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चीन के पूर्व राष्ट्रपति हू जिन्ताओ से शी जिनपिंग की पुरानी अदावत, CCP बैठक से बाहर निकालकर लिया बदला

शी जिनपिंग और हू जिन्ताओ के बीच कड़वाहट बीते 10 सालों से बनी हुई थी. अब जिनपिंग ने आखिरकार जिन्ताओ से बदला ले ही लिया. उन्होंने शनिवार को जिन्ताओ को सीसीपी की बैठक से बाहर करवा दिया था.

Xi Jinping And Hu Jintao: शी जिनपिंग चीन के ताकतवर नेताओं में से एक हैं. उनकी ताकत का अंदाजा आप सिर्फ इस बात से लगा सकते हैं कि उन्होंने सीसीपी की बैठक (CCP Meeting) में अपने बगल में बैठे पूर्व राष्ट्रपति हू जिन्ताओ को ग्रेट हॉल से ही बाहर करवा दिया. यह शिनपिंग की तानाशाही का एक नमूना भर ही था. हालांकि, हू जिन्ताओ और शी जिनपिंग के बीच अदावत कोई कल का किस्सा नहीं है.

2012 के अंत में ही दोनों में नफरत के बीज फूटने लगे थे. उसके बाद कम्युनिस्ट पार्टी के इन दो दिग्गजों में कई मौको पर और कई मसलों पर असहमति दिखी. जिसका बदला आखिरकार जिनपिंग ने चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की सबसे बड़ी मीटिंग में ले लिया. चलिए आपको 2012 के किस्से के बारे में बताते हैं.

साल 2012 से थी ये कड़वाहट

ये साल 2012 के अंत की बात है. चीन के तत्कालीन राष्ट्रपति हू जिन्ताओ का कार्यकाल खत्म हो रहा था. वो तीसरी बार राष्ट्रपति बनना चाहते थे, लेकिन संविधान में अड़चन की वजह से उनकी हसरत पूरी नहीं हो पाई. चीन में सत्ता पर पकड़ कायम रहे इसके लिए जिंताओ ने अपने 2 सबसे फेवरेट चेहरे ली केकियांग और हू चुनहुआ में से किसी एक को राष्ट्रपति बनाने की पूरी कोशिश की.

जिनपिंग के आगे सब धराशाही

हू जिन्ताओ ने इन दोनों के पक्ष में माहौल बनाया, लेकिन शी जिनपिंग ने खुद को किसान और सेना से ऐसा जोड़ा कि जिनपिंग के जाल में जिंताओ उलझ कर रह गए. हालांकि हू जिन्ताओ के करीबी ली केकियांग प्रधानमंत्री तो बन गए, लेकिन उनकी हैसियत महज नाम की थी. चीन में होता वही था जो जिनपिंग चाहते थे. 

ले लिया बदला...

शी जिनपिंग के मंगोलिया दौरे के बाद और चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी की ताजा मीटिंग से पहले, इंटरनेशनल मीडिया में तख्तापलट की खबरें खूब वायरल हुईं. उस समय हर जगह यही छपा कि शी जिनपिंग को हटाकर हू जिन्ताओ को नया राष्ट्रपति बनाया जाएगा. जाहिर है ये खबरें जिनपिंग के कानों तक भी पहुंची होंगी औ इसीलिए जिनपिंग ने सीपीसी सी 20वीं बैठक में हू जिन्ताओ और उनके करीबियों पर बड़ा प्रहार किया.

कौन हैं हू जिन्ताओ?

हू जिन्ताओ, अप्रैल 1964 में चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) में शामिल हुए. उसी साल उन्होंने जल संरक्षण इंजीनियरिंग विभाग में हब हाइड्रोपावर स्टेशनों का अध्ययन करने के बाद सिंघुआ विश्वविद्यालय से स्नातक किया. हू जिन्ताओ 1992 से 2012 तक सीपीसी पोलित ब्यूरो स्थायी समिति, चीन की वास्तविक शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था के सदस्य थे. वह 2002-2012 तक अपने राजनीतिक जीवन के चरम पर थे. चीनी राजनेता हू जिंताओ ने 2002-2012 तक चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के महासचिव के रूप में कार्य किया. वह 2003-2012 तक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) के अध्यक्ष और 2004 से 2012 तक सैन्य आयोग के अध्यक्ष भी रहे.

ये भी पढ़ें- दुनिया को विनाश के दौर में ले जा सकते हैं शी जिनपिंग, परमाणु ताकत में अमेरिका को चुनौती देने की तैयारी

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