बीजिंग: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को कहा कि वह नेपाल के साथ संबंधों को लगातार आगे बढ़ाना चाहते हैं. नेपाल में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी में जारी अंदरूनी कलह के बीच उनका यह बयान आया है.  दरअलस, चीन समर्थक प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली की सत्ता पर पकड़ को बीजिंग मजबूत करना चाहता है.


नेपाल के साथ राजनयिक संबंधों की 65वीं वर्षगांठ के मौके पर नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को शुभकामना संदेश देते हुए शी ने कहा कि वह दोनों पड़ोसी देशों के लोगों को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाने के लिए काम करने को तैयार हैं. चीन के राष्ट्रपति ने कहा कि चीन-नेपाल संबंधों को वह काफी महत्व देते हैं और अपनी नेपाली समकक्ष भंडारी के साथ काम करने के लिए इच्छुक हैं, ताकि द्विपक्षीय संबंध लगातार आगे बढ़ते रहें.


सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन (सीपीसी) महासचिव शी ने कहा कि राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से दोनों देशों ने हमेशा एक-दूसरे का सम्मान किया है, एक-दूसरे को बराबर माना है, परस्पर राजनीतिक विश्वास को बढ़ाया है और परस्पर सहयोग को और मजबूत किया है.


समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने राष्ट्रपति के हवाले से बताया कि उन्होंने और भंडारी ने पिछले वर्ष एक-दूसरे देश का दौरा किया था और द्विपक्षीय संबंधों को विकास और समृद्धि की दोस्ती में तब्दील किया. शी ने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में दोनों देश एकजुट रहे हैं और चीन तथा नेपाल के बीच दोस्ती का नया अध्याय लिखा.


चीन के प्रधानमंत्री लि किकियांग और नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने भी एक दूसरे को शुभकामनाएं दीं. नेपाल के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘सदियों से सौहार्दपूर्ण दोस्ती पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री (ओली) ने कहा कि नेपाल ने ‘एक चीन नीति’ को हमेशा माना है और चीन ने हमेशा नेपाल की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और राजनीतिक स्वतंत्रता का सम्मान किया है.’’


नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने चीन के विददेश मंत्री वांग यी को दिए संदेश में द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने में वांग की भूमिका की प्रशंसा की. वांग ने भी संचार और सहयोग को मजबूत करने के लिए ग्यावली के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई. नेपाल और चीन के बीच एक अगस्त 1955 को राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे. हाल के वर्षों में नेपाल में चीन की राजनीतिक दखल बढ़ी है, जिसके लिए बीजिंग ने बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) के तहत अरबों डॉलर का निवेश किया है.


इसके अलावा काठमांडू में चीन की राजदूत हाऊ यांकी ने ओली के लिए समर्थन जुटाने का खुलेआम प्रयास किया है, जिन्हें पार्टी के अंदर बगावत का सामना करना पड़ रहा है. हाल ही में हाऊ ने प्रचंड एवं अन्य नेताओं से मुलाकात कर ओली का समर्थन करने का आग्रह किया था, लेकिन प्रधानमंत्री के खिलाफ विरोध कम होने का नाम नहीं ले रहा है.


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