Wagner Group: प्रिगोझिन का हुआ खात्मा, क्या वैगनर को भी 'बर्बाद' कर देंगे पुतिन? जानें अब इस ग्रुप का क्या होगा
Wagner Group Future: रूस के खिलाफ बगावत करने वाले येवेज्ञनी प्रिगोझिन की मौत हो गई है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अब उसे बनाए वैगनर ग्रुप का क्या होगा.
Yevgeny Prigozhin Death: वैगनर ग्रुप के चीफ येवेज्ञनी प्रिगोझिन ने जब जून के आखिरी हफ्ते में बगावत की, तो ये बात तय हो गई कि उनका खात्मा तो जरूर होगा. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दो दशक के कार्यकाल में जब भी किसी ने उनके खिलाफ बगावत की है, उसे सजा जरूर मिली है. जिस तरह से बुधवार को प्लेन क्रैश में प्रिगोझिन के मारे जाने की खबर आई है, उसने ये तो दिखा दिया है कि पुतिन गद्दारी करने वालों को बख्शते नहीं हैं.
हालांकि, सीधे तौर पर प्रिगोझिन के मारे जाने के लिए पुतिन को दोषी भले ही नहीं ठहराया जा सकता है. मगर दुश्मनों से बदला लेने के उनके ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता है कि प्रिगोझिन की मौत में उनका हाथ नहीं रहा हो. फिलहाल सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि येवेज्ञनी प्रिगोझिन ने तो प्लेन क्रैश में जान गंवा दी है. मगर अब उसके वैगनर ग्रुप का क्या होने वाला है. क्या उसे भी पुतिन खत्म कर देंगे.
वैगनर ग्रुप का क्या होगा?
गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, येवेज्ञनी प्रिगोझिन ने रूस की मदद से वैगनर ग्रुप को खड़ा किया था. प्रिगोझिन मारा जा चुका है. ऐसे में इस बात की आशंका जताई जा रही है कि पुतिन धीरे-धीरे वैगनर ग्रुप को भी खत्म कर सकते हैं. सबसे पहले इसे तोड़ा जा सकता है और फिर पूरी तरह से बर्बाद किया जा सकता है. यूक्रेन युद्ध में भले ही वैगनर ग्रुप ने रूस की बड़ी मदद की है. लेकिन जिस तरह से उसने बगावत की, उसकी वजह से वह न सिर्फ पुतिन का आंखों की चुभने लगा है, बल्कि लोग भी इससे नफरत कर रहे हैं.
प्रिगोझिन के मरने के बाद ये साफ हो चुका है कि वैगनर ग्रुप के लिए अपना अस्तित्व बचाना मुश्किल होगा. इसका असर भी देखने को मिलने लगा है. खबर आ रही है कि बगावत के बाद रूस छोड़कर बेलारूस गए वैगनर लड़ाकों ने वहां से भी भागना शुरू कर दिया है. इसमें से कुछ ऐसे हैं, जो कम तनख्वाह से नौकरियां छोड़ रहे हैं, तो कुछ पश्चिमी अफ्रीकी देशों में शिफ्ट हो रहे हैं. एक वक्त बेलारूस में 5000 वैगनर लड़ाके थे, जो घटकर 1000 से भी कम रह गए हैं.
क्या नए चीफ से होगा फायदा?
बगावत की वजह से रूस अब चाहकर भी वैगनर ग्रुप पर भरोसा नहीं कर पा रहा है. कहा ये भी जा रहा है कि क्रेमलिन की तरफ से वैगनर को नया चीफ मिल सकता है. मगर ऐसा हो भी जाता है, तो ग्रुप को खड़ा रखना मुश्किल होगा. दरअसल, वैगनर ग्रुप की कामयाबी की सबसे बड़ी वजह प्रिगोझिन का वॉरलॉर्ड, अफ्रीकी देशों के भ्रष्ट नेताओं और तानाशाहों से रिश्ता था. अगर किसी को चीफ बनाया भी जाता है, तो वह प्रिगोझिन की तरह इसे चलाने में कामयाब नहीं हो पाएगा.
ब्रिटेन के पूर्व एयर वाइस-मार्शल और मिलिट्री एनालिस्ट शॉन बेल ने जून में कहा था कि वैगनर ने जिस तरह से बगावत के बाद मॉस्को तक कूच किया है, वो हैरानी भरा लगता है. मगर यहां सबको ये बात भी जान लेनी चाहिए कि प्रिगोझिन के बिना वैगनर ग्रुप कुछ भी नहीं है. प्रिगोझिन की गैरमौजूदगी में ये ग्रुप खुद को संभाल नहीं पाएगा. उन्होंने ये बात इसलिए कही थी कि क्योंकि प्रिगोझिन के इशारे पर ही इतनी बड़ी संख्या में लड़ाके अपने दोस्त रूस से लड़ने चल दिए थे.
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