राउंड गैराज में एक ट्रक बम प्लांट किया था. जोरदार ब्लास्ट में सात मंजिलों को नुकसान पहुंचा था. उस समय छह लोगों की मौत हुई और करीब 1,000 लोग घायल हो गए थे, लेकिन दोनों टॉवर्स को कुछ नहीं हुआ था. एफबीआई ने बाद में हमले में शामिल सात आतंकियों को गिरफ्तार किया था.
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