कोलकाता: चोपड़ा विधानसभा सीट एक ऐसी सीट है जहां पर बीजेपी ने मुसलमान उम्मीदवार दिए हैं. पूरे पश्चिम बंगाल में ऐसी 11 विधानसभा सीटें हैं, जहां पर बीजेपी ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को उम्मीदवार बनाया है. पार्टी यह बखूबी जानती है कि इन सीटों पर अगर मुस्लिम उम्मीदवार नहीं दिए गए तो उनके लिए जीतना मुश्किल होगा लेकिन हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि हिंदुत्व की विचारधारा वाली पार्टी क्या इस बार मुस्लिम उम्मीदवार देकर कुछ बदलाव लाने में सफल होगी या नहीं?
पश्चिम बंगाल के दिनाजपुर की चोपड़ा विधानसभा सीट पर लगभग 70 फीसदी मुसलमान वोटर हैं. ऐसे में पार्टी यह बखूबी जानती है कि अगर जीतना होगा तो मुसलमान चेहरा ही देना होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि मुसलमानों के खिलाफ बंगाल में जो हुआ है, वह चिंता का विषय है. वे कट मनी, उत्पीड़न और यहां तक कि टीएमसी के शिकार भी रहे हैं. यह देखकर आश्चर्य होगा कि मुसलमानों का प्रतिशत बहुत अधिक होगा जो बीजेपी को वोट देंगे. हमें मुसलमानों का समर्थन मिलने का भरोसा है. चोपड़ा में भी टीएमसी और उनके उम्मीदवार की यातना क्षेत्र में हिंदू की हत्या के लिए जिम्मेदार रही है और टीएमसी की वजह से पूरे समुदाय पर अत्याचार हुआ है.
उन्होंने कहा कि हम लोगों को जय श्री राम का जाप करने या न करने के लिए मजबूर नहीं करते हैं. यह हमारी संस्कृति है और हम इसका पालन करेंगे. लेकिन ममता बनर्जी नरेंद्र मोदी की तरह ही इसका पालन नहीं करतीं. हम लोगों को अपने धर्म पर एक स्टैंड लेने के लिए नहीं कहते हैं. हम उन्हें अपने धर्म का पालन करने की अनुमति देते हैं. हालांकि दूसरी तरफ बीजेपी यह भी जानती है कि आने वाले दिनों में संभवत उन्हें टीएमसी और वाममोर्चा से उनका मुस्लिम समुदाय से समर्थन लेना बड़ा मुश्किल है.
हिन्दू-मुस्लिम में विश्वास नहीं
चोपड़ा विधानसभा क्षेत्र से TMC उम्मीदवार हमीदुल रहमान का कहना है कि हम हिन्दू और मुस्लिम में विश्वास नहीं करते हैं. यह बीजेपी जैसी पार्टी है जो एक मुस्लिम लड़के से प्यार करने वाली लड़कियों को मारकर ऐसी मुसीबतें खड़ी करना चाहती है, जो इस तरह का तनाव पैदा करना चाहते हैं और फिर वोट हासिल करने की कोशिश करते हैं. वे राजबंशी लड़की को मारते हैं और इलाके में इस तरह का तनाव पैदा करने के लिए मुस्लिम लड़के को मारते हैं, लेकिन हमारे टीएमसी नेताओं ने दिशा बदलने और क्षेत्र में शांति लाने के लिए अपने स्तर पर पूरी कोशिश की है. यह अल्पसंख्यकों में सबसे ज्यादा नहीं है, लेकिन दीदी ने क्षेत्र में भी काम किया है और जो भी राजनीति दल आरोप लगाते हैं, हम जानते हैं कि हमने बहुत काम किया है.
बंगाल में पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से तृणमूल कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों के लिए काम किया है उसे अब तुष्टीकरण का जवाब देना मुश्किल पड़ रहा है. हालांकि वाममोर्चा यह बखूबी जानती है कि उनके लिए भी अपने मुस्लिम समुदाय के प्रति समर्थन को वापस लाना बड़ा चुनौतीपूर्ण होगा. अनवारुल हक का कहना है कि यह सच नहीं है कि यह अल्पसंख्यक क्षेत्र है. इसलिए हम अल्पसंख्यक उम्मीदवार दे रहे हैं लेकिन लोकतंत्र बहुत है और हम योग्य उम्मीदवारों को ही टिकट देते हैं. हम इसे इस तरह से नहीं सोचते हैं. हम केवल अपनी नीतियों के अनुसार ही उम्मीदवार देते हैं.
उन्होंने कहा कि यह सच है कि बीजेपी केवल अपनी विचारधाराओं पर ध्यान केंद्रित करती है और केवल हिंदुत्व पर आधारित एजेंडा सेवा देने की कोशिश करती है. जहां तक उम्मीदवारों का सवाल है, हम समझते हैं कि ऐसे लोग भी हैं जो टीएमसी से आए हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि बीजेपी अल्पसंख्यक उम्मीदवार दे सकती है लेकिन मतदाता मतदान की गारंटी नहीं दी जा सकती है क्योंकि हर कोई उनकी विचारधारा को जानता है.
चोपड़ा विधानसभा की बाकी विधानसभा क्षेत्रों की तरह समस्याएं हैं लेकिन यहां का अल्पसंख्यक समुदाय यह जानता है कि वह अल्पसंख्या में नहीं बल्कि बड़ी संख्या में वोट करेंगे. जिसकी वजह से हर दल उन्हें लुभाने की कोशिश कर रहा है. तृणमूल कांग्रेस का हाल यह है कि वह अब अपनी छवि तुष्टीकरण की जगह सब के साथ खड़े होने की दिखा रही है.
आरोप निराधार
असीम मुखर्जी ने कहा कि बीजेपी ने जो आरोप लगाए वो सभी निराधार हैं. ममता बनर्जी अपने धर्म के बारे में पूछने के बाद कभी किसी को कोई पैसा या उपहार नहीं भेजती हैं. वास्तविकता यह है कि अगर ममता बनर्जी के चुनाव एजेंट अबू सुफियान हो सकते हैं तो मैं असीम मुखर्जी के नाम पर एक हिंदू, इसलिए मैं मुस्लिम टीएमसी उम्मीदवार हमीदुल इस्लाम का चुनाव एजेंट हूं.
वहीं लाल मस्जिद के इमाम मौलाना जैनुल हके का कहना है कि मोदी जी ने कहा था कि सबका साथ और सबका विकास, लेकिन वास्तविकता यह है कि हम निराश नहीं हैं. केंद्रीय बलों ने सितालकुची में जो किया वह शर्मनाक है और दुख की बात है. संविधान हमें ऐसा करने की अनुमति नहीं देता है. हमें इस प्रणाली में विश्वास नहीं है और अल्पसंख्यक भारत में निराश हैं और मुसलमानों को भारत सरकार में कोई विश्वास नहीं है. वे क्या कर रहे हैं, उन्हें संविधान को बनाए रखना चाहिए लेकिन वे गरीबों और दलितों को मारने के बजाय उस तरह का कुछ नहीं कर रहे हैं. यह ममता बनर्जी ही हैं जो देश के लोकतंत्र की रक्षा के लिए व्हीलचेयर पर भी यात्रा कर रही हैं.
बता दें कि अगले तीन चरण के मतदान में जितनी विधानसभा सीटें हैं, उनमें अधिकतर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र हैं. तृणमूल कांग्रेस का वर्चस्व यहां हमेशा से कायम रहा है लेकिन कांग्रेस और वाम मोर्चा का दखल बहुत ही सराहनीय है. ऐसे में जहां एक और लड़ाई बीजेपी बनाम टीएमसी है लेकिन इन इलाकों की अगली लड़ाई अब चौतरफा होने वाली है. यहां लड़कियों के लिए कोई कॉलेज नहीं है और लोग चाहते हैं कि लड़कियों के लिए एक विशेष कॉलेज होना चाहिए.
चोपड़ा विधानसभा क्षेत्र में 67% से अधिक अल्पसंख्यक मतदाता हैं और यही कारण है कि हर पार्टी ने अल्पसंख्यक उम्मीदवार दिया है. 8 में से 10 ग्राम पंचायतें चोपड़ा ब्लॉक में हैं और इनमें अल्पसंख्यक मतदाता हैं. 2 जीपी इस्लामपुर ब्लॉक के अंतर्गत हैं, लेकिन 4 हैं जिनमें एक प्रमुख हिंदू आबादी है जो बहुत महत्वपूर्ण है. बीजेपी के लिए 11 मुसलमान चेहरे देना कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन बड़ी बात यह थी कि उन्हें मतदान के लिए लोगों तक पहुंचाना. जहां एक और बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरों के जरिए वोट मांग रही है तो वहीं पश्चिम बंगाल में वही बीजेपी जय श्री राम की जगह सबका साथ सबका विकास का स्लोगन दे रही है.