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Fruit Orchards In India: भारत के इन 10 राज्य में होती है सबसे स्वादिष्ट फलों की खेती, पूरी दुनिया में रहती है डिमांड

Top 10 States Famous for fruits: ये हैं भारत के वो 10 फल उत्पादक राज्य, जहां के स्वादिष्ट फल और फलों के बागों ने एग्री टूरिज्म की तर्ज पर पूरी दुनिया में नाम कमाया है.

Top 10 States Famous for fruits: ये हैं भारत के वो 10 फल उत्पादक राज्य, जहां के स्वादिष्ट फल और फलों के बागों ने एग्री टूरिज्म की तर्ज पर पूरी दुनिया में नाम कमाया है.

भारत में फलों की खेती (फाइल तस्वीर)

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Fruit Cultivation in India:  भारत को अनेकता में एकता का देश कहते हैं, जहां कई प्रकार की मिट्टी और जलवायु में विभिन्न प्रजातियों के फलों की खेती की जाती है. भारत में उगाये गये फल आज पूरी दुनिया में मशहूर होते जा रहे हैं. वैसे तो खेती की नई तकनीकों के जरिये हर राज्य में फलों को उगाना आसान हो गया है, लेकिन आज हम उन 10 फल उत्पादक राज्यों की जानकारी देंगे, जहां के फल और फलों के बागों से पूरी दुनिया में वाहवाही लूटी है. ये फलों के बागों सिर्फ खेती-किसानी के लिये ही नहीं, बल्कि एग्री टूरिज्म स्पॉट के तौर पर भी काफी मशहूर हैं.
Fruit Cultivation in India: भारत को अनेकता में एकता का देश कहते हैं, जहां कई प्रकार की मिट्टी और जलवायु में विभिन्न प्रजातियों के फलों की खेती की जाती है. भारत में उगाये गये फल आज पूरी दुनिया में मशहूर होते जा रहे हैं. वैसे तो खेती की नई तकनीकों के जरिये हर राज्य में फलों को उगाना आसान हो गया है, लेकिन आज हम उन 10 फल उत्पादक राज्यों की जानकारी देंगे, जहां के फल और फलों के बागों से पूरी दुनिया में वाहवाही लूटी है. ये फलों के बागों सिर्फ खेती-किसानी के लिये ही नहीं, बल्कि एग्री टूरिज्म स्पॉट के तौर पर भी काफी मशहूर हैं.
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महाराष्ट्र में चीकू और आम की खेती- चीकू को सपोडिला भी कहते हैं, जिसकी खेती महाराष्ट्र के घोलवाड़ और दहानू के तटीय इलाकों में बड़े पैमाने पर की जाती है. यहां आज भी हजारों पारसी परिवार अपनी पुश्तैनी जमीनों पर चीकू की खेती करके देश और विदेशों में फलों का निर्यात करते हैं. यहां चीकू का सीजन दिसंबर से मार्च के बीच होता है. वहीं महाराष्ट्र का अल्फांसो आम भई पूरी दुनिया में काफी मशहूर है, जिसे कोंकणों पट्टी पर रत्नागिरी और पलशेत इलाकों में उगाया जाता है. यहां के आम के बाग मई से अगस्त के बीच फलों से लद जाते हैं.
महाराष्ट्र में चीकू और आम की खेती- चीकू को सपोडिला भी कहते हैं, जिसकी खेती महाराष्ट्र के घोलवाड़ और दहानू के तटीय इलाकों में बड़े पैमाने पर की जाती है. यहां आज भी हजारों पारसी परिवार अपनी पुश्तैनी जमीनों पर चीकू की खेती करके देश और विदेशों में फलों का निर्यात करते हैं. यहां चीकू का सीजन दिसंबर से मार्च के बीच होता है. वहीं महाराष्ट्र का अल्फांसो आम भई पूरी दुनिया में काफी मशहूर है, जिसे कोंकणों पट्टी पर रत्नागिरी और पलशेत इलाकों में उगाया जाता है. यहां के आम के बाग मई से अगस्त के बीच फलों से लद जाते हैं.
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मेघालय में स्ट्रॉबेरी की खेती- पहले स्ट्रॉबेरी की खेती सिर्फ पहाड़ी और सर्द इलाकों में की जाती थी, लेकिन खेती की नई तकनीकों के आ जाने से भारत के कई इलाकों में इसे उगाया जाता है. मेघालय राज्य भी मीठी और ताजी स्ट्रॉबेरी के लिये काफी मशहूर है. यहां स्थित री भोई जिले में स्थित सोहलिया का छोटा सा गांव स्ट्रौबरी की खेती के लिए जाना जाता है. इस राज्य में स्ट्रॉबेरी को प्रेम का प्रतीक मानते हैं, जिसके कारण यहां 14 फरवरी को 'स्ट्रौबरी उत्सव' भी मनाया जाता है. मेघालय में स्ट्रॉबेरी का सीजन जनवरी से मार्च के बीच होता है.
मेघालय में स्ट्रॉबेरी की खेती- पहले स्ट्रॉबेरी की खेती सिर्फ पहाड़ी और सर्द इलाकों में की जाती थी, लेकिन खेती की नई तकनीकों के आ जाने से भारत के कई इलाकों में इसे उगाया जाता है. मेघालय राज्य भी मीठी और ताजी स्ट्रॉबेरी के लिये काफी मशहूर है. यहां स्थित री भोई जिले में स्थित सोहलिया का छोटा सा गांव स्ट्रौबरी की खेती के लिए जाना जाता है. इस राज्य में स्ट्रॉबेरी को प्रेम का प्रतीक मानते हैं, जिसके कारण यहां 14 फरवरी को 'स्ट्रौबरी उत्सव' भी मनाया जाता है. मेघालय में स्ट्रॉबेरी का सीजन जनवरी से मार्च के बीच होता है.
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मणिपुर में अनानास की खेती- अनानास एक बेहद स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर फल है. मणिपुर के चुराचंदपुर में अनानास की फसल बड़े पैमाने पर लगाई जाती है. यहां अनानास के हरियाली से भरपूर ज्यादातर बाग थायोंग के गांव में मौजूद हैं. मणिपुर में अगस्त से लेकर सितंबर तक 'अनानास फेस्टिवल' का भी आयोजन किया जाता है.
मणिपुर में अनानास की खेती- अनानास एक बेहद स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर फल है. मणिपुर के चुराचंदपुर में अनानास की फसल बड़े पैमाने पर लगाई जाती है. यहां अनानास के हरियाली से भरपूर ज्यादातर बाग थायोंग के गांव में मौजूद हैं. मणिपुर में अगस्त से लेकर सितंबर तक 'अनानास फेस्टिवल' का भी आयोजन किया जाता है.
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पंजाब में कीनू की खेती- संतरा की तरह कीनू भी एक बेहद स्वादिष्ट और रस से भरा फल है, जिसकी खेती पंजाब के अबोहर, फाजिल्का, होशियारपुर, मुक्तसर साहिब और भटिंडा आदि जिलों में की जाती है. यहां हजारों एकड़ में मेंडरिन फल कीनू के बाद फैले हुए हैं. बता दें कि कीनू के सिर्फ एक ही पेड़ से 1000 फल तक का उत्पादन ले सकते हैं, जिसकी प्रोसेसिंग करके जूस, स्क्वैश और केक बनाया जाता है. पंजाब में कीनू का सीजन अक्टूबर से फरवरी तक होता है.
पंजाब में कीनू की खेती- संतरा की तरह कीनू भी एक बेहद स्वादिष्ट और रस से भरा फल है, जिसकी खेती पंजाब के अबोहर, फाजिल्का, होशियारपुर, मुक्तसर साहिब और भटिंडा आदि जिलों में की जाती है. यहां हजारों एकड़ में मेंडरिन फल कीनू के बाद फैले हुए हैं. बता दें कि कीनू के सिर्फ एक ही पेड़ से 1000 फल तक का उत्पादन ले सकते हैं, जिसकी प्रोसेसिंग करके जूस, स्क्वैश और केक बनाया जाता है. पंजाब में कीनू का सीजन अक्टूबर से फरवरी तक होता है.
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उत्तराखंड में बेर, आडू और खुबानी की खेती- उत्तराखंड का पहाड़ी इलाका जड़ी-बूटियों के साथ-साथ बेर, आडू, खुबानी, नाशपाती और सेब के बागों के लिए बेहद मशहूर है. खासकर रामगढ़ जिले को कुमाऊं के फलों का कटोरा के नाम से भी जानते हैं.  यहां इन फलों के बागों से देश और विदेशों की जरूरतें पूरी की जाती है. उत्तराखंड में बेर, आडू और खुबानी जैसे पौष्टिक फलों का सीजन मई से लेकर अगस्त के बीच तक होता है.
उत्तराखंड में बेर, आडू और खुबानी की खेती- उत्तराखंड का पहाड़ी इलाका जड़ी-बूटियों के साथ-साथ बेर, आडू, खुबानी, नाशपाती और सेब के बागों के लिए बेहद मशहूर है. खासकर रामगढ़ जिले को कुमाऊं के फलों का कटोरा के नाम से भी जानते हैं. यहां इन फलों के बागों से देश और विदेशों की जरूरतें पूरी की जाती है. उत्तराखंड में बेर, आडू और खुबानी जैसे पौष्टिक फलों का सीजन मई से लेकर अगस्त के बीच तक होता है.
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जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में सेब की खेती- वैसे तो कृषि तकनीक की मदद से पूरे भारत में कहीं भी सेब की खेती कर सकते हैं लेकिन जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के सेबों को सिर्फ नाम जनकर ही हाथोंहाथ खरीद लिया जाता है. आज यहां के करीब 1.75 लाख से ज्यादा परिवार अपनी आजीविका के लिए सेब की खेती पर निर्भर हैं. खासकर किन्नौर, शिमला, मंडी, कुल्लू और श्रीनगर, गांदेरबल, बडगाम, बारामूला, अनंतनाग और शोपियां जैसे जिलों में बड़े पैमाने पर सेब की बागवानी की जाती है. यही कारण है कि कश्मीर को भारत का 'एप्पल टाउन' भी कहा जाता है. यहीं एशिया की दूसरी सबसे बड़ी फल मंडी भी मौजूद है, जहां सेब का सीजन जून से लेकर सितंबर के बीच तक होता है.
जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में सेब की खेती- वैसे तो कृषि तकनीक की मदद से पूरे भारत में कहीं भी सेब की खेती कर सकते हैं लेकिन जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के सेबों को सिर्फ नाम जनकर ही हाथोंहाथ खरीद लिया जाता है. आज यहां के करीब 1.75 लाख से ज्यादा परिवार अपनी आजीविका के लिए सेब की खेती पर निर्भर हैं. खासकर किन्नौर, शिमला, मंडी, कुल्लू और श्रीनगर, गांदेरबल, बडगाम, बारामूला, अनंतनाग और शोपियां जैसे जिलों में बड़े पैमाने पर सेब की बागवानी की जाती है. यही कारण है कि कश्मीर को भारत का 'एप्पल टाउन' भी कहा जाता है. यहीं एशिया की दूसरी सबसे बड़ी फल मंडी भी मौजूद है, जहां सेब का सीजन जून से लेकर सितंबर के बीच तक होता है.
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बिहार में लीची की खेती- बिहार का मुजफ्फरपुर भारत के 'लीची साम्राज्य' के नाम से मशहूर है, जहां सबसे सुगंधित और स्वादिष्ट शाही लिचियां उगाई जाती हैं. इसके अलावा, बिहार के वैशाली समस्तीपुर चंपारण और बेगूसराय जिलों में बड़े पैमाने पर लीची की बागवानी की जाती है, जिससे शरबत, फिरनी और कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाए और निर्यात किये जाते हैं. यहां पर लीची का सीजन मई से लेकर जून के बीच होता है.
बिहार में लीची की खेती- बिहार का मुजफ्फरपुर भारत के 'लीची साम्राज्य' के नाम से मशहूर है, जहां सबसे सुगंधित और स्वादिष्ट शाही लिचियां उगाई जाती हैं. इसके अलावा, बिहार के वैशाली समस्तीपुर चंपारण और बेगूसराय जिलों में बड़े पैमाने पर लीची की बागवानी की जाती है, जिससे शरबत, फिरनी और कई स्वादिष्ट व्यंजन बनाए और निर्यात किये जाते हैं. यहां पर लीची का सीजन मई से लेकर जून के बीच होता है.
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महाराष्ट्र में अंगूर की खेती- महाराष्ट्र को भारत की 'वाइन कैपिटल' भी कहते हैं, जहां सांगली, सातारा और अहमदनगर के अलावा नासिक में भी बड़े पैमाने पर अंगूर की बागवानी की जाती है. यहां पर कई सुंदर 'वाइन यार्ड' भी मौजूद है. राज्य के नासिक शहर में फरवरी से अप्रैल तक अंगूर फेस्टिवल भी मनाया जाता है. यहां अंगूर का सीजन जनवरी से लेकर मई तक होता है.
महाराष्ट्र में अंगूर की खेती- महाराष्ट्र को भारत की 'वाइन कैपिटल' भी कहते हैं, जहां सांगली, सातारा और अहमदनगर के अलावा नासिक में भी बड़े पैमाने पर अंगूर की बागवानी की जाती है. यहां पर कई सुंदर 'वाइन यार्ड' भी मौजूद है. राज्य के नासिक शहर में फरवरी से अप्रैल तक अंगूर फेस्टिवल भी मनाया जाता है. यहां अंगूर का सीजन जनवरी से लेकर मई तक होता है.
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लद्दाख की खुबानी- लद्दाख भारत का सबसे ज्यादा ठंडा और खेती के लिए कम उपयुक्त राज्य हैं. इसके बावजूद यहां बड़े पैमाने पर पिछले 100 सालों से खुबानी की खेती की जा रही है. लद्दाख में खुबानी को चिल्ली कहते हैं, जो दुनिया की सबसे मीठी खुबानी के नाम से मशहूर है. यहां पर खुबानी की जैविक खेती की जाती है, जिसके लिए हलमान, सफैदा, लक्स्टे-कार्पो और खांतेह किस्म को उगाया जाता है. लद्दाख में खुबानी का सीजन जुलाई से लेकर सितंबर तक होता है.
लद्दाख की खुबानी- लद्दाख भारत का सबसे ज्यादा ठंडा और खेती के लिए कम उपयुक्त राज्य हैं. इसके बावजूद यहां बड़े पैमाने पर पिछले 100 सालों से खुबानी की खेती की जा रही है. लद्दाख में खुबानी को चिल्ली कहते हैं, जो दुनिया की सबसे मीठी खुबानी के नाम से मशहूर है. यहां पर खुबानी की जैविक खेती की जाती है, जिसके लिए हलमान, सफैदा, लक्स्टे-कार्पो और खांतेह किस्म को उगाया जाता है. लद्दाख में खुबानी का सीजन जुलाई से लेकर सितंबर तक होता है.

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