सिंगापुर में दूसरे विश्व युद्ध का एक जिंदा बम मिला, आज भी बर्बाद हो सकता है पूरा 'शहर'
Second World War Bomb: बम मिलने की खबर 20 सितंबर को मिली थी. इस वजह से 200 मीटर की जद में आने वाले घरों से लोगों को निकाला जा रहा है.
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World WarII Bomb Found in Singapore: सिंगापुर के अपर बुकित तिमाह में जमीन के अंदर एक बम मिला जिसका इस्तेमाल दूसरे विश्व युद्ध के दौरान होने की बात कही जा रही है. द स्ट्रेट्स ने इतिहास के जानकारों के हवाले से बताया है कि इस बम में 47 किलो विस्फोटक हैं, जो आसपास के सभी इमारतों को जमींदोज करने का लिए काफी है.
इतिहास के जानकारों ने बताया कि ये बम जापान की इंपीरियल सेना ने सिंगापुर के ऊपर गिराया था. द स्ट्रेट्स ने ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट के एक वरिष्ठ विश्लेषक डॉ. युआन ग्राहम के हवाले से बताया है कि यदि 320 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से कोई बम आसमान से गिराया जाता है तो जाहिर है कि वह जमीन में कुछ मीटर नीचे धंस जाएगा.
इतिहासकार जॉम्स क्वोक ने द स्ट्रेटस को बताया कि कई बार ऐसा होता है कोई बम आसमान में ही फट जाता है, लेकिन कई बार कुठ समय के लिए फ्यूज होने की वजह से यह इमारतों में घुस जाता और धमाका करता है, लेकिन इससे हताहतों की संख्या बढ़ती और लोगों को ज्यादा नुकसान झेलना पड़ता है. हालांकि कई बार ऐसा भी होता है कि फ्यूज बम सतह के भीतर घुस के बाद भी नहीं फटते हैं.
पूरा इलाका कराया गया खाली
बम मिलने की खबर 20 सितंबर को मिली थी. इस वजह से 200 मीटर की जद में आने वाले घरों से लोगों को निकाला जा रहा है. 47 इंजीनियर की टीम पूरे इलाके से लोगों को बाहर निकालेगी और कोई घर में न रहे इसकी निगरानी करेगी.
सिंगापुर में दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान क्या हुआ था?
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सिंगापुर में ब्रितानी सेना की भारी मौजूदगी हुआ करती थी, लेकिन 1942 में जापान ने ब्रितानी सेना पर अंधाधुंध बम बरसाए और सिंगापुर पर कब्जा कर लिया. इस हार को ब्रिटेन अपने इतिहास की सबसे बुरी हार के तौर पर देखता है. कहा जाता है सिंगापुर का पतन भी इसी समय हुआ था.
बीबीसी के मुताबिक इस हार पर तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने कहा था कि यह ब्रितानी इतिहास का सबसे बड़ा नुक़सान और सबसे बड़ा आत्म-समर्पण" है.
हालांकि 1944-45 में ब्रिटेन ने जापान पर हमला बोलते हुए सिंगापुर को जापान से जीत लिया था, 15 अगस्त 1945 को भारत के आखिरी गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने जापान का आत्मसमर्पण स्वीकार किया था. इसी दिन की वजह से भारत की आजादी की तारीख 15 अगस्त रखी गई थी.
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