Xi Jinping Power: 2012 में चीन के राष्ट्रपति बनने के बाद से शी जिनपिंग (Xi Jinping) की चीन की सत्ता पर पकड़ लगातार मजबूत होती गई. उनकी तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति के रूप में ताजपोशी हो गई है. जिनपिंग का नाम पार्टी संविधान में शामिल किया गया है, जिसके बाद से उन्हें कोई चुनौती नहीं दे पाएगा. पर्यवेक्षकों का कहना है कि जिनपिंग माओ की तरह जीवनभर सत्ता में बने रह सकते हैं. 


शी का जन्म 15 जून 1953 को क्रांतिकारी शी झोंगक्सुन के घर में हुआ था, जिन्होंने पार्टी के प्रचार प्रमुख के रूप में कार्य किया था. कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच ही शी की परवरिश हुई थी. 1960 में शी के जीवन में बड़ा मोड़ आया जब उनके पिता को पार्टी से बाहर निकाल दिया गया. शी महज सात साल के थे, तब उनके पिता को हेनान प्रांत में एक कारखाने में काम करने के लिए भेज दिया गया. इसके बाद हालात और खराब होते चले गए, जब उनके पिता को क्रांति का दुश्मन बताकर जेल भेज दिया गया. 


आगे की पढ़ाई के लिए माओ ने ही भेजा था गांव 


यह ऐसा दौर था जब शी जिनपिंग की सेकेंडरी एजुकेशन के खत्म होने का समय आ गया था.भविष्य के नेता को माओ की योजना के तहत आगे की पढ़ाई के लिए एक गांव भेजा गया था. एक गुफानुमा घर में रहने और सात साल तक किसान के रूप में काम करने के बाद शी ने ग्रामीण गरीबों के लिए एक आत्मीयता विकसित की. ग्रामीण चीन में उनके कार्यकाल ने ही उनकी भविष्य की राजनीति को इतना मजबूत बनाया. 


जिनपिंग के लिए आसान नहीं था CCP में शामिल होना 


कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल होना जिनपिंग के लिए आसान नहीं था. उन्होंने लगभग 10 बार पार्टी में शामिल होने के लिए आवेदन किया. कई कोशिशों के बाद उन्हें पार्टी में जगह मिली. 70 के दशक के अंत में शी ने बीजिंग के सिंघुआ यूनिवर्सिटी में केमिकल इंजीनियरिंग की स्टडी की. फिर 1998-2002 के बीच उन्होंने मार्क्सवादी सिद्धांत (Marxist Theory) को लेकर भी स्टडी की. उन्हें सिंघुआ से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त है. 


शी जिनपिंग का राजनीतिक सफरनामा


1979 में शी गेंग बियाओ के सचिव बने, जो केंद्रीय सैन्य आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष थे. यह चीन की टॉप डिफेंस बॉडी में से एक थी. 1983 में उनको असल सफलता मिली, जब वह झेंगडिंग काउंटी के पार्टी सचिव बने. इसके बाद उनका सफर रूका नहीं. अगले 24 सालों में शी ने चार अलग-अलग प्रांतों हेबै, फ़ुज़ियान, झेजियांग और शंघाई में सेवा की. 1997 मे वह चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 15वीं केंद्रीय समिति के 'वैकल्पिक सदस्य' बने. इसके बाद 2002 में वह झेजियांग प्रांत में स्थानांतरित हो गए और 16वीं केंद्रीय समिति के पूर्ण सदस्य के रूप में भी चुने गए. 


माओ के बाद सबसे शक्तिशाली नेता हैं जिनपिंग 


नवंबर 2012 में आखिर वह समय आया जब शी को हू जिंताओ के उत्तराधिकारी के रूप में पार्टी महासचिव के पद पर जगह मिली और चार महीने बाद मार्च 2013 में उनकी चीन के राष्ट्रपति के रूप में ताजपोशी हुई. माओ जेदोंग के बाद शी को ही सबसे शक्तिशाली चीनी सर्वोच्च नेता कहा जाता है. सत्ता में आने के बाद से शी ने एक व्यापक भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चलाया है. इंटरनेट की स्वतंत्रता को कड़ा किया है, निगरानी का विस्तार किया है, सैन्य खर्च को बढ़ाया है और अधिक मुखर विदेश नीति अपनाई है. हालांकि, कई देश उनके शासन की आलोचना करते रहे हैं. 


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