जानिये कैसा रहा सार्क देशों का रियो ओलंपिक में प्रदर्शन
कल 21 अगस्त को रियो ओलंपिक का आखिरी दिन है. खेलों के इस महाकुंभ में जीता गया हर एक मेडल किसी भी देश के लिए बेशकीमती होता है. सार्क देशों के सभी आठ देशों का रियो ओलंपिक में प्रदर्शन जानने के बाद आप भारत के प्रदर्शन को तुलनात्मक नजर से देख पाएंगे. चलिए देखते है, सार्क देशों का प्रदर्शन इस ओलंपिक में कैसा रहा.
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View In Appअभी भारत को 60 किलो के फ्री-स्टाइल रेसलिंग में योगेश्वर दत्त से भी एक ओलंपिक मेडल की उम्मीद है.
सबसे पहले बात करते है भारत की. भारत ने इस ओलंपिक में 15 खेंलों में हिस्सा लिया था. भारत के 123 एथिलीटों को कुल 70 इवेंट में हिस्सा लेना था.
श्रीलंका ने अपने यहां से नौ एथलिटों को रियो भेजा. इन खिलाड़ियों ने छह खेलों के 10 अलग-अलग इवेंट में हिस्सा लिया, लेकिन एक भी मेडल नहीं जीत पाए.
पाकिस्तान की तरह ही बंग्लादेश से भी सात एथलिटों ने ही रियो ओलंपिक में हिस्सा लिया. पांच खेलों के सात इवेंट में हिस्सा लेने वाले ये खिलाड़ी अपने देश के लिए एक भी मेडल नहीं जीत पाएं.
पाकिस्तान की बात करें तो इस बार सिर्फ चार खेलों में भाग ले रहें सात पाकिस्तानी एथलीटों ने सात अलग-अलग इवेंट में हिस्सा लिया. पाकिस्तान एक भी मेडल जीतने में नाकामयाब रहा.
मालदीव का भी प्रदर्शन बुरा रहा. चार खिलाड़ियों ने दो खेलों के चार अलग-अलग इवेंट में भाग लिया, लेकिन एक भी पदक नहीं जीत पाएं.
भूटान ने दो एथलिटों को दो खेलों में भाग लेने के लिए भेजा. इन दो खिलाड़ियों ने केवल दो ही इवेंट में हिस्सा लिया और अन्य सार्क देशों की तरह ही एक भी मेडल जीतने में नहीं जीत पाई.
नेपाल के सात खिलाड़ियों ने पांच खेलों में हिस्सा लिया. सात तरह की इवेंट में हिस्सा लिए इन खिलाड़ियों ने अपने देश को एक भी मेडल नहीं जीता पाएं.
बात करें अफगानिस्तान कि तो वहां से सिर्फ तीन एथलिट ही रियो गए. इन तीन खिलाड़ियों ने दो खेलों के तीन अलग-अलग इवेंट में हिस्सा लिया. ये भी एक भी मेडल जीतने में नाकाम रहें.
भारत को अब तक दो मेडल मिला है, पहला साक्षी मलिक ने 58 किलो फ्री-स्टाइल के रेसलिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर दिलाया वहीं दूसरा मेडल बैडमिंटन में पी.वी सिंधु ने सिल्वर मेडल जीत कर दिलाया.
भारत का प्रदर्शन सार्क देशों में तो सबसे अच्छा रहा है, लेकिन विश्व स्तर पर भारत अभी काफी पीछे है, लेकिन रियो ओलंपिक के बाद जिस तरह भारतीयों की रूचि अलग-अलग खेलों में बढ़ी है, इससे भविष्य के लिए आशाएं बढ़ी है.
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