नई दिल्ली: कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत में बनी वैक्सीन पर दुनिया ने भरोसा दिखाया है. इसका एक ताजा उदाहरण ज़िम्बाब्वे से सामने आया है. ज़िम्बाब्वे ने भारत की स्वदेशी वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है. ज़िम्बाब्वे अफ्रीका का पहला ऐसा देश है जिसने भारत के स्वदेशी वैक्सीन को मंजूरी दी है. इस बात की जानकारी ज़िम्बाब्वे में भारतीय दूतावास ने दी.
जहां एक तरफ दूसरे देश भारत के वैक्सीन पर भरोसा दिखा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ भारत ने भी आगे आकर कई देशों को कोरोना की वैक्सीन उपहार के रूप में दी है. वैक्सीन प्राप्त करने वाले देशों ने भारत के इस कदम की सराहना भी की.
कोवैक्सीन 81 फीसदी प्रभावी
भारत बायोटेक का स्वदेशी कोरोना टीका परीक्षण में 81 फीसदी प्रभावी पाया गया है. इसके बाद इसके इस्तेमाल को लेकर संभावनायें और बेहतर हो गई हैं. बुधवार को वैक्सीन के अग्रिम चिकित्सीय परीक्षण के आंकड़े सामने आए.
बुधवार को भारत बायोटेक ने एक बयान में कहा कि उसके तीसरे चरण के परीक्षण में 25800 व्यक्ति शामिल हुए. भारत में इस तरह का यह अब तक का सबसे बड़ा परीक्षण है. इसे भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सहयोग से पूरा किया गया.
भारत बायोटेक के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कृष्णा एल्ला ने कहा, ‘‘ कोवैक्सीन ने उच्च चिकित्सीय प्रभाविता दिखाई है’’ साथ ही इसने तेजी से उभरते कोरोना के नये रूपों के खिलाफ भी बेहतर रोधक क्षमता दिखाई है. एक अन्य वीडियो संबोधन में उन्होंने कहा, ‘‘कई लोगों ने हमारी आलोचना की.’’
कंपनी के टीके के परीक्षण के अंतिम परिणाम आने से पहले ही इसके इस्तेमाल को लेकर कुछ स्वास्थ्य कर्मियों ने भी आशंका जताई थी. बहरहाल, उसका टीका ‘कोवैक्सीन’ शुरुआत अनुमान से बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रहा है. कंपनी ने शुरू में इसके 60 फीसदी तक प्रभावी होने का अनुमान जताया था.
पिछले सप्ताह तक भारत में एक करोड़ लोगों को टीका लगाया जा चुका है जिसमें से करीब 11 फीसदी ही कोवैक्सीन का इस्तेमाल किया गया. लेकिन अब अंतिम परिणाम सामने आने के बाद भारत बायोटेक के दावे को मजबूती मिली है. इसके बाद इस पूरी तरह स्वदेशी टीके के सुरक्षित होने और विदेशों में इसकी बिक्री बढ़ने की संभावनायें बढ़ गई हैं. हैदराबाद की इस कंपनी ने कहा है कि पहले ही 40 से अधिक देशों ने उसके टीके में रुचि दिखा दी है.
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