खून अपना हो या पराया हो 
नस्ल-ए-आदम का खून है आख़िर 


बम घरों पर गिरें कि सरहद पर 
रूह-ए-तामीर जख्म खाती है 


टैंक आगे बढ़ें कि पीछे हटें 
कोख धरती की बांझ होती है 


फत्ह का जश्न हो कि हार का सोग 
जिंदगी मय्यतों पे रोती है 


जंग तो खुद ही एक मसअला है 
जंग क्या मसअलों का हल देगी 


मशहूर शायर साहिर लुधियानवी की नज़्म 'ऐ शरीफ इंसानो' की ये पंक्तियां इस वक्त दुनिया भर में जारी युद्ध पर कितनी सटीक बैठती है. इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध, अजरबैजान आर्मेनिया युद्ध और रूस-यूक्रेन समेत दुनिया के कोने कोने में हो रहे युद्ध में यही तो हो रहा है. बम गिराए जा रहे हैं, इंसानों की नस्ल मिटाई जा रही है..धरती की कोख बांझ हो रही है.


एक ऐसे वक्त में जब दुनिया के सभी देशों को जंग लड़नी चाहिए गुलामी के खिलाफ, मुफ़लिसी (गरीबी) के खिलाफ, बेहतर निजाम के लिए, शिक्षा के लिए, बराबरी के लिए, स्वच्छ पानी और हवा के लिए लेकिन दुनिया आपस में उलझी है. देशों के बीच एक-दूसरे को नेस्तनाबुद करने की कवायद चल रही है लेकिन ये जंग हो क्यों रही है? आइए देखें इस साल दुनिया में किन-किन देशों में जंग चल रही है.


इजरायल-हमास जंग


इजरायल और हमास के बीच जंग 7 अक्टूबर को शुरू हुई. जंग में दोनों पक्षों की ओर से कम से कम 19,630 लोगों की मौत हुई है. हमास और इजरायल के बीच जंग का इतिहास काफी पुराना है. इस बार ये जंग तब शुरू हुआ जब हमास ने एक साथ करीब 5 हजार रॉकेट इजरायली शहर तेल अवीव की ओर दाग दिए. हमास के लड़ाकों ने इजरायल की सीमा में घुसकर कई नागरिकों को मारा और 240 नागरिकों का बंधक बना लिया. इसमें कुछ विदेशी या दोहरी नागरिकता वाले लोग भी शामिल थे. 


इसके जवाब में इजरायल ने बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी. इजरायली सेना हमास के कब्जे वाले इलाके गाजा में घुस गई. सेना ने बडे़ पैमाने पर हवाई हमले किए, इस वजह से हजारों लोगों की मौत हुई और उससे भी ज्यादा लोग घायल हुए. 


कुछ वक्त बीतने के बाद अरब मुल्क कतर ने दोनों देशों के बीच युद्ध-विराम कराया लेकिन एक सप्ताह के बाद ये युद्ध-विराम टूट गया और अब फिर से जंग बदस्तूर जारी है.


रूस-यूक्रेन युद्ध


रूस और यूक्रेन के बीच पिछले 657 दिनों से जंग चल रही है. लेकिन ये जंग 2014 से सुलग रही थी. रूस ने साल 2014 में यूक्रेन की क्रिमिया इलाके पर कब्जा कर लिया था. लेकिन फरवरी 2022 में रूस ने पूरी ताकत से जंग छेड़ दी. दोनों देशों की ओर से लाखों सैनिक मारे गए. 


न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, अगस्त 2023 तक यूक्रेन और रूस के लगभग 5 लाख सैनिकों की मौत हुई या फिर घायल हो गए. इस जंग में यूक्रेन को पश्चिमी देशों की शह मिली हुई है. इसके अलावा नाटो ने भी यूक्रेन की सहायता की है. फिलहाल दोनों देशों के सैनिक आगे नहीं बढ़ रहे हैं, लेकिन आए दिन ड्रोन अटैक और बम विस्फोट की खबरें आती रहती हैं.


सूडान की जंग


सूडान में नागरिकों और सेना के समन्वय से सरकार चलती है. देश को चलाने के लिए सॉवरेन काउंसिल नाम की एक समिति बनाई गई है. इसमें सेना और अर्धसेना के नेता और नागरिकों की ओर से एक सदस्य होते हैं. काउंसिल में आर्मी चीफ अब्देल फताह अल-बुरहान का दबदबा है.जबकि अर्ध-सैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्स के चीफ मोहम्मद हमदान दगालो समिति में नंबर दो के नेता है. लेकिन दोनों नेताओं में सेना और अद्धसैनिक बलों के विलय को लेकर मतभेद हो गए और तनाव का रूप ले लिया. फिर अप्रैल 2022 में सेना और अर्धसेना ने अपने-अपने दबदबे वाले इलाको को कब्जा कर लिया और एक दूसरे पर हमला करने लगे. इस हमले में सैंकड़ों नागरिकों की जान चली गई.


अजरबैजान-आर्मेनिया युद्ध


अजरबैजान-आर्मेनिया कभी सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करते थे. दोनों देशों के बीच लंबे समय से नोगोर्नो काराबाख इलाके को लेकर तनाव रहता है. इस साल 20 सितंबर को लगभग 10 हजार अर्मेनियाई नागरिक अजरबैजान की कब्जे वाली नोगोर्नो काराबाख में आ गए. लेकिन इस वजह से दोनों देशों के बीच जंग भड़क गया. इससे पहले 1980, 1990, 2016, 2020 में इस इलाके को लेकर जंग हुई है.


यमन


साल 2014 से यमन में गृह युद्ध छिड़ा हुआ है. इसकी मूल वजह शिया और सुन्नी विवाद है. देश में 35 फीसदी शिया और 65 फीसदी सुन्नी मुसलमान रहते हैं. साल 2014 में शिया विद्रोहियों ने सुन्नी सरकार के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया. शिया विद्रोहियों का ही एक संगठन हुती विद्रोहियों का है. साल 2023 में हुती विद्रोहियों ने भरसक आंतक फैलाया है. हूती लड़ाकों ने पश्चिमी देशों की जहाजों को लाल सागर में निशाना भी बनाया. 


हूती विद्रोहियों ने सरकार की ताकत को सीमित कर दिया है. हूती और सरकार की जंग की वजह से करीब 45 लाख नागरिकों को विस्थापित होना पड़ा है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, यमन में लाखों लोग अकाल जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं जबकि आने वाले वक्त में 60 लाख लोग भूखमरी की कगार पर आ जाएंगे. 


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