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दूसरे विश्व युद्ध का ऐसा क्रिसमस केक जो कभी खाया ही नहीं गया...आखिर क्यों?

विश्व युद्ध से जुड़े कई किस्से आपने सुने होंगे. एक वाकया ऐसा है जो इस जंग और क्रिसमस को जोड़ता है. वो एक क्रिसमस केक जो कभी अपने पाने वाले के पास पहुंच ही नहीं पाया और बगैर खाए म्यूजियम पहुंच गया.

जंग कभी भी जोड़ती नहीं तोड़ती ही हैं और दुनिया के इतिहास में ऐसी ही दो जंग विश्व युद्ध I और II के तौर पर सामने आ चुकी हैं. इनके दिल दहला देने भयावह नतीजे और आज भी आंखों में आंसू ला देने वाले किस्से-कहानियां कभी नहीं मरते. गाहे-बगाहे ये आकर इंसान को एहसास कराते है कि जंग आपसे क्या छीन सकती है?

ऐसा ही एक वाकया दूसरे विश्व युद्ध के दौरान क्रिसमस के मौके का है. जब यूके के सबमेरिनर को उसकी मां ने क्रिसमस का केक बड़े अरमानों से भेजा. हर बात से अनजान मां खुश होती रही कि बेटे ने केक खा लिया होगा, लेकिन ऐसा नहीं था. एक मां के प्यार और आर्शीवाद से भरा ये केक कभी उस तक पहुंच ही नहीं पाया. ये बगैर खाए ही रह गया. आखिर ऐसा क्या हुआ जो ये केक खाने वाले ने खाया ही नहीं?

"मैं अभी वन पीस हूं" 

नॉटिंघम के सबमेरिनर बर्ट हैमिल्टन स्मिथ ने क्रिसमस से पहले अपने घर एक टेलीग्राम भेजा. इस टेलीग्राम में उन्होंने लिखा, " मैं अभी भी वन पीस हूं." दरअसल दूसरे विश्व युद्ध में तैनात इस सबमेरिनर ने अपने घर ये टेलीग्राम यूके लौटने पर किया था. सबमेरिनर बर्ट ने शायद ये नहीं सोचा होगा कि उन्हें यहां से लड़ाई के लिए स्कॉटलैंड भेजा जाएगा. बर्ट हैमिल्टन 1941 में पनडुब्बी एचएमएस-33 (HMS P33) के चालक दल में शामिल हुए थे.

इस पनडुब्बी पर कई घंटों तक गहराई में हमले किया गया था. इसके बाद ये समुद्र में खो गई थी. इस पनडुब्बी के दुश्मन के हमले में डूब जाने के 30 साल बाद द्वितीय विश्व युद्ध में न खाए गए एक क्रिसमस केक की कहानी का सामने आई थी खुलासा हुआ था. दरअसल ये केक एक संग्रहालय को दान में दिए जाने के बाद इसका पता चला था. रॉयल नेवी सबमरीन म्यूजियम की रिसर्च में बर्ट हैमिल्टन स्मिथ की पूरी कहानी सामने आई.

1939 में खरीदा गया था क्रिसमस केक

सबमेरिनर बर्ट हैमिल्टन स्मिथ कभी अपनी क्रिसमस केक की ट्रीट खाने के लिए घर नहीं लौटे. उनके परिवार ने साल 1939 में  बड़े अरमानों से उनकी क्रिसमस की छुट्टी के लिए ये केक खरीदा था. जिस पनडुब्बी एचएमएस-33 के चालक दल में बर्ट शामिल थे. एक डेप्थ चार्ज हमले के बाद 1941 में वह समुद्र में खो गई थी. रॉयल नेवी म्यूजियम के मुताबिक ये कहानी रॉयल नेवी में तैनात लोगों के क्रिसमस पर महसूस किए गए अकेलेपन के वक्त को याद दिलाने वाली दर्द भरी एक दास्तान है. 

दूसरे विश्व युद्ध का ऐसा क्रिसमस केक जो कभी खाया ही नहीं गया...आखिर क्यों?

बहन खत लिखती रही...

गोस्पोर्ट, हैम्पशायर के म्यूजियम में बर्ट स्मिथ की बहन फ़्लो बर्बेज के लिखे गए अनदेखे खत मिले. ये खत भी उन्होंने 1983 में केक के साथ म्यूजियम को दान किए थे. म्यूजियम में सबमेरिनर बर्ट की बहन के दिए गए पुराने दस्तावेजों से पता चला कि वो 1905 में पैदा हुए थे. इनसे ये भी जानकारी मिली की वो 1939 में भूमध्य सागर में पनडुब्बी एचएमएस ओसिरिस पर अपनी सर्विस पूरी करने के बाद क्रिसमस पर लौटने वाले थे.

यूके लौटने पर उन्होंने अपने परिवार को भरोसा और हौसला देने के लिए एक छोटा टेलीग्राम भेजा था. इसमें उन्होंने लिखा था, "द वांडरर ब्रीफ स्पेल स्टिल इन वन पीस" इसका मतलब था घुमक्कड़ थोड़े समय के लिए लौटा अभी भी एक टुकड़े में है यानी वो जीवित है. लेकिन लेकिन उन्हें घर लौटने का कभी मौका नहीं मिला क्योंकि उन्हें पनडुब्बी एचएमएस पी33 (HMS P.33)के चालक दल में शामिल होने के लिए स्कॉटलैंड भेजा गया था. ये पनडुब्बी  माल्टा के लिए रवाना हो रही थी. 

अगस्त 1941 में पनडुब्बी को लीबिया के तट पर एक दुश्मन के काफिले को रोकने के लिए भेजा गया था, लेकिन कई घंटों तक चले डेप्थ चार्ज हमले की रिपोर्ट के बाद ये डूब गई थी. सबमेरिनर बर्ट हैमिल्टन स्मिथ की लाश कभी नहीं मिली. इसके बाद उन्हें समुद्र में खोया हुआ घोषित कर दिया गया. सबमेरिनर बर्ट और उनके बगैर खाए केक की ये पूरी कहानी आज भी म्यूजियम के स्मरण (Area Of Remembrance) वाले हिस्से में देखी जा सकती है.

केक पर लिखा है ये...

म्यूजियम में केक के ब्योरे में लिखा गया है एक मां का बेक किया गया क्रिसमस केक जो एक बर्बेज की एचएमएस पी33 से वापसी का जश्न मनाने के लिए बनाया गया था. केक आकार में गोलाकार है और इसके चारों ओर एक टार्टन बैंड है. इसके टॉप पर बादाम और एक चांदी का टैग है जिस पर लिखा है,  'क्रिसमस की शुभकामनाएं' के साथ नकली होल्ली के टुकड़े भी हैं.

होल्ली एक सदाबहार झाड़ी है जिसके पत्ते कांटेदार होते हैं. केक को प्लास्टिक में लपेटा गया है. केक एक अंडाकार आकार के टिन के अंदर रखा है जो गहरे नीले रंग से रंगा है. साइड में रेडियंस लिमिटेड, डोनकास्टर, इंग्लैंड  निर्मित 'रेडियंस क्रीम डे मेंथे टॉफ़ी' है. टिन के ढक्कन पर भी बनाने वाले का नाम लिखा है.

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