पांच सितारा होटलों में बढ़ रही इन विदेशी सब्जियों की डिमांड...अभी कर देंगे बुवाई तो फायदे में रहेंगे किसान!
पारंपरिक फसलों में बढ़ते नुकसान और कम होते मुनाफे के मद्देनजर अब किसान बागवानी की ओर बढ़ रहे हैं. बाजार में तेजी से पौष्टिक सब्जियों की मांग बढ़ रही हैं. इनमें भी सबसे ज्यादा ट्रेंड में एक्जोटिक यानी विदेशी सब्जियां हैं. बड़े-बड़े शहरों की जनता से लेकर फाइव स्टार होटल, रेस्त्रां, कैफे में अब लोग विदेशी सब्जियों से बने व्यंजन खाना पसंद कर रहे हैं.
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View In Appबाजार में भी विदेशी सब्जियों की मांग बढ़ती जा रही है. इन सब्जियों में कई पौष्टिक तत्व होते हैं, जो साधारण सब्जियों से मिलना मुमकिन नहीं. लोग अब सेहत के प्रति सतर्क हो रहे हैं, इसलिए भी इन विदेशी सब्जियों की खेती फायदे का सौदा साबित हो रही है. अच्छी बात यह है कि इन सब्जियों की खेती के लिए सरकार की ओर से बागवानी विभाग आर्थिक और तकनीकी मदद मुहैया करवा रहा है.
मोमो से लेकर कई विदेशी व्यंजनों में मशरूम का इस्तेमाल किया जा रहा है. बात करें इसकी खेती तो जमीन के बजाए छोटी से झोंपडी या 6 बाई 6 के कमरे में भी मशरूम उगाया जाता है. मशरूम की सबसे ज्यादा मांग वाली किस्में सफेद बटन मशरुम, ढींगरी (ऑयस्टर) मशरुम, दूधिया मशरुम, पैडीस्ट्रा मशरुम और शिटाके मशरुम हैं.
इन सब्जियों में सबसे टॉप पर आता है ब्रोकली का नाम. फूलगोभी की ये विदेशी प्रजाति मात्र 60 से 120 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाती है. जहां साधारण गोभी 10-20 रुपये में मिल जाती हैं. वहीं ब्रोकली का एक ही पीस 50 से 100 रुपये के भाव बिकता है. किसान चाहें तो ब्रोकली की संरक्षित खेती करके 4 से 5 लाख रुपये का मुनाफा एक ही सीजन में कमा सकते हैं.
हरी शिमला मिर्च बेहद आम हो गई है. लोगों के मुंह का स्वाद बदलने के लिए बाजार में रंग-बिरंगी शिमला मिर्च ने दस्तक दे दी है. इसे बेल पेपर कहते हैं, जो लाल-पीले तमा रंगों में उपलब्ध है. बाजार में 40 से 50 रुपये के हिसाब से बिकने वाला बेल पेपर उगाकर सालभर में 12 से 15 लाख का मुनाफा कमा सकते हैं. इसका हर एक पौधा 4-5 किलो पैदावार देता है
जुकीनी को विदेशी खीरा भी कहते हैं. सेलेब्रिटी और अमीर लोग खीरा की जगह जुकीनी का सेवन कर रहे हैं. इसकी गहरे हरे, पीले और भूरे रंग की किस्में काफी मशहूर हैं. ये फसल 70-80 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. जुकीनी की खेती क्यारियों में की जाती है. ये एकड़ में 8-10 मीट्रिक टन उपज देती है. बाजार में जुकीनी काफी अच्छे दाम पर बिक जाती है
पालक-मेथी जैसी देसी पत्तेदार सब्जियां बाजार में 10-20 रुपये के भाव खूब मिल जाती हैं, लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं सलाद पत्ता के नाम से मशहूर लेट्यूस के बारे मे, जो 200 से 300 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव बिकता है. ये सब्जी 40 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है. आजकल बर्गर, पिज्जा और पास्ता में लेट्यूस का काफी इस्तेमाल हो रहा है.
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